पीठासीन अधिकारी सम्मेलन दूसरा दिन
विधायी निकाय स्वयं
का मूल्यांकन
करें : मीराकुमार
RAVINDRA JAIN
भोपाल। देश में सभी विधायी निकायों को अपने कार्यों का स्वयं मूल्यांकन करना चाहिए कि - वे लोगों की इच्छाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के कार्य में कहां तक सफल हुए हैं। यह बात लोकसभा अध्यक्ष सुश्री मीराकुमार ने बुधवार को भोपाल में देश के सभी विधायी निकायों के स्पीकर, डिस्टी स्पीकर व सचिवों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मप्र विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि - वर्तमान में स्पीकरों पर ही पक्षपात का आरोप लगे हैं, स्पीकर का काम तलवार की धार पर चलने जैसा हो गया है।
बुधवार को मीराकुमार के विधानसभा सचिवालय पहुंचने पर उन्हें गार्ड ऑफ आनर दिया गया। उन्होंने लोकसभा सचिवालय व मप्र सराकर द्वारा लगाई गईं प्रदर्शनियों का भी शुभांरभ किया। इसके बाद उन्होंने पीठासीन अधिकारियों के 74 वें सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन करते हुए कहा कि - यह गर्व की बात है कि आजादी के बाद पहली बारे लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या 59 हो गई है। उन्होंने देश में आतंकवादी हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि मुम्बई हमले के बाद हमने एक प्रस्ताव पास कर इसकी निन्दा की थी, लेकिन संसद ने इन हमलों की जांच के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण विधेयक भी पारित किया है। उन्होंने कहा कि देश में छह से चौदह वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा अनिवार्य करने के लिए संसद ने अनिवार्य बाल शिक्षा का विधेयक भी पारित किया है। देश में अनुसूचित जाति, जनजाति को आरक्षण देने की समय सीमा 25 जनवरी 2010 को समाप्त हो रही थी, लेकिन संसद को यह मानना है कि - देश में अभी भी यह वर्ग सामान्य वग्र के बरागरी पर नहीं आए है, इसलिए संसद ने संविधान में 109 वां संशोधन करके आरक्षण की अवधि को दस साल के लिए बढ़ाया है।
स्वयं मूल्यांकन करें : मीराकुमार ने कहा है कि - संसदीय कार्यों के निष्पादन में हमारे विधान मंडलों का लगातार गिरता स्तर सबकी चिन्ता का विषय है। विधान मंडलों में होने वाले वाद विवाद व चर्चाएं , अब व्यवधानों, टकरावों औा विभिन्न गैर लोकतांत्रिक कार्यों के कारण बाधित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि - अब समय आ गया है कि देश के सभी विधायी निकाय अपने कार्य का स्वयं मूल्यांकन करें कि वे जनता की अपेक्षाओं पर कितनी खरा साबित हो रहे हैं। उन्होंने विधायी निकाय के अध्यक्षों की भूमिका के बारे में कहा कि विधायी संस्थाओं के गौरव औा प्रतिष्ठा की रक्षा करने में अध्यक्ष की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष को प्राप्त विश्वास ही संसदीय प्रशासन का केन्द्र होता है।
संसद भवन को बचाना है : मीराकुमार ने कहा कि संसद भवन का निर्माण 1920 में हुआ था। पिछले कुछ दशक में स्थान की कमी के कारण संसद भवन में कुछ परिवर्तन किए गए हैं जो कि इस भवन की वास्तुकलात्मकता के अनुकूल नहीं है। संसद भवन के मूल स्वरूप को बचाने के लिए संसदीय समिति का गठन किया गया है।
स्पीकर का काम जटिल हुआ : मप्र विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने लोकसभा अध्यक्ष सहित देश भर से आए विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों का स्वागत करते हुए कहा कि - अब स्पीकर का काम काफी जटिल हो गया है। उन्होंने कहा कि सदन का संचालन करने के लिए स्पीकरों को काफी मसक्कत करनी पडती है। आज सदनों का जो स्परूप बनता है उसके कारण आसंदी को भी कई बार
आग्रहों,पूर्वाग्रहों और आरोपों के घेरे में ले लिया जाता है। जबकि पीठासीन अधिकारी भी सदन का सेवक होता है और वह सदन से ही शक्तियां प्राप्त करता है। स्पीकर ही सदन की आसंदी को गरिमा व सम्मान दिलाता है, अत: स्पीकर की तटस्थता, निष्पक्षता और निर्णयों को स्वीकार किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है, उल्टे आंसदी से बहस की जाती है। ऐसे माहौल में पीठासीन अधिकारी का काम दोधारी तलवार चलने जैसा हो गया है।
सुदामा के तंदुल
मप्र के विधानसभा के अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने अपने उद्बोधन में कहा कि - पीठासीन अधिकारियों का इतना बड़ा कार्यक्रम कराने के लिए मप्र के पास साधन सीमित थे, इसलिए हम सभी अतिथियों को थयोचित सुख सुविधा उपलब्ध नहीं करा सके, लेकिन हमारा जो सत्कार है, उसे सुदामा के चावल की तरह स्वीकार करें। इसके जबाव में लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार ने कहा कि यह सुदामा के तंदुल नहीं है, वे यहां के स्वागत से अभिभूत हैं तथा इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष व उनके सभी सहयोगियों को धन्यवाद देती हैं।
शिव जमुना भी याद आए
इस आयोजन के लिए रोहाणी ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष जमुनादेवी, विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह, मुख्यसचिव व पुलिस महानिदेशक के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
मीराकुमार विफोर
लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार मप्र विधानसभा में निर्धारित समय से लगभग दस मिनिट पहले पहुंच गईं, जिस कारण मप्र के विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहापणी उनकी अगवानी नहीं कर पाए। बुधवार को स्रबह नौ बजे मीराकुमार को विधानसभा पहुंचना था, लेकिन वे पहले आ गईं व रोहाणी बाद में पहुंचे।
श्रृद्धाजलि
सम्मेलन के शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार ने पिछले एक साल में दिवंगत हुए देश भर के विधायी निकायों के पूर्व, उपाघ्यक्षों को श्रृद्धाजीलि दी। उनके सम्मान में दो मिनिट का मौन भी रखा गया।
Wednesday, February 3, 2010
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