Wednesday, February 17, 2010

विधानसभा पर हो सकता है आतंकी हमला




केन्द्र की चेतावनी के बाद भी नहीं चेती राज्य सरकार



रवीन्द्र जैन

भोपाल। मध्यप्रेदश का विधानसभा भवन आतंकियों के निशाने पर है, लेकिन राज्य सरकार नींद में सो रही है। भोपाल आईजी शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने राज्य सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि होशंगाबाद में टेलीस्कोपिक रायफल मिलने, देश के कई हिस्सों में हुए बम धमाकों के तार मध्यप्रदेश से जुड़े होने एवं अभी भी सिमी को नेटवर्क प्रदेश में सक्रिय है इससे विधानसभा की सुरक्षा को खतरा है। उन्होंने विधानसभा की सुरक्षा बढ़ाने एवं आसपास के क्षेत्र में तत्काल सीसीटीवी कैमरे लगाने का सुझाव दिया है।
पूना में हुए बम धमाके बाद मप्र की विधानसभा की सुरक्षा को लेकर फिर से चिन्ता बढ़ गई है। बुधवार को विधानसभा के अधिकारी ने भोपाल आईजी की गोपनीय रिपोर्ट के आधार राज्य सरकार को विधानसभा की सुरक्षा बढ़ाने तत्काल बढ़ाने के बारे में चर्चा की है। भोपाल आईजी ने अपनी विस्तृत report  में इन घटनाओं का जिक्र किया है, जिनके तार मप्र से जुड़े हैं। यहां बता दें कि पिछले वर्ष केन्द्र सरकार के खुफिया विभाग ने भी राज्य सरकार को विधानसभा की सुरक्षा पुख्ता करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद विधानसभा के प्रमुख सचिव एके पयासी ने भोपाल आईजी शैलेन्द्र श्रीवास्तव के बाद दिल्ली में लोकसभा सचिवालय की सुरक्षा की व्यवस्था का जायजा लिया था।

उच्च स्तरीय बैठक : केन्द्र सरकार की चेतावनी के बाद 18 नबम्बर 2009 को मप्र विधानसभा में सुरक्षा को लेकर उचच स्तरीय बैठक हुई जिसमें स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा राज्य के गृहमंत्री एवं पक्ष विपक्ष के कई विधायक मौजूद थे। बैठक में पुलिस विभाग ने विधानसभा की सुरक्षा के लिए लगभग 22 करोड़ रूपए का बजट बताया, लेकिन तय हुआ कि फिलहाल विधानसभा के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगाने एवं सुरक्षा की कड़ी निगरानी के लिए पुलिस विभाग को 4 करोड़ रूपए अनावर्ती एवं 2.45 करोड़ रूपए का बजट आवर्ती योजना में दिया जाए।

बनना है सुरक्षा जोन : इस उच्च स्तरीय बैठक में तय हुआ कि रोशनपुरा नाके से विधायक विश्राम गृह, विधानसभा भवन, मंत्रालय एवं सतपुड़ा व विन्ध्याचल भवन तक एक सुरक्षा जोन बनाया जाए। इस पूरे क्षेत्र में होने वाली हर पल की घटना को सीसीटीवी कैमरे में कैद किया जाए। इसका कंट्रोल रूम विधानसभा में बनाया जाए तथा इस जोन की सुरक्षा निगरानी के एक डीएसपी, चार निरीक्षक, 10 उप निरीक्षक या सहायक उप निरीक्षक, 23 प्रधान आरक्षक तथा 69 आरक्षक तैनात किए जाएं। यह कर्मचारी तीन शिफ्टों में चौबीस घंटे सीसीटीवी के कैमरे केमाध्यम से सुरक्षा जोन में होने वाली हर घटना पर नजर रख सकेंगे।

बेफिक्र सरकार : उच्च स्तरीय बैठक के बाद विधानसभा सचिवालय ने उक्त प्रस्ताव बनाकर राज्य के वित्त विभाग को भेज दिया, लेकिन वित्त विभाग ने इस संवेदनशील मुद्दे पर तीन माह बाद भी पुलिस को एक धेला नहीं दिया है। वित्त विभाग को नींद से जगाने के लिए विधानसभा सचिवालय ने 9 दिसम्बर को राज्य सरकार को स्मरण पत्र लिखा, लेकिन फिर भी कार्यवाही नहीं हुई तो विधानसभा के अधिकारी ने पूना में हुए बम विस्फोट का हवाला देते हुए वित्त विभाग से विधानसभा की सुरक्षा के लिए पुलिस को राशि देने की गुहार लगाई है।

अभी ऐसी है सुरक्षा : मप्र विधानसभा की सुरक्षा फिलहान भगवान भरोसे है। अरेरा हिल्स पर स्थित विधानसभा भवन एवं विधायक विश्राम गृह कुल 105 एकड़ जमीन बने हैं। विधानसभा भवन में विधानसभा एवं विधान परिषदों के दो बड़े बड़े सभागृहों के अलावा इस भवन में 14 समिति कक्ष, मंत्रियों ंके लिए 57 कक्ष मिलका कुल 300 कमरे हैं, 350 दरवाजे तथा 1000 खिड़कियां हैं। जबकि विधायक विश्राम गृह के तीन खंडों में 288 कमरें एवं पारिवारिक खंडों में लगभग 150 कमरे हैं। इसकी सुरक्षा के लिए एसएएफ के मात्र 16 सुरक्षा कर्मचारी तैनात हैं, जो तीन शिफ्टों में ड्यूटी करते हैं। विधानसभा के सुरक्षा गार्डों को अभी तक सुरक्षा संबंधी न तो प्रशिक्षण दिया गया और न ही उनके पास सुरक्षा के लिए किसी प्रकार के हथियार हैं।

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