Friday, February 26, 2010

वित्तमंत्री कैसे कर गए इतनी बड़ी गलती?

डेढ़ सौ करोड़ कहां से लाएंगे










रवीन्द्र जैन

भोपाल। मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघव जी भाई अपने बजट भाषण में एक बड़ी गलती कर गए हैं। उन्होंने अपने बजट भाषण में प्रदेश के विकास कार्यों हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने वेट अधिनियम की अनुसूची 3 में दर्शाइ गई कर योग्य वस्तुओं पर वेट की दर 12.5 से बढ़ाकर 13 प्रतिशत करने की बात कही है। इससे राज्य सरकार के खजाने में 150 करोड़ रुपए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने का अनुमान लगाया है। जबकि स्वयं राघव जी 31 मार्च 2006 को मप्र वेट अधिनियम 2002 को संशोधित कर अनुसूची 3 को विलोपित कर चुके हैं। राज एक्सप्रेस ने वित्तमंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित किया तो उन्होंने अपनी गलती मानते हुए शुक्रवार को इसे संशोधित करने की बात कही है।

सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के आईएएस अधिकारियों को डिप्रेशन से बाहर आने का आव्हान किया था। मुख्यमंत्री का मानना है कि आईएएस अधिकारी अरविन्द जोशी दम्पत्ति के घर आयकर के छापे में तीन करोड़ रुपए मिलने के बाद प्रदेश के सभी अधिकारी डिप्रेशन में हैं। गुरूवार को मप्र विधानसभा में प्रस्ततु बजट में अधिकारियों का डिप्रेशन साफ दिखाई दिया। वित्तमंत्री के बजट भाषण में वेट अधिनियम की विलोपित हो चुकी अनुसूची 3 का उल्लेख करा दिया गया। राज एक्सप्रेस ने इस भूल की जानकारी वित्तमंत्री को दी। अधिकारियों से चर्चा के बाद वित्तमंत्री ने राज एकसप्रेस को बताया कि - वेट अधिनियम की अनुसूची दो की वस्तुओं पर वेट की दर बढ़ाने जा रहे हैं, इस संबंध में कल संशोधन कर दिया जाएगा। वेट अधिनियम की अनुसूची दो में जितनी भी वस्तुओं का उल्लेख किया गया है उसमें टिम्बर को छोड़कर सभी पर वेट की दर 4 व 5 प्रतिशत दर्शाई गई है। लेकिन अधिनियम के अंत में एक लाईन जोड़ी गई है कि जिन वस्तुओं का उल्लेख अनुसूची दो में नहीं है उनके अलावा सभी वस्तुओं पर वेट की दर 12.5 प्रतिशत मानी जाएगी। यानि राज्य सरकार ने गुरूवार को जिन वस्तुओं पर वेट बढ़ाया है उनका उल्लेख भी वेट अधिनियम की अनुसूची दो में नहीं है।



इनका कहना है :

- यह प्रिटिंग की गलती से हुआ है। हम शुक्रवार को इसे विधानसभा में संशोधित कर देंगे।

राघव जी भाई
वित्तमंत्री, मप्र शासन

- अनुमन बजट में इस तरह की गलती नहीं होना चाहिए। विधानसभा में अपनी इस गलती को सुधारने के साथ वित्तमंत्री को सदन के सामने खेद भी व्यक्त करना चाहिए।

विश्वेन्द्र मेहता
पूर्व सचिव, मप्र विधानसभा

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