Monday, February 8, 2010

dr.sunilam

जार्ज की छवि को नष्ट भ्रष्ट करने की साजिश





कोई तो जार्ज से पूछे कि तुम क्या चाहते हो?











डॉ. सुनीलम 

 (पूर्व विधायक, राष्ट्रीय सचिव, समाजवादी पार्टी)

इन दिनों श्री जार्ज फर्नांडिज चर्चा में हैं। गत पांच दशको  में भी वे चर्चा में रहे हैं लेकिन तब चर्चा होती थी जार्ज
फर्नांडीज के आन्दांलनों की, सरकारों के साथ वाद विवाद की, आज जो चर्चा हो रही है वह उनकी छवि के एकदम विपरीत है। जाॅर्ज फर्नांडीज का नाम आते ही लोगों के जेहन में उनका बम्बई की सड़कों पर रोज का आन्दोलन तथा उससे उत्पन्न होने वाले आरोप प्रत्यारोप आते हैं। वही जाॅर्ज फर्नांडीज जिन्होंने बम्बई के एकछत्र नेता एस के पाटिल को चुनाव हराया था। तब उन्होने र्जाइंट किलर कहा गया। जाॅर्ज ही थे जो कई दषकों तक सड़कों पर बाल ठाकरे की षिव सेना से मुकाबला करने की स्थिति में थे वह जाॅर्ज जिन्होंने बम्बई के होटल के बैरों से लेकर टैक्सी वालों तक सभी को इकट्ठा किया था। बम्बई के कामगारों का अपना सहकारी बैंेक भी स्थापित किया। जिसकी कुल पूंजी आज हजारों करोड़ में है। यह वही जाॅर्ज हैं जिन्होंने इंदिरा गांधी की तानाषाही को चुनौती दी। उन्हें डाइनामाईट कांड का आरोपी बनाया गया। यदि यूरोप की समाजवादी सरकारों ने सोषलिस्ट इंटरनेषनल के नेतृत्व में हस्तक्षेप नहीं किया होता तो राष्ट्रद्रोह के आरोप में उन्हें फांसी दी जा सकती थी। यह वहीं जाॅर्ज फर्नांडीज हैं जो जेल से 1977 में सबसे अधिक वोट लेकर मुजफ्फरपुर से चुनाव जीते थे। केवल जंजीरों से बंधे जाॅर्ज के पोस्टर उन्हें चुनाव जिताने के लिए काफी थे। इतनी लोकप्रियता उन्हें हासिल थी। जाॅर्ज डाॅ. राममनोहर लोहिया के अभिन्न साथियों में थे। जाॅर्ज को एक ऐसे नेता के तौर पर याद किया जाता है जो सीधे जनता सरकार में जेल से निकलकर मंत्री बने थे। जिन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए जिला उद्योग केन्द्रों का निर्माण किया। यह वही जाॅर्ज हैं जिन्होंने चुटकियों में आईबीएम तथा कोका कोला जैसी बडी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को देश से निकाल बाहर किया था। यही जाॅर्ज हैं जिन्होंने उद्योग को लाइसेंस राज से मुक्त किया था। कौन भूल सकता है जाॅर्ज के उस भाषण को जिसके माध्यम से उन्होंने मोरारजी की सरकार को डिफेंड किया था। यह वही जाॅर्ज हैं जिन्होंने समाजवादी नेता तथा अपने परममित्र समाजवादी चिंतक मधुलिमये की सलाह पर बिना झिझके सरकार से अलग होने का फैसला किया था। यानी जनता सरकार बनाने में तथा उससे अलग होने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले नेता का नाम था जाॅर्ज फर्नांडिज। जब जाॅर्ज चुनाव हार गये, संसदीय राजनीति में दरकिनार कर दिये गये तब भी उन्होंने बोफोर्स का मामला स्विीडन से निकाल कर तत्कालीन मिस्टर क्लीन का पर्दाफाश किया था। वे जाॅर्ज ही थे जिन्होंने कहा था कि देश को एक वीपी सिंह की जरूरत है उन्होंने वीपी सिंह के इर्द गिर्द देश भर में मुहिम चलाकर जनता दल को गठित करने में तथा नेशनल फ्रंट की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। वही जाॅर्ज जिनके चलते राजीव गांधी विपक्ष में बैठने को मजबूर हुए थे। मंत्री के तौर पर कांेकण रेलवे गठित कर जाॅर्ज ने नया इतिहास बनाया था तथा कोंकण क्षेत्र के लोगों की सौ वर्षों पुरानी मांग को पूरा किया था। यह वहीं जाॅर्ज थे जो रेलवे मंत्री होने के बावजूद रेलवे के भ्रष्टाचार के खिलाफ सार्वजनिक मुहिम चलाया करते थे। देश में सबसे पहले जब नई आर्थिक नीति को थोपा गया तब जाॅर्ज ही थे जिन्होंने उसका मुकाबला करने के लिए गांध् ाीवादियों से लेकर नक्सलवादियों तक सभी को मैदान में उतारने का काम किया। उन्हें यह कहने में झिझक नहीं थी कि यदि छः महीने के भीतर हमने देश को नहीं बचाया तो हम दूसरी बार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उपनिवेश बन जायेंगे। यह वही जाॅर्ज थे जिन्होंने चैदह सांसदों को इकट्ठा कर समता पार्टी का गठन किया था। आजीवन गैर कांग्रेसवाद के विचार को लेकर चलने वाले जाॅर्ज एनडीए के गठन करने वाले प्रमुख नेता थे। मेरे शब्दों में उन्हेांने भाजपा को वैधानिकता देने का आपराधिकपूर्ण कार्य किया था। जिसका खुला विरोध देश के समाजवादी साथियों द्वारा किया गया था। खादी का कुर्ता-पैजामा पहनकर देश के रक्षाकर्मियों के बीच पहुंचने वाले वे पहले रक्षामंत्री के तौर पर जाने गये। संक्षेप में जाॅर्ज एक ऐसे नेता की छवि रखते थे जो समाज और देश के लिए समर्पित है। जिसका घर-परिवार सम्पति से कोई लेना देना नहीं है जो निर्भिकता के साथ पूरी व्यवस्था को चुनौती देता है। संसद से लेकर सड़कों तक जिसकी आवाज संघर्ष करते हुए गूंजा करती है।
अचानक जाॅर्ज की शारीरिक स्थिति खराब होने लगी। 1995 में जब वे अपने घर में कपड़े धो रहे थे तब गिर पड़े, बाद में उन्हें वायरल इन्फेकशन हो गया। कमजोरी के कारण गिरने पर तीन कृष्णामेनन मार्ग में उन्हें दिमाग में अन्दरूनी चोटें आयी। पता चलने पर एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डाॅ. मेहता द्वारा उनका आॅपरेशन किया गया। दूसरा आपरेशन जसलोक अस्पताल बम्बई में हुआ। आॅपरेशनों के बाद 2005 में खुलासा हुआ कि दिमाग की नलियों में पानी भर गया है। एम्स अस्पताल में फिर डाॅ मेहता द्वारा आपरेशन किया गया। एम्स के प्रोफेसर डाॅ. कमलेश्वर प्रसाद तथा डाॅ. पद्मा लगातार उनका इलाज करते रहे। भारत-अमरीका न्यूकिलयर समझौता 2008 पर बहस के बाद उन्हें एक सप्ताह फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया बाद में उनका गाॅलस्टोन (गंगाराम अस्पताल) तथा दोनों आंखों का कैटरेक्ट (डाॅ. पकरासी क्लीनिक) का आॅपरेशन हुआ। दिमाग पर एल्जाइमर बीमारी का असर लगातार बढ़ता जा रहा था। याददाश्त और बोलने की शक्ति लगातार कम हो रही थी इसके बावजूद वे तिब्बत, बर्मा से जुड़े सवालों तथा मजदूरों के अधिकारों से जुड़े कार्यक्रमों में आते-जाते थे। तथा घर पर आने वाले मेहमानों से इत्मीनान से मिला करते थे। भारत-अमेरिका न्यूक्लियर समझौता को लेकर संसद में हुई बहस और वोटिंग के दौरान मैंने दो दिन जाॅर्ज साहब को जब लाचारी की स्थिति में देखा तब मैं समता पार्टी के गठन के बाद पहली बार उनसे मिला। स्वास्थ्य का हाल जानने के लिये गया उसके बाद मैं जब भी दिल्ली आता जाॅर्ज साहब के स्वास्थ्य का हाल चाल जानने जरूर तीन कृष्णामेनन जाता। मैंने जब सप्तक्रांति विचार यात्रा करने का मन बनाया तब मैंने उनसे मुलाकात की वे बहुत खुश हुए उन्होंने डाॅ. राममनोहर लोहिया के जन्म शताब्दी वर्ष पर होने वाली सप्तक्रांति विचार यात्रा के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दी। श्रीमती जया जेटली
तथा श्री फ्रेडी के साथ कार्यक्रम में पहुंचे भी। इस बीच वे जब चुनाव हारे तब मैंने उनसे पूछा की आप अब कहां जायेंगे? उन्होंने बताया कि हौजखास के मकान में दी अदर साइड का कार्यालय है तथा ऊपर चढ़ना मेरे लिए सम्भव नहीं है इस कारण मैं जया की बेटी ने प्रस्ताव दिया है उसका मकान बन रहा है उसमें ग्राउण्ड फ्लोर पर रहूंगा। मैं वहां से सीधे श्रीजयपाल रेड्डी, शहरी विकास मंत्री के घर गया उनसे कहा कि जाॅर्ज साहब ने प्रधान मंत्री को पत्र लिखा है जार्ज साहब की हालत खराब है छः महीने का समय मकान खाली करने के लिए चाहते हैं उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें पत्र भेज दिया है। बाद में मैं मध्य प्रदेश चला गया लगातार वहीं रहा अखबारों में पढ़ने को मिला कि 2 जनवरी की रात अचानक लैलाजी एवं जार्ज साहब कि बेटे ने सभी दरवाजे बंद कर जार्ज साहब से कुछ खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराये देर रात्रि जब उनके भाई पहुंचे तो उन्हें घर में नहीं आने दिया गया। अगले दिन चाय पार्टी का भी आयोजन हुआ। श्री जार्ज फर्नांडीज को उनके भाई रिचर्ड फर्नांडीज तथा एम्स के डाॅक्टरों को बिना बताये साकेत स्थित मैक्स हाॅस्पिटल ले जाया गया जहां से उन्हें बाबा रामदेव के आश्रम में ले जाया गया। जबर्दस्त ठंड में एम्स से दूर ले जाये जाने से चिंतित होकर मैं श्री मुलायम सिंह जी के पास गया जिन्होंने विस्तृत तौर पर बाबा रामदेव से बातचीत कर जाॅर्ज साहब के स्वास्थ्य का हालचाल पूछा तथा मुझसे कहा कि यदि जरूरत होगी तो मैं हरिद्वार जाऊंगा। अखबारों में खबर पढ़ने को मिली कि लैलाजी द्वारा तमाम आरोप जया जी तथा जार्ज साहब के भाइयों पर लगाये गये है। अखबारों में प्रकाशित समाचारों से यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि जार्ज फर्नांडीस ने बहुत संपत्ति इकट्ठी कर ली है तथा संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। जबकि सभी जानते हैं कि जार्ज फर्नांडीज हर चुनाव में अपनी संपत्ति का विवरण देते रहे हैं। कई दशक पूर्व श्री जार्ज फर्नांडीज के साथियों ने मिलकर लगभग 20 लाख रूपये में बंगलोर के पास एक जमीन खरीदी थी। संपत्ति जार्ज साहब की
मां के नाम पर थी तथा पाॅवर आॅफ अटार्नी जार्ज के नाम पर मां के देहांत के बाद इस संपत्ति का चारों भाइयों में बंटवारा हुआ। सभी भाइयों ने अपना हिस्सा जार्ज साहब को दे दिया। पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा होने के बाद वह हिस्सा भी जार्ज साहब को मिला। समय के साथ जमीनों की कीमत बढ़ जाने के कारण कुल संपत्ति 16 करोड़ क हुई जिसमें से 3 करोड़ टैक्स दिया गया। इस राशि का इस्तेमाल वे एक केंद्र बनाकर करना चाहते थे। सभी जानते हैं कि हौजखास का मकान बंबई लेबर यूनियन की सम्पत्ति है। उसमें अभी द अदर साइड का कार्यालय है तथा जार्ज साहब की बायोग्राफी लिखने का काम वहां चल रहा है। यूनियन के कर्ताधर्ता शरदराव जी का कहना है कि जब तक जाॅर्ज हैं तब तक हम उस मकान को कब्जे में लेने नहीं जा रहे हैं। यह भी स्पष्ट है कि जार्ज साहब के भाई उस संपत्ति पर कोई दावा भी नहीं कर रहे हैं। भाइयों ने 23 जनवरी को बैंग्लौर में प्रेस कांफ्रेंस कर यह साफ किया कि वे संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर रहे लेकिन यह जरूर चाहते हैं कि श्री जार्ज फर्नांडीज की इच्छा के अनुसार उस पूंजी का इस्तेमाल गरीबों के लिए काम करने वाली संस्थाओं के माध्यम से किया जाना चाहिए। लैलाजी ने इसपर
जवाबी बयान दिया है कि यदि गरीबों की इतनी चिंता है तो जार्ज के भाइयों को अपनी संपत्ति गरीबों में बांट देनी चाहिए। इस पर श्री जार्ज फर्नांडीज के भाइयों ने बयान दिया कि 18 दिसंबर 2009 को जार्ज साहब से खाली कागजों पर बिना किसी की उपस्थिति में अंगूठे लगवा लिये गये हैं तथा हस्ताक्षर कराये गये हैं। उल्लेखनीय है कि बैंक द्वारा जार्ज साहब के हस्ताक्षर बार-बार अलग तरीके के होने के कारण घरेलू खर्चे के लिए छोटी मोटी राशि निकालने हेतु जया जेटली जी को पाॅवर आॅफ अटाॅर्नी मददगार के रूप में दी गयी थी। जिसमें से केवल घर का खर्चा भर निकाला गया वह भी कुछ महीनों का। पहला काम लैलाजी और उनके बेटे ने यह किया कि पाॅवर आॅफ अटाॅर्नी को बिना जार्ज साहब की जानकारी के उनसे खाली कागजों पर अंगूठा लगवाकर रद्द करवाया। इस सबके बावजूद भी मसला कहीं से भी संपत्ति के विवाद का नहीं है। जहां तक व्यक्तिगत संबंधों का सवाल है हम जब 26 तुगलक क्रेसेंट से प्रतिपक्ष निकाला करते थे उसके बाद से लेकर अब तक लगभग दो दशक बीत जाने के बावजूद सार्वजनिक तौर पर कार्यक्रमों में, चुनाव प्रचार में श्री जार्ज फर्नांडीज के 25 बार से अधिक अस्पताल में भर्ती होने पर या डाॅक्टर के पास जाते वक्त किसी ने भी लैला जी को जार्ज फर्नांडीज के साथ नहीं देखा। भाइयों ने भी इस बात को प्रेस के समक्ष बार बार कहा है कि व्यक्तिगत तौर पर तथा राजनीतिक कार्यों में हम गत 25 वर्षों में
लगातार जयाजी को ही जार्ज फर्नांडीज के साथ देखते रहे हैं। लैला जी को नहीं। विशेषतौर पर गंभीर बीमारी की हालत में जिस तरह के घरेलू वातावरण की जरूरत है तथा एलजाइमर्स बीमारी में जिस तरह की देख-रेख की जरूरत है वह तनावपूर्ण वातावरण में संभव नहीं है। लेकिन लैलाजी एवं उनके बेटे के द्वारा अचानक 20 साल के बाद श्री जार्ज फर्नांडीज को अपनी संपत्ति मानकर जो कुछ किया जा रहा है वह अनावश्यक तथा आपत्तिजनक कहा जा सकता है। अधिकतर लोग मानते हैं कि यह निजी मसला है इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। मुझे याद है अकबरपुर में लोहिया मेले के आयोजन के बाद मेरी इस संबंध में जाॅर्ज साहब से बात हुई थी उन्होंने लगभग दपटते हुए तथा गुस्से के साथ कहा था कि मुझे अपने तरीके से अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है। मुझ पर कोई भी अपनी पसंदगी नापसंदगी नहीं थोप सकता। मैं भी किसी के निजी जीवन में हस्तक्षेप नहीं करता। न ही यह चाहता हूं कि कोई मेरे जीवन में हस्तक्षेप करे। यह सब उन्होंने जया जी को लेकर कहा था। लेकिन जार्ज फर्नांडीज कभी व्यक्ति और परिवार केंद्रित नहीं माने गये। वे समाजवादी आंदोलन के नेता के तौर पर समाजवादी परिवार के अगुआ रहे ऐसे समय में जब जार्ज फर्नांडीज द्वारा पूरे जीवन में अर्जित की गयी छवि को सुनियोजित साजिश के तहत बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है तब यह जरूरी है कि उन्हें मानने वाले प्यार करने वाले प्रेरणा लेने वाले शुभचिंतक तथा समर्थक आगे आयें तथा जीते जी जार्ज फर्नांडीज की छवि को नष्ट भ्रष्ट करने की साजिश से उन्हें उबारें। जार्ज फर्नांडीज आजीवन लाखों ऐसे लेागों को आवाज देते रहे जो अपनी आवाज उठाने की स्थिति में नहीं थे। जिनकी आवाज कोई सुनने को तैयार नहीं था। मुझे लगता है कि आज स्वयं जार्ज फर्नांडीज को ऐसे लोगों की जरूरत है जो उनकी आवाज, उनकी पीड़ा को समाज और देश के सामने ला सकें। हो सकता है लोग यह कहें कि यह अनावश्यक हस्तक्षेप है लेकिन क्या पूरे मसले को कानूनी और व्यक्तिगत मसला मानकर छोड़ दिया जाना चाहिए? कानूनी स्थिति एकदम स्पष्ट है। उनकी पत्नी लैला तथा उनके बेटे का संपत्ति पर अधिकार है। उनके इस अधिकार को कोई चुनौती भी नहीं दे रहा है। शायद दे भी नहीं सकता। देने की जरूरत भी नहीं है। लेकिन यह
जानने का अधिकार जरूर है कि अचानक 20 साल बाद ऐसा क्या हुआ कि बेटा अमरीका से सीधे घर आकर पिताजी से हिसाब किताब करने लगा। फिर 20 वर्षों का आपसी संबंधों का भी हिसाब किताब होना ही चाहिए। कोई तथ्य या खबरें ऐसी नहीं हैं जिनसे यह मालूम पड़ता हो कि श्री जार्ज फर्नांडीज ने अपनी पत्नी और बेटे को घर से निकाला था। स्वेच्छा से लैलाजी पंचशील में अलग रह रही थीं। बेटा अमेरिका चला गया था। मां बेटे को केवल जार्ज फर्नांडीज को संपत्ति के नजरिये से देखने की इजाज नहीं दी जा सकती। हम सब मानते हैं कि महिला केवल किसी के साथ शादी हो जाने के चलते किसी की (पति की) संपत्ति नही हो जाती। इसी तर्ज पर कोई पति केवल शादी हो जाने के चलते किसी पत्नी की संपत्ति नहीं माना जा सकता। यह सवाल अति  संवेदनशील है इसलिए इसे व्यक्तिगत कहकर छोड़ दिया जाता है। एल्जाइमर्स बीमारी की छठी स्टेज में बीमार व्यक्ति आम स्वस्थ व्यक्तियों की तरह जीवन नहीं जी सकता। उसे इलाज के अलावा आत्मीयता, अपनेपन तथा उसकी जरूरत है (पेशेंट इज स्टिल नीडेड) इस बात का एहसास देने वाले वातावरण और व्यक्तियों की जरूरत होती है यह कार्य कोई पेशेवर नर्स के द्वारा नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा होता तो जार्ज फर्नांडीज को अमेरिका या भारत के किसी स्थान पर पेशेवर नर्स के हवाले छोड़ा जा सकता था। लेकिन यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। श्री जाॅर्ज फर्नांडीज की स्वास्थ्य संबंधी समस्या का कोई मैकेनिकल हल नहीं हो सकता। फिलहाल बाबा रामदेव द्वारा श्री जार्ज फर्नांडीज का इलाज किया जा रहा है हम सभी केवल दुआ ही कर सकते हैं कि वे स्वास्थ्य लाभ कर शीघ्र वापस लौटें लेकिन मेडिकल साइंस बताती है कि सुधार की गुंजाइश बहुत कम है। चमत्कारों को कोई नकार नहीं सकता। लेकिन यह तय है कि जाॅर्ज साहब इस समय जिनके कब्जे में हैं वे उनके साथ न्याय करने की स्थिति में नहीं होंगे। होना तो यह था कि लैलाजी यदि उन्हें लग रहा था कि जाॅर्ज साहब का ख्याल नहीं रखा जा रहा तो उनका ख्याल रखने वालों को बतातीं कि क्या कमी है। मैं जब भी जाॅर्ज साहब के पास गया उन्हें इत्मीनान से बात करते हुए पाया। देश के बड़े बड़े नेता दलाईलामा जी से लेकर मुलायम सिंह जी तक, अजय सिंह से लेकर स्वराज कौशल तक उनसे मिलते रहे। वे बड़े इत्मीनान से सभी से मिलते थे। मैं आश्चर्य चकित रह गया जब मुझे मालूम हुआ कि कुछ लोग जब जाॅर्ज साहब से मिलने पहुंचे तब आधे घंटे में जाॅर्ज साहब एक शब्द भी नहीं बोले। इसका मतलब है कि वे परेशान हैं। जब भी गुस्से में होते हैं तो बात करना बंद कर देते हैं। इस स्थिति में जाॅर्ज साहब के साथियों को चाहिए कि वे उनसे मिलें और पूछें कि जाॅर्ज आप क्या चाहते हो। उनके व्यक्तिगत जीवन में भी हस्तक्षेप किया जाना समय की आवश्यकता है साथ ही घर के लोगों को तथा मीडिया को यह सोचना जरूरी है कि उन्हें देश और समाज के लिए अपना पूरा जीवन लगा देने वाले नेता की छवि नष्ट भ्रष्ट करने से क्या हासिल होगा?
जो लोग जीवन भर जाॅर्ज फर्नांडीज से दुश्मनी मानते रहे वे लोग उनकी कमजोरी की हालत का लाभ उठाकर जब वे स्वयं को डिफेंड करने की स्थिति में नहीं हैं उन्हें साजिश पूर्ण तरीके से जीते जी मारने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कोशिश कामयाब न हो इसी मंशा से मैंने यह लेख तैयार किया है। सोचता हूं जाॅर्ज साहब यदि बोलने की स्थिति में होते तो क्या लैला जी या उनका बेटा या मीडिया की यह दुर्गति कर सकता था। कदापि नहीं। जो स्वयं को डिफेंड न कर सके उस पर हमला करना न केवल कायरता है बल्कि अनैतिक भी है। इसे यदि क्रूरता कहा जाय तो गलत नहीं होगा। देखना है कि इस क्रूरता के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए कौन कौन सामने आता है। आता भी है या नहीं।

डॉ. सुनीलम

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