जू की जमीन पर मॉल की तैयारी
'' ग्वालियर का चिडिय़ाघर शहर से खत्म कर मेयर के परिवार समेत शहर के दिग्गज भाजपा नेता मिलकर बेशकीमती जमीन पर मॉल बनाने की तैयारी में, जू की कई एकड़ जमीन का लैंडयूज ग्रीन बेल्ट से बदलकर कमर्शियल किए जाने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा।
चिडिय़ाघर के बारे में
चिडिय़ाघर की स्थापना::: 1920-21
कितनी जमीन पर बना ::: 08 एकड़ से अधिक
कितने वन्य प्राणी ::: 05 सौ करीब
पिछले वर्ष हुई आय ::: 18 लाख 75 हजार 104 रुपए
इस वर्ष हुई आय ::: 21 लाख 99 हजार 8 सौ रुपए
कौशल मुदगल
ग्वालियर । सिंधिया रियासतकाल में बने ग्वालियर के गांधी वन्य प्राणी उद्यान (चिडिय़ाघर) की बेशकीमती जमीन पर अब कॉलोनाइजरों की नजरें गढ़ चुकी हैं और कॉलोनाइजरों के हाथों इस जमीन को खुद-बुर्द कराने के लिए शहर की मेयर समीक्षा गुप्ता व नगर निगम अधिकारी भी कदम ताल मिला रहे हैं। यही कारण हैं कि मेयर हाउस के इशारे पर चिडिय़ाघर की आठ एकड़ से अधिक जमीन का लैंडयूज (भूमि उपयोग) को ग्रीन बेल्ट से बदलकर कमर्शियल कराने का प्रस्ताव राज्य शासन के पास भेजा गया है। ऐसा होने के बाद इस जमीन पर विशाल मॉल बनाने की तैयारी की जा रही है जिसमें मेयर हाउस की व्यवसायिक पार्टनरशिप रहेगी।
फूलबाग परिसर स्थित चिडिय़ाघर की जमीन ग्रीन बेल्ट में शामिल है और इसका उपयोग दूसरे कार्य के लिए नहीं किया जा सकता, लेकिन मेयर समीक्षा गुप्ता के इशारे पर नगर निगम प्रशासन ने लैंड यूज बदले जाने का प्रस्ताव सितंबर में राज्य शासन के पास भेज दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक मेयर के परिजन जमीन की खरीद-फरोख्त एवं बिल्डिंग बनाने का कारोबार करते हैं और जमीन के कारोबार में उनके साथ काम करने वाला एक ऐसा ग्रुप है जिसकी छवि शहर में भू-माफियाओं के रूप में जानी जाती है। निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार लैंडयूज के प्रस्ताव के पीछे का मकसद चिडिय़ाघर की जमीन पर मॉल बनाना है। क्योंकि चिडिय़ाघर की जमीन शहर के बेस्ट लोकेशन पर होने के कारण पहले से ही काफी कीमती एवं डिंमाडफुल थी, लेकिन अब इसके सामने निजी कमर्शियल मॉल बनने के बाद यहां की कीमतों में और भी वृद्धि हुई है। माना जा रहा है कि मेयर की रुचि के कारण शासन से जू की जमीन का लैंडयूज बदल जाएगा और दूसरे भाजपा नेता भी इसके लिए भोपाल में बैठकर लॉबिंग कर रहे हैं।
दूसरी जगह मांगी जमीन:-
जू को शहर की जमीन से हटाने के लिए नगर निगम ने कुलैथ के पास दुगुनावली में करीब 22 हेक्टेयर जमीन तलाशी है और इस जमीन को जू के लिए आरक्षित करने का आवेदन कलेक्टर को दिया गया है उक्त आवेदन भी प्रदेश शासन के पास लंबित है। यह जमीन शहर से करीब 15 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है और वहां चिडिय़ाघर देखने कौन जाएगा? यह सवाल अभी से खड़ा होने लगा है।
भ्रष्टाचार की सीमा नहीं:-
एक तरफ जहां निगम प्रशासन जू को ग्वालियर की इस जमीन से दूसरी जगह शिफ्ट करने पर आमदा है वहीं दूसरी ओर जू के नाम पर भ्रष्टाचार नहीं रुक रहा। अभी जू का प्रवेश द्वार गुरुद्धारे के पास से है और सौंदर्यीकरण व पार्किंग जगह के अभाव का हवाला देते हुए निगम प्रशासन गोपाल मंदिर के पास बारादरी के सामने नए प्रवेश द्वार का निर्माण करा रहा है। जिसकी लागत 23 लाख रुपए से अधिक बताई जा रही है इसके अलावा ऐसे और भी कई काम है जो बिना आवश्यकता के कराए जा रहे हैं।
इनका कहना है:-
कोई खास कारण नहीं...
'' चिडिय़ाघर की जमीन का लैंडयूज ग्रीनबेल्ट से कमर्शियल कराए जाने का प्रस्ताव नगर निगम परिषद की बैठक में 29 अक्टूबर को पारित हुआ था और उसके बाद इस प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए प्रदेश शासन के पास भेजा गया है। जो अभी लंबित है। लैंडयूज बदले जाने के पीछे कोई खास कारण नहीं है।
- सतीश बौहरे, जनकार्य प्रभारी नगर निगम ग्वालियर
हमें जानकारी नहीं....
'' इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है और न ऐसा कोई निर्णय हुआ है। यदि ऐसा किया जा रहा है तो गलत है।
- देवेंद्र सिंह तोमर, कांग्रेस पार्षद नगर निगम ग्वालियर
पहले भी ग्रीन बेल्ट पर डाका:-
नगर निगम के पास ग्रीन बेल्ट की जितनी जमीन हैं उनमें से अधिकांश का उपयोग दूसरे कार्यों में किया जा चुका है।
0 नगर निगम ने फूलबाग के ग्रीन बेल्ट की जमीन का उपयोग कमर्शियल करते हुए हाट बाजार बनने दिया। यह जमीन मानस भवन के पास स्थित है।
0 सिटी सेंटर स्थित शिवाजी पार्क के पास स्थित ग्रीन बेल्ट की जमीन एक संस्था
को दे दी गई जिस कारण पार्क का कार्य प्रभावित हुआ है।
Thursday, November 18, 2010
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