Wednesday, March 3, 2010

चौदह आईएएस हो सकते हैं बेनकाब

चौदह आईएएस हो सकते हैं बेनकाब

तीन साल से एक ही पद पर जमे अफसरों को हटाने का दबाव

रवीन्द्र जैन

भोपाल। मध्यप्रदेश में आयकर विभाग बीमा एजेन्टों के माध्यम से आईएएस अधिकारियों की अवैध कमाई को बीमा कंपनियों में लगाने के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने पर विचार कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश्या के लगभग चौदह आईएएस अधिकारियों के चेहरे से नकाब हट सकता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर उन आईएएस अधिकारियों को हटाने का दबाव बढ़ता जा रहाप है जो मप्र में पिछले तीन साल से ज्यादा समय से एक ही पद पर जमे हुए हैं।

मप्र में भ्रष्टाचार को लेकर आयकर विभाग फंूक फंूककर कदम रख रहा है। आयकर विभाग के अधिकारी जानते हैं कि आईएएस अधिकारी अरविन्द जोशी के घर पर पड़े आयकर छापे के बाद राज्य के अधिकांश भ्रष्ट अधिकारी सतर्क हो गए हैं। ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कंसने और उनकी अवैध कमाई का पता लगाने के लिए आयकर विभाग सीबीआई को पत्र लिखने के बारे में विचार कर रहा है। सूत्रों का दावा है कि मप्र में अरविन्द जोशी के अलावा लगभग चौदह आईएएस अधिकारियों ने भी अपनी अवैध कमाई को आईसीआईसीआई बैंक की बीमा कंपनी में निवेश किया है। यदि यह मामला सीबीआई को सौंपा जाता है तो कई अफसरों की काली कमाई का ही पता नहीं लगेगा, बल्कि उन्होंने किस किस विभाग में क्या क्या गोलमाल किया है? इससे भी पर्दा उठ सकता है

एक दर्जन पर गिरेगी गाज : मप्र में तीन वर्षों से अधिक समय तक एक ही स्थान पद जमे लगभग एक दर्जन आईएएस अधिकारी भी निशाने पर आ गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर इन अधिकारियों को मलाईदार कुर्सियों से हटाने के लिए विपक्ष की ओर से ही नहीं स्वयं की पार्टी की ओर से भी दबाव बढ़ता जा रहा है। इनमें तीन अधिकारी मुख्यमंत्री सचिवालय में ही पदस्थ हैं। इसके अलावा सबसे लंबे समय तक मलाईदार कुर्सीै पर जमे मप्र सड़क विकास निगम के एमडी मो. सुलेमान कईयों के निशाने पर आ गए हैं। इस कुर्सी को मलाईदार माना जाता है। इसके अलावा इन अफसरों को हटाने के लिए भी मुख्यमंत्री पर दबाव है -

नाम पद कब से पदस्थ हैं

1 - प्रभुदयाल मीणा प्रमुख सचिव लोक निर्माण 8 मार्च 2007

2 - कंचन जैन एमडी, मप्र मत्स्य निगम 11 जुलाई 2006

3 - इकबाल सिंह बैंस प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय 10 दिसम्बर 2005

4 - विनोद सेमवाल महानिरीक्षक पंजीयन 30 जून 2006

5 - मनेाज श्रीवास्तव आयुक्त जनसंपर्क 6 फरवरी 2006

6 - प्रवीण गर्ग एमडी, मप्र उद्योग विकास निगम 10 अप्रेल 2006

7 - अनुराग जैन सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय 6 दिसम्बर 2005

8 - मो सुलेमान एमडी, मप्र सड़क विकास निगम 27 दिसम्बर 2004

9 - रघुवीर श्रीवास्तव एमडी, आदिवासी वित्त विकास निगम 1 अगस्त 2006

10 - श्रीमती सूरज दामोर अतिरिक्त आयुक्त वाणिज्यकर, इंदौर 17 जुलाई 2006

11 - गोविन्द प्रसाद श्रीवास्तव सचिव, राजस्व मंडल 17 अगस्त 2006

12 - राजेश मिश्रा सचिव, राज्य पिछडा वर्ग आयोग 25 जनवरी 2007



इनके अलावा कुछ आईएएस अधिकारी कुछ माहों में अपने पद तीन वर्ष पूरे करने वाले हैं उनमें प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग राघव चंद्रा, उद्योग आयुक्त दीपक खांडेकर, राज्यपाल के प्रमुख सचिव केके सिंह, आयुक्त सैरी कल्चर एमके सिंह, राजगढ़ कलेक्टर शिवानंद दुबे, शाजापुर कलेक्टर राजेन्द्र शर्मा एवं रतलाम कलेक्टर महेन्द्र ज्ञानी आदि शामिल हैं।

कौन ज्यादा भ्रष्ट : मंत्रालय में अब यह सवाल पूछा जाने लगा है कि मप्र में कौन से आईएएस ज्यादा भ्रष्ट हैं? सीघी भर्ती के अथवा प्रमोटी? हकीकत में मप्र में लोकायुक्त ने पिछले दिनों जितने आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की है उनमें सीघी भर्ती के आईएएस अधिकारियों की संख्या अधिक है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोप में जिन पांच आईएएस को निलंबित किया है उनमें भी तीन सीधी भर्ती के अधिकारी शामिल हैं। पिछले दो साल में आयकर विभाग ने जिन दो तीन आईएएस अधिकारियों के घर छापे मारे हैं, वे तीनों राजश्ेा राजौरा, अरविन्द जोशी एवं टीनू जोशी सीधी भर्ती के आईएएस अधिकारी हैं।

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