लोकायुक्त व सूचना आयुक्त में सुलह के आसार
आज हाईकोर्ट में समझौते की संभावना
रवीन्द्र जैन
इंदौर। मध्यप्रदेश की दो संवैधानिक शक्तियों के बीच पिछले ढाई वर्ष से चल रहा विवाद बुधवार को थमने की संभावना है। प्रदेश के नए लोकायुक्त जस्टिस पीपी नावलेकर ने राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी से चल रहा विवाद को समाप्त करने की पहल की है। ढाई वर्ष पहले तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस रिपुसूदन दयाल एवं पीपी तिवारी का विवाद भोपाल के एमपी थाने होते हुए हाईकोर्ट तक पहुंच गया था। बुधवार को जबलपुर हाईकोर्ट में इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुनवाई होना है।
अपनी यादाश्त को ताजा कीजिए। वर्ष 2007 में मप्र के दो संवैधानिक पदों पर बैठीं दो प्रमुख हस्तियां राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त एवं लोकायुक्त आपस में झगड़ते हुए भोपाल के एमपी नगर थाने तक पंहुच गए थे। मामला 22 अगस्त 2007 को मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा लोकायुक्त से जुड़े एक प्रकरण के फैसले से संबंधित था। पीपी तिवारी मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में एक प्रकरण में लोकायुक्त के खिलाफ निर्णय सुनाने वाले थे। यह निर्णय लोकायुक्त कार्यालय से जुड़ी सूचना से संबंधित था। तिवारी के फैसले के एक दिन पहले तत्कालीन लोकायुक्त रिपुसूदन दयाल उनके घर पहुंच गए तथा उन्होंने तिवारी को लोकायुक्त संगठन के विरूद्घ फैसला न सुनाने के लिए कहा। तिवारी ने 22 अगस्त को अपने फैसले की नोटशीट पर इस बात का भी उल्लेख कर दिया कि - रिपुसूदन दयाल उन्हें प्रभावित करने के उद्देश्य से उनके घर आए थे।
इस घटना के बाद रिपुसूदन दयाल ने तिवारी के खिलाफ लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना में यह कहते हुए अपराधिक प्रकरण कायम करा दिया कि - तिवारी ने फैसले के बाद नोटशीट पर उनके विरुद्घ टिप्पणी लिखी है। लोकायुक्त की इस शिकायत के बाद पीपी तिवारी के एमपी नगर थाने में लोकायुक्त के खिलाफ फैसले को प्रभावित करने के लिए दबाव बनाने का प्रकरण दर्ज करा दिया। बाद में इन दोनों का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया। हाईकोर्ट में यह मामला अभी तक लंबित हे। इस बीच प्रदेश में नए लोकायुक्त के रुप में जस्टिस पीपी नावलेकर की नियुक्ति हो गई। बताते हैं कि नावलेकर ने इस विवाद को सुलझाने की पहल की है।
तिवारी को शर्त मंजूर नहीं : सूत्रों के अनुसार पीपी नावलेकर ने पीपी तिवारी से सौजन्य मुलाकात कर इस विवाद को समाप्त करने की पहल करते हुए तिवारी के सामने प्रस्ताव रखा कि लोकायुक्त संगठन को सूचना के अधिकार से बाहर रखा जाएं, लेकिन तिवारी ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि - यह संभव नहीं है। तिवारी का तर्क है कि भारत सरकार ने केवल तीन को सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर रखा है। पहला - सुरक्षा, दूसरा - गुप्तचर संस्थाएं एवं तीसरा - न्यायिक प्रकरण। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त संगठन इन तीनों की परिधि में नहीं आता इसलिए उसे सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर रखना संभव नहीं है।
सुनवाई आज : जबलपुर हाईकोर्ट में बुधवार को इन दोनों के मामले की सुनवाई होना है। बताया जाता है कि पीपी नावलेकर कोर्ट के बाहर समझौते के पक्ष में हैं और उन्होंने अपने वकील को इस संबंध में निर्देश भी दे दिए हैं।
Tuesday, March 9, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment