अपना वेतन स्वयं बढ़ाएंगे विधायक
सरकार पर 11 करोड़ का भार बढ़ेगा
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश के विधायक अगले कुछ दिनों में अपना वेतन 35 हजार से बढ़ाकर 55 हजार कर लेंगे। इसी के साथ वे सासंदों के वेतन की बराबरी पर आ जाएंगे। विधायकों का वेतन एवं पूर्व विधायकों की पेंशन बढऩे से सरकार के खजाने पर लगभग 11 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का अतिरिक्त भार बढऩे की संभावना है। प्रदेश के 231 में से एकमात्र विधायक डा. गोविन्द सिंह ने इस वेतनवृद्घि का विरोध करते हुए सभी विधायकों को आम आदमी की तरह जीने की अपील की है। जबकि ज्यादातर विधायक वेतनवृद्घि के पक्ष में हैं।
मध्यप्रदेश में लगभग 25 माह बाद फिर से विधायकों के वेतन भत्तों को बढ़ाने की तैयारी है। इसके पहले 3 अक्टूबर 2007 को राज्य के विधायकों के वेतन भत्ते एवं पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। मप्र के विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने पर विचार करने के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इसी वर्ष जनवरी में इस कमेटी ने लोकसभा, राज्यसभा एवं देश की लगभग सभी विधानसभा में सासंदों व विधायकों को मिलने वाले वेतन भत्तों की जानकारी मंगाकर उसका अध्ययन करने के बाद मप्र क विधायकों क वेतन भत्ते 35000 से बढ़ाकर 55000 करने एवं पूर्व विधायकों की पेंशन 9000 से बढ़ाकर 15 हजार करने की अनुशंसा की थी। बताया जाता हैै कि राज्य के वित्त विभाग ने इस अनुशंसा को स्वीकार कर लिया है। उम्मीद की जा रही है कि विधानसभा के इसी सत्र में विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जाएगा। जाहिर है कि अपना वेतन बढ़ाने के मुद्दे पर सभी दलों के विधायक एक हो जाएंगे।
11 करोड़ का भार : विधायकों क वेतन भत्ते बढ़ाने एवं पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाने से राज्य सरकार के खजाने पर लगभग 11 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का अतिरिक्त भार बढऩे की संभावना है।
विरोध भी : कांग्रेस के विधायक डा. गोविन्द सिंह ने विधायकों के वेतन भत्ते बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है। डा. सिंह का कहना है कि सभी विधायक यदि सादगी का जीवन जिएं तो हर महिने 35000 हजार रुपए कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मप्र गरीब प्रदेश है और विधायकों को सेवा का भाव रखना चाहिए न कि सुविधाएं लेने का।
हर विधायक अमीर नहीं है : दूसरी ओर कांग्रेस के विधायक चौधरी राकेश सिंह का कहना है कि मप्र के 60 प्रतिशत विधायक गरीब हैं तथा अभी जो वेतन मिल रहा है उससे पूर्ति नहीं होती। उन्होंने वेतन भत्ते बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि - बिना वेतन भत्ते बढ़ाए विधायक अपने क्षेत्र में भ्रमण भी नहीं कर सकता, क्योंकि डीजल बहुत महंगा हो गया है।
स्वार्थी हो गए हैं विधायक : मप्र विधानसभा के पूर्व सचिव विश्वेन्द्र मेहता का कहना है कि विधायकों का वेतन बढ़ाने के बजाय उन्हें केवल मंहगाई भत्ता बढ़ाकर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब विधायकों में सेवा की भावना के बजाय स्वार्थ की भावना ही दिखती है। विधायक बनने के बाद से ही वे अपने लिए प्लाट, मकान आवंटित कराने एवं सुविधाएं बटोरने के चक्कर में लग जाते हैं। जिस सेवा के उद्देश्य से वे विधायक बने हैं, वह भावना तो कहीं दिखती ही नहीं है।
वर्तमान में मप्र के विधायकों के वेतन भत्ते
वेतन : 9000
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता : 12000
टेलीफोन भत्ता : 7000
लेखन एवं डाक भत्ता : 2000
अर्दली भत्ता : 2000
चिकित्सा भत्ता : 3000
कुल वेतन : 35000
विधायकों के प्रस्तावित वेतन भत्ते : 55000
पूर्व विधायकों को पेंशन व भत्ते वर्तमान में : 9000
पूर्व विधायकों को प्रस्तावित वेतन भत्ते : 15000
सांसदों के वेतन भत्ते
राज्यसभा : 57000
लोकसभा : 56000
अन्य राज्यों में विधायकों के वेतन भत्ते
छत्तीसगढ़ : 28500
हिमाचल प्रदेश : 55000
गुजरात : 31000
राजस्थान : 29000
दिल्ली : 16000
तमिलनाडू : 20000
केरल : 15300
उत्तरप्रदेश : 30000
बिहार : 22000
हरियाणा : 55500
कर्नाटक : 44000
पंजाब : 25000
आंध्राप्रदेश : 43000
झारखंड़ : 26800
पश्चिम बंगाल : 8000
मिजोरम : 21000
त्रिपुरा : 17300
आसाम : 32300
उड़ीसा : 21950
Tuesday, March 16, 2010
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