Wednesday, April 14, 2010

 आचार्यश्री की पे्ररणा से बचेंगी दस हजार गाय


    सागर में लगेगा चार सौ करोड़ का दूध प्लांट लगाने की तैयारी
    रवीन्द्र जैन
    भोपाल। जैनसंत आचार्यश्री विद्यागसागर जी महाराज की प्ररेणा से मप्र के सागर जिले में दस हजार गाय बचाने के लिए जैन समाज ने अमूल की तर्ज पर चार सौ करोड़ की लागत से शांतिधारा दुग्ध योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। जैन समाज बुंदेलखण्ड के गरीब किसानों को आधी कीमत पर गाय देगा और उसका दूध खरीदकर किसान को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस योजना के प्रथम चरण में पचास करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं। इसके लिए सागर जिले के बीना बाराह क्षेत्र में 94 एकड़ भूमि क्रय की जा चुकी है।
    आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज इस समय संघ सहित बीना बाराह क्षेत्र में विराजमान हैं। उन्होंने महावीर जयंती के अवसर पर जैन समाज को अहिंसा का संदेश देते हुए गाय को बचाने का आव्हान किया था। उसी दिन जैन समाज के चार युवाओं संजय जैन मैक्स इंदौर, अशोक जैन चावल व आनंद सिंघई जबलपुर, मनीष नायक दमोह ने आचार्यश्री के चरणों में बैठकर बुंदेलखण्ड में समाज के सहयोग से दस हजार गायों को बचाने का संकल्प लिया। आचार्यश्री ने इस योजना को शांतिधारा दुग्ध योजना नाम दिया है। इस योजना के लिए समाज ने बीना बारहा में 94 एकड़ भूमि क्रय कर ली है। योजना के तहत सागर, दमोह, जबलपुर, छतरपुर, टीकमगढ़, आदि जिलों के ऐसे गरीब किसनों, जो गाय पालना चाहते हैं उन्हें जैन समाज लगभग आधी कीमत पर दुधारू गाय खरीदकर देगा। जो किसान गाय लेगा व उसे पालने की जिम्मेदारी लेगा उसे दुग्ध योजना के लाभांश का हिस्सेदार बनाया जाएगा। इन किसानों से दूध एकत्रित कर बीना बाराहा में लगने वाले प्लांट में लाया जाएगा, जहां से शंतिधारा के नाम से पैकेट तैयार कर बाजार में बेचने भेजा जाएगा।
    जैन समाज ने आपस में प्रति गाय दान के रुप में 21 हजार रुपए की राशि तय की है और अभी तक इस योजना के लिए 3 करोड़ से अधिक की राशि एकत्रित हो चुकी है। जैन समाज के लोगों ने 15 सौ गायों के वितरण के लिए राशि भी जमा कर दी है। बीना बाराहा में दूध का प्लांट लगाने के लिए जैन समाज के युवाओं ने दो बार गुजरात में अमूल उद्योग का दौरा कर लिया है। 15 अप्रेल को इस संबंध में विशेषज्ञों की टीम बीना बाराहा पहुंच रही है। संजय मैक्स के अनुसार अगले साल अप्रेल तक यह प्लांट  तैयार होकर उत्पादन प्रारंभ होना है। आचार्यश्री की इस योजना में जैन समाज के ऐसे लोगों ने भी रुचि दिखाई है जो पहले से ही दूध के व्यवसाय में हैं। उनके अनुभवों का भी लाभ लिया जा रहा है। इस योजना की बचत राशि को पूरी तरह गाय पालने वाले किसानों में वितरित किया जाएगा, ताकि उनमें गाय पालने के प्रति रुचि बढ़ सके।
गौशाला भी : इसके अलावा बीना बाराहा में ऐसी गायों के लिए गौशाला भी बनेगी जो दूध नहीं देती। गायों को कंसाई से बचाने एवं उसे किसानों के लिए लाभ दायक बनाने का प्रयास है।
   

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