Wednesday, April 14, 2010

मछली घर टूटेगा, बनेगा होटल



 साथ में विधानसभा का पुराना भवन फ्री
    रवीन्द्र जैन
    भोपाल। भोपाल का प्रसिद्ध मछली घर अब कुछ दिनों ही देखने मिलेगा। राज्य सरकार ने इसे बेचकर वहां सात सितारा होटल बनाने का अंतिम निर्णय ले लिया है। इसे खरीदने देश की चार बड़ी कंपनियां आगे आईं है। सरकार ने इस भूमि की कीमत 12 करोड़ रुपए एकड़ तय कर दी है, जो कंपनी ज्यादा बोली लगाएगी उसे यह भूमि मिल जाएगी। साथ में पुराना विधानसभा भवन फ्री मिलगा जहां कन्वेशन सेंटर बनाकर उक्त कंपनी ही उसका संचालन करगी। होटल के अलावा इस स्थान पर एक लाख वर्गफीट क्षेत्र में दुकानें, रिटेल मार्केट एवं तीन लाख वर्गफीट क्षेत्र में ऑफिस व गेस्ट हाउस बनाने की अनुमति दी जाएगी।
     मुख्य सचिव अवनि वैश्य ने इस योजना में आने वाली सभी रुकावटों को दूर करते हुए, उन सभी आपत्तियों को निराकरण कर दिया है जो गृह एवं वित्त विभाग ने लगाईं थीं। 30 मार्च मुख्यसचिव की अध्यक्षता में हुई साधिकार समिति की बैठक की कार्यवाही पर सोमवार को हस्ताक्षर कर दिए गए हैं। उक्त भूति के सामने राजभवन होने के कारण गृह विभाग ने यहां होटल बनाने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराई थी। मुख्यसचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि राजभवन की ओर एक भी खिड़की दरवाजा नहीं होगा। इसके अलावा पहले 7.71 एकड़ भूमि की कीमत वसूलने का प्रस्ताव था, लेकिन अब 5.11 एकड़ भूमि की कीमत 12 करोड़ निर्धारित की गई है। अब किसी भी क्षण इस परियोजना के लिए कंपनी का चयन किया जा सकता है।
क्या है योजना : पुरानी विधानसभा भवन एवं उसके आसपास के 5.53 एकड़ भूमि पर सर्वसुविधा युक्त विशाल कन्वेशन सेंटर बनेगा। इस भवन में 700 लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी। इस भवन के पास मछली घर की 5.11 एकड़ भृूमि पर सात सितारा होटल व रिटेल सेंटर, ऑफिस कॉम्पलेक्स, गेस्ट हाउस आदि बनाने की योजना है। राज्य सरकार ने इस योजना के मप्र लघु उद्योग निगम को अधिकृत एजेंसी नियुक्त किया है। होटल दो सौ कमरों का होगा।
यह कंपनियां हैं दौड़ में : देश की 11 कंपनियों ने इस परियोजना में रुचि दिखाई थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने केवल चार कंपनियों का चयन किया है।
    1 - रेमकी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, हैदराबाद
    2 - पाग ग्रोव बीच होटल्स प्रा. लि. मुम्बई
    3 - सोमा इंटरप्राइजेस लिमिटेड, हैदराबाद
    4 - जयप्रकाश एसोसियेट़स लिमिटेड, नोयडा

    इस परियोजना की तीन वर्ष पहले लागत 350 करोड़ थी, जो कि अब बढ़कर लगभग साढ़े पांच सौ करोड़ तक पहुंचने की संभावना बताई जा रही है।
दस प्रतिशत लाभ सरकार का : मप्र लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष विपिन दीक्षित का कहना है कि - इस पूरी परियोजना के लिए भूमि एवं भवन तीस वर्ष के लिए लीज पर दिया जा रहा है, बाद में राज्य सरकार इस लीज को तीस तीस साल के लिए दो बार बढ़ा भी सकती है। इस परियोजना के लाभ में दस प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार का होगा। राज्य सरकार इसमें से दो प्रतिशत मप्र लघु उद्योग निगम को देगी।
14 किश्तों में होगा भुगतान : इस परियोजना को लेने वाली कंपनी दस प्रतिशत ब्याज के साथ भूमि की कीमत 14 वर्ष में सरकार को देगी।

    मुख्य बिन्दु

   
    - पुराने विधानसभा भवन में बनेगा कन्वेशन सेंटर।
    - विभिन्न साईज के सर्व सुविधायुक्त सभा कक्ष बनेंगे।
    - मुख्य हॉल में सात सौ लोगों के बैठकें की व्यवस्था रहेगी।
    - मछली घर के स्थान पर बनेगा होटल, इसमें दो सौ कमरें होंगे
    - इसके पास की भूमि पर चार लाख वर्गफीट बिल्टअप एरिया की अनुमति।
    - इसमें एक लाख वर्गफीट में रिटेल सेंटर बनेगा।
    - शेष तीन लाख वर्गफीट में ऑफिस एवं गेस्ट हाउस बनेंगे।
    - सुरक्षा कारणों से राजभवन की ओर एक भी खिड़की दरवाजा नहीं होगा।
    - छोटी झील की ओर बनेगा मुख्य प्रवेश द्वार।
    - छोटी झील की सड़क होगी चौड़ी।
    - ओपन भूमि की कीमत 12 करोड़ के हिसाब से वसूली जाएगी।
    - यह कीमत 14 वर्षों में दस प्रतिशत ब्याज के साथ कुल 128 करोड़ 50 लाख होगी।
    - कन्वेशन सेंंटर का संचालन भी उक्त कंपनी करेगी।
    - पूरी परियोजना के लाभ में से दस प्रतिशत राशि पर राज्य सरकार का हक होगा।
    - राज्य सरकार दो प्रतिशत लाभ मप्र लघु उद्योग निगम को देगी।

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