Friday, April 9, 2010


  स्पीकर ने प्रमुख सचिव से
  मांगा जन्म का प्रमाणपत्र
 



  बिना मार्कशीट के नौकरी कर रहे हैं पयासी
    
सीताराम ठाकुर
 
  भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में पहली बार स्पीकर को अपने ही प्रमुख सचिव से उनके जन्मदिन का प्रमाण मांगना पड़ रहा है। दरअसल यह कार्यवाही इसलिए हो रही है कि विधानसभा सचिवालय में अभी तक प्रमुख सचिव की जन्मतिथि से संबंधित कोई ऐसा दस्तावेज नहीं है जिसके आधार पर उनकी सेवानिवृति का निर्णय लिया जाए। फिलहाल प्रमुख सचिव ने इस संबंध में कोई जबाव नहीं दिया है।
    पयासी ने अपनी नौकरी की शुरूआत नगर पालिका में साधारण कर्मचारी के रुप में की थी। वे तरक्की पाते पाते भोपाल नगर निगम में उपायुक्त अधिकारी के रुप में आए और फिर उनकी सेवाएं भोपाल नगर निगम में मर्ज हो गईं। विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर श्रीनिवास तिवारी की कृपा से वे विधानसभा की सेवा में पहले प्रतिनियुक्ति पर आए बाद में वे विधानसभा में ही मर्ज हो गए। तिवारी की कृपा से ही पयासी प्रमुख सचिव तक बन गए। पयासी तो विधानसभा में आ गए, लेकिन उनकी सर्विस बुक का प्रथम भाग आज तक विधानसभा सचिवालय में नहीं है। इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर विधानसभा सचिवालय का कहना है कि - पयासी की सेवाएं नगर निगम से प्रतिनियुक्ति पर ली गईं, लेकिन उनकी सेवा पुस्तिका का प्रथम भाग उपलब्ध नहीं है।
    पयासी ने विधानसभा सचिवालय को अपनी जन्मतिथि 8 मई 1951 बताई है, लेकिन इसका कोई भी प्रमाण नहीं दिया है। उन्होंने विधानसभा सचिवालय में अपनी जो अंक सूचियां दी हैं उनकी सत्यता को लेकर भी भ्रम की स्थिति बना हुई है। बताते हैं कि पिछले दिनों स्वयं पयासी ने अपने सेवानिवृति के सवा साल पहले ही स्थापना शाखा से अपने पेंशन संबंधी नस्ती तैयार कराई। जैसे ही यह नस्ती विधानसभा में चली कई अधिकारियों के कान खड़े हो गए। एक अधिकारी ने नस्ती पर टीप लगाई कि - पयासी से उनके जन्म संबंधी प्रमाण के रुप में कक्षा 11 की मार्कशीट मांगी जाए। यह फाइल स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी के पास पहुंचीं तो उन्होंने प्रमुख सचिव को इस संबंध में प्रमाण देने को लिखा। लेकिन पयासी ने इस फाइल को अपने पास रख लिया है।
क्या नकली है मार्कशीट? : विधानसभा सचिवालय में पयासी की कक्षा 11 की मार्कशीट न होने के कारण तरह तरह की अटकलें शुरू हो गई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि पयासी की कक्षा 11 की मार्कशीट नकली है और उसी मार्कशीट के आधार पर उन्होंने नगर पालिका में नौकरी पाई थी। इस संबंध में पयासी स्वयं मुंह खोलने को तैयार नहीं है। वे कहते हैं कि उन्हें जो कहना है वे स्पीकर से कहेंगे।
पत्नी की जानकारी भी छुपाई : शासकीय नियमों के अनुसार प्रत्येक शासकीय सेवक को अपनी पत्नि के व्यवसाय एवं उनकी आय से संबंधित जानकारी देना अनिवार्य है। लेकिन पयासी ने अपनी पत्नि कमलेश पयासी से संबंधित जानकारी भी विधानसभा सचिवालय से छुपाई है। दरअसल पयासी की पत्नि कमलेश पयासी रमाकांत पब्लिकेशन प्रा. लि. की संचालक हैं। उनकी यह कंपनी उन साहित्यिक पुस्तकों का प्रकाशन एवं विक्रय करती है जो पुस्तकें पयासी स्वयं लिखते हैं। ग्वालियर के कंपनी रजिस्ट्रार की अधिकृत जानकारी के अनुसार इस कंपनी का कार्यालय निशात कॉलेानी भोपाल के उस मकान में है जहां इस कंपनी के सीए का निवास है। यह भी आरोप है कि जो सरकारी विभाग पयासी की पुस्तकों को थोक में क्रय करते हैं उनके खिलाफ विधानसभा में आने वाले प्रश्रों को अस्वीकृत कर दिया जाता है।

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