Tuesday, May 11, 2010

उज्जैन में खोद डाली क्षिप्रा नदी

जिला न्यायाधीश की रिपोर्ट कोर्ट में पेश









रवीन्द्र जैन

इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर उज्जैन के जिला एव सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी है। इस रिपोर्ट की कॉपी राज एक्सप्रेस के पास मौजूद है। रिपोर्ट में राज एक्सप्रेस की उस खबर की पुष्टि होती है, जिसमें कहा था कि ईंट माफिया ने उज्जैन में क्षिप्रा नदी को इस कदर खोद डाला है कि यह नदी कभी भी अपना बहाव बदल सकती है।

हिन्दुओं के लिए आस्था का केन्द्र क्षिप्रा नदी पर आए संकट को लेकर राज्य सरकार अभी भी सोई हुई है। उज्जैन में भाजपा नेता अशोक प्रजापति और उनके समर्थकों ने नदी को बुरी तरह खोद डाला है। उज्जैन शहर में ही सात किलोमीटर क्षेत्र में नदी के किनारों से मिट्टी खेद खेद कर ईंटे बनाई जा रही हैं। नदी के किनारे इस कदर खेद दिए गए हैं कि नदी का बहाव बदल सकता है। इसके अलावा इन ईंट भट्टों के कारण नदी में प्रदूषण की गंभीर स्थिति बन गई है। हिन्दुओं के पवित्र नगर उज्जैन में क्षिप्रा नदी को बचाने के लिए एक मुसलमान बाकिर अली पिछले कई वर्षों से हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। अली की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने उज्जैन जिला एवं सत्र न्यायाधीश गिरीश कुमार शर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था, जिसमें उज्जैन के कलेक्टर, मप्र विद्युम मंडल के मुख्य अभियंता, जिला पंचायत अध्यक्ष, डेडिया गांव के सरपंच के अलावा याचिकाकर्ता बाकिर अली को शामिल किया गया था।

इस कमेटी ने उज्जैन शहर के आसपास ग्राम डेडिया ङ्क्षमडिया से लेकर कालिया देह तक का भ्रमण करके क्षिप्रा के किनारों की दुर्दशा का विवरण अपनी रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट पर उज्जैन के कलेक्टर के हस्ताक्षर भी हैं जिन पर क्षिप्रा को प्रदूषण से बचाने की जिम्मेदारी है। रिपोर्ट में कुल 12 बिन्दुओं पर मत दिया गया है।

1 - ग्राम डेडिया मिंडिया से लेकर कलिया देह तक क्षिप्रा नदी के किनारे तथा सड़क के किनारे ईंट के भट्टे संचालित होना पाए गए, जो कई स्थानों पर सड़क के दोनों किनारों तथा क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर संचालित होना पाए गए, जिनके संबंध में चित्र भी खिंचवाए गए हैं और वीडियो भी कराई गई है।

2 - निरीक्षक के दौरान यह पाया गया कि कोयले की चूरी तथा राख, जो छूने में पाउडर जैसी थी, खुली हुई दशा में पाई गई, जो पैदल चलने मात्र से भी उडती थी, इससे बनने वाली काले रंग की ईंट तथा साधारण मिट्टी से बनी हुई पीली ईंट निर्माणाधीन पाई गईं।

3 - खान नदी जो क्षिप्रा नदी में मिलती है, इसके किनारे पंप लगाकर पाइप डालकर पानी लिया जाना पाया गया। यहां पर भी पदी के किनारे मिट्टी से कटाव के कारण किनारे के पेड़ जड़ से नदी की आरे गिरे हुए पाए गए तथा 200 मीटर के अंदर ईंट भट्टे पाए गए।

4 - उज्जैन-इंदौर के बीच निर्माणाधीन फोर लेन सड़क से लगे हुए ईंट भट्टे संचालित होना पाया

गया, जहां इस सड़क और इसके सामान्तर कुछ दूरी पर बहती हुई क्षिप्रा नदी के दूसरे छोर पर नदी किनारे ईंट भट्टे दिखाई दिए।

 5 - फोर लेन सड़क के दूसरे किनारे पर भी 2-3 ईंट भट्टे मौजूद होना पाए गए, जहां ईंट के ढेर तथा राख मौजूद होना पाया गया। इस सड़क और इसके समानान्तर कुछ दूरी पर बहती हुई क्षिप्रा नदी के दूसरे छोर पर नदी किनारे ईंट भट्टे दिखाई दिए।

6 - नदी के किनारे संचालित होने वाले ईंट भट्टों में से दो- एक भट्टों के पास से गुजरने पर ईंट पकाने की तीव्र गंध आ रही थी।

7 - क्षिप्रा नदी के किनारे कुछ जगहों पर सांचे का इस्तेमाल कर कच्ची ईंट बनाने के लिए भूमि को समतल किया गया था, जिसके लिए क्षिप्रा नदी के किनारे समतल की गई मिट्टी से भराव किया गया था।

8 - क्षिप्रा नदी के किनारे बने हुए रिहायसी मकानों की ओर ईंट भट्टों से उड़ता हुआ धुंआ जाता हुआ देख गया।

9 - क्षिप्रा नदी के किनारे खेत कटे हुए पाए गए, जो वहां से मिट्टी खोदने के कारण खड़े आकार में काटे हुए थे, जिससे इन खेतों के पड़ोस के खेतों की मिट्टी बारिश में बहकर क्षिप्रा नदी में डलेगी, तब तक जब तक कि निकाली गई मिट्टी से बना गढ्ढा भर नहीं जाता।

10 - क्षिप्रा नदी के किनारे दो मोटर पानी में रखी हुईं पाई गईं, जो पाइप लाईन से जुड़ी हुईं थीं, और बिजली कनेक्शन लगा हुआ था। निरीक्षण के दौरान भी मोटरों के काफी दूर डायरेक्ट बिजली के तार डले हुए पाए गए।

11 - निरीक्षण के दौरान सड़क से 50 फीट की दूरी तक ईंट भट्टों का संचालन होना पाया गया, जो संचालन प्रस्तुत चित्रों के अनुसार कई जगहों पर दोनों आरे संचालित होना पाया गया।

12 - निरीक्षण के दौरान चिमनी वाले ईंट भट्टे क्षिप्रा नदी के किनारे शहर के नजदीक संचालित होना पाया गया।



इनका कहना है :



क्षिप्रा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए कई वर्षों से होईकोर्ट में लड़ रहे बाकीर अली का कहना है कि हिन्दुओं की पार्टी होने का दम भरने वाली भाजपा को मेरा साथ देना चाहिए था, लेकिन उसके नेता ही प्रतिदिन लाखों रुपए कमाने के लालच में क्षिप्रा नदी के महत्व को भूल गए। जिला जज की रिपेार्ट के आधार पर अब हाईकोर्ट कुछ भी निर्णय लें, लेकिन मैं पहली लड़ाई जीत गया हूं।



कैसे खोद डाली क्षिप्रा नदी :

भाजपा नेता व पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया के खास समर्थक अशोक प्रजापति को मप्र सरकार ने मालवा माटी बोर्ड का चेयरमेन बनाया है। उन्होंने पैसे के लालच में नदी किनारे पांच सौ से ज्यादा ईंट भट्टे बनवाकर प्रतिदिन हजारों ईंटे नदी किनारे बनाना शुरू कर दिया। इससे नदी में प्रदूषण बढ़ गया। उज्जैन से ईंटे इंदौर सहित प्रदेश के कई हिस्सों में जाती हैं।

1 comment:

  1. शर्म की बात है लानत है ऐसे नेताओं पर धन्यवाद उन सज्जन का जिन्होंने इस मसले को उठाया

    मध्य प्रदेश सरकार को भी लानत है--

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