सौ दूकानें स्वाहा, पच्चीस करोड़ का नुकसान
सात सिलेण्डर फटने से हुआ भारी नुक्सान
ग्वालियर के प्रसिद्ध महाराज बाड़ा स्थित विक्टोरिया मार्केट में रात दो बजकर दस मिनट पर भड़की आग ने करोड़ों का नुकसान कर दिया। आगजनी की घटना से एक सौ चार दुकानें स्वाहा हो गईं हैं। आग को काबू करने के लिए तीन सौ पचास से अधिक गाडिय़ों को लगाया गया। राहत कार्य में सेना और बीएसएफ की भी मदद की। इस अग्निकाण्ड में प्रभावित हुए दुकानदारों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक सौ पांच साल पुरानी इमारते के ढहने से पूरा ग्वालियर शहर शोक में डूबा हुआ है। जिला प्रशासन ने प्रभावित दूकानदारों को 21-21 हजार रुपए की मदद देने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने इसे बेहद कम बताते हुए ठुकरा दिया है। गृहराज्य मंत्री ने आगजनी की घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के आदेश दिए हैं।
रवीन्द्र जैन
ग्वालियर। विक्टोरिया मार्केट में लगी आग को काबू में करने के लिए सेना और बीएसएफ की दमकल गडिय़ों काफी मशक्कत की। आग के लगने का कारण शार्ट सर्र्किट बताया जा रहा है। ऐतिहासिक इमारत के जिस हिस्से को आग से अपनी चपेट में लिया उस हिस्से में सात सिण्लेडर एक सात फटे जिससे इमारत धराशायी हो गई। इस इमारत का निर्माण 1905 में ग्वालियर के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया द्वितीय ने महारानी विक्टोरिया की याद में कराया था।
विक्टोरिया मार्केट में आग रात 2 बजकर 10 मिनट पर लगी। आग की लपटें जो शुरू हुई तो बढ़ती गई। धीरे-धीरे आग पूरे मार्केट में फैल चुकी थी। एक ओर जहां लपटें उठ रही थी तो दूसरी और मार्केट के भीतर स्थित चाट मार्केट में रखे सिलेंडरों से एक के बाद एक विस्फोट हो रहा था। लगभग आठ से दस सिलेंडर फट गए जिस कारण ऐतिहासिक इमारत का काफी हिस्सा ढह गया। इस भीषण आग पर शनिवार को दोपहर बारह बजे तक नियंत्रण पाया जा सका। हादसे में लगभग 25 करोड़ के नुक्सान का अनुमान लगाया गया है। आग की सूचना पाकर गृहराज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, महापौर समीक्षा गुप्ता, कलेक्टर आकाश त्रिपाठी, आईजी अरविंद कुमार, डीआईजी आलोक रंजन सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे।
चौैकी पर पसरा था सन्नाटा
आग की लपटों को देखकर इमारत का चौकीदार व कुछ लोग जब महाराज बाड़ा चौकी पर पहुंचे तो चौकी के तीनों दरवाजे और खिड़किया अंदर से बंद थी। चौकी में मौजूद पुलिसकर्मी आराम की नींद सो रहा था। एकदम मार्केट के सामने बनी पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी चौकन्ना होता तो शायद इतना बड़ा हादसा होने से बच जाता।
बच गए पड़ोस के मकान
फायर ब्रिगेड की जो गाडिय़ा आग बुझाने के लिए बाद में पहुंचीं उनकी वजह से मार्केट के पड़ोस में बने कई मकान बच गए। हालांकि यह फायर ब्रिगेड गाडिय़ां मार्र्केट को खाक होने से नहीं बचा सकीं लेकिन मार्केट के आस-पास बने करोड़ों रुपए की लागत के मकान को बचाया जा सका। एक तरफ जिनकी संपत्तियां खाक होने से बच गईं उन्हें खुशी थी वहीं दूसरी और उन दुकानदारों के आंसू नहीं रूक रहे थे जिनकी मेहनत की कमाई खाक हो चुकी थी।
इमारत की विशेषता : विक्टोरिया मार्केट इंडो यूरोपियन स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना थी। इस भवन के चारों ओर बड़ी बड़ी घड़ी लगी हुई थीं। इस भवन में पहले केवल फल एवं मावे की दूकानें थीं जहां केवल कुलीन वर्ग के लोग ही खरीदारी करने आते थे। आजादी के बाद यहां किताबों की दूकानें खुल गई थीं। 1956 में मप्र बनने के बाद इस भवन पर नगर निगम का कब्जा हो गया था। इस भवन पर मालिकाना हक को लेकर दूकानदार, नगर निगम व पुरातत्व विभाग में विवाद चलता रहा है। बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने दूकानदारों के हक में फैसला दिया था।
विक्टोरिया मार्र्केट पर एक नजर
* 1905 में बनी विक्टोरिया मार्केट
* 1956 में नगर निगम को किया सुपुर्द
* 1960 में दुकाने हुई संचलित
* 147 दुकानें थी मार्केट में
* 104 दुकानें जलकर हुई खाक
* 92 दुकानें नगर निगम के मुताबिक क्षतिग्रस्त
आग पर एक नजर
* 4-5 जून की दरम्यानी रात को लगी आग
* 2 बजकर 10 मिनट पर लगी आग
* 20 घंटे तक आग नहीं हुई ठंडी
* 320 कर्मचारी लगे आग बुझाने में
* 350 गाडिय़ां लगी आग बुझाने में
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