6 दिसम्बर 1992 : कैसे घटी घटनाएँ
9 बजे सुबह : डॉ. मुरली मनोहर जोशी,
लालकृष्ण आडवाणी विजयाराजे सिंधिया, सुंदरसिंह भंडारी आदि नेता जानकी महल से विवादित परिसर के लिए रवाना। सरयू नदी की मिट्टी लेकर बड़ी संख्या में कारसेवक परिसर की ओर बढे़।
10 बजे : विवादित स्थल के आसपास लाखों कारसेवकों का सैलाब उमड़ा। उत्तेजक नारेबाजी शुरू।
10.15 बजे : आरएसएस नेता होवे शेषाद्रि, कुसी सुदर्शन, महंत अवैद्यनाथ, रामचंद्र दास परमहंस, स्वामी वामदेव, स्वामी चिन्मयानंद तथा स्वामी वासुदेवानंद आदि शिलान्यास स्थल पर पहुँचे। पूजा-पाठ की तैयारियाँ शुरू हुईं।
10.30 बजे : मानस भवन की ओर से युवा कारसेवकों को रेला हंगमा करने पर अड़ा। वे परिसर की ओर आना चाहते थे। व्यवस्था में लगे लोगों से उनकी झड़प के बाद स्थिति बेकाबू हुई।
11.30 बजे : विश्वेष तीर्थ उडुपी के आगमन के बाद युवा कारसेवकों ने काफी हंगामा मचाया और नारेबाजी के साथ कारसेवक आसपास के क्षेत्र में घेरा बनाने लगे।
11.45-11.50 बजे : 150 कारसेवकों ने अचानक घेरा तोड़ दिया और पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। इसी तरह करीब एक हजार कारसेवक भीतर घुस आए। करीब 80 कारसेवक मस्जिद के गुंबद पर चढ़ गए और उसे नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया। परिसर में अराजकता शुरू।
11.54 बजे : कारसेवकों का परिसर पर कब्जा। ढाँचे के आसपास करीब 75000 कारसेवकों का घेरा। दबाव और तनाव दोनों बढ़ा।
12 बजे : सैकड़ों कारसेवकों ने तीनों गुंबदों के शिखर पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया और उत्तेजक नारेबाजी शुरू। शेषावतार मंदिर की ओर से कारसेवकों ने प्रवेश किया।
12.03 बजे : हालत नियंत्रण से बाहर। पूरे परिसर पर कारसेवकों ने कब्जा जमा लिया। सुरक्षा बल किनारे हट मौन दर्शक बने।
12.10 बजे : केंद्रीय गृहसचिव ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों से वार्ता कर उत्तर प्रदेश सरकार से संपर्क किया कि हालत नियंत्रण से बाहर हो रहा है लिहाजा केंद्रीय अर्धसैन्य बलों का प्रयोग किया जाना चाहिए। पर प्रदेश के अधिकारियों ने कहा कि इस बाबत वे मुखयमंत्री से आदेश प्राप्त करना चाहेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री ने भी मुख्यशमंत्री से बातचीत की।
12.10 बजे : ढाँचा तोड़ा जाने लगा। इसके बाद आसपास से काफी संख्या में हथौडे़ छैनी, छड़े, फावडे़, हथोडे़ आदि से ढाँचे को क्षतिग्रस्त किया जाने लगा। शेषाद्रि और अन्य नेताओं ने उनको शांत करने की अपील तो की पर इसे किसी ने नहीं सुना। देसी-विदेशी मीडिया और खास तौर पर फोटो पत्रकारों पर कारसेवकों का हमला। उनके साथ लूटपाट की गई और कैमरे आदि छीने गए।
12.11 बजे : ढाँचे के सामने लगी लोहे की छड़ों को रस्सी से बाँधकर तोड़ा गया।
12.37 बजे : मीर बाँकी के शिलालेख तोड़ा गया।
12.38 बजे : क्लोज सर्किट टीवी के टॉवर तोड़े गए। दक्षिण भारतीय महिलाएं भी ढांचा तोड़ने में जुटी।
12.45 बजे : राज्य सरकार ने कुल अर्ध सैन्य बल माँगा जो उनको उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन जब वे फैजाबाद से अयोध्या की ओर जा रहे थे उनकी स्थानीय अधिकारियों ने रास्ते से लौटा दिया। कहा गया कि उनको आदेश मिला है कि बल प्रयोग नहीं किया जाना है। करीब 2.15 बजे तक केंद्रीय बल वापस लौटे।
विशाल ढाँचा पाँच घंटे में ध्वस्त। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याणसिंह का इस्तीफा। उत्तरप्रदेश सरकार बर्खास्त, राष्ट्रपति शासन लागू। रामलला की मूर्तियाँ फिर से स्थापित करने के साथ प्लेटफार्म का भी निर्माण। बाद में एक दीवार भी बनाई गई और मूर्तियों के ऊपर एक छतरी भी।
Saturday, September 18, 2010
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