Tuesday, September 14, 2010

आंगनवाडिय़ों में अंडा देने पर बवाल

मंत्रिमंडल में जबरदस्त मतभेद, आज होगा निर्णय




रवीन्द्र जैन

भोपाल। मप्र की लगभग चौहत्तर हजार आंगनवाडिय़ों में 2 अक्टूबर से अंडा देने के प्रस्ताव को लेकर मप्र के मंत्रियों में ही जबरदस्त मतभेद सामने आ गए हैं। एक ओर महिला बाल विकास मंत्री रजंना बघेल सहित कुछ मंत्रियों का मानना है कि - गंभीर कुपोषित बच्चों को अंडा देने से उनका जीवन बचाया जा सकता है, दूसरी ओर ऐसे मंत्रियों की संख्या ज्यादा है जो अंडे को मांसाहार मानते हुए किसी भी हाल में आंगवाडियों में इसके वितरण के खिलाफ हैं और खुलकर इसका विरोध भी कर रहे हैं। इस संबंध में महत्वपूर्ण फैसला बुधवार को होने की संभावना है।

राज्य सरकार 2 अक्टूबर को गांधी जयंती से मप्र में अटल बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन योजना प्रारंभ करने जा रही है। राज्य महिला एवं विकास की वेबसाइट पर इस योजना के प्रारुप के बारे में लोगों से विचार मांगे गए हैं। योजना के प्रारुप में लिखा है कि प्रदेश की आंगनवाडियों में कुपोषित बच्चों को अंडे दिए जाएं। बताते हैं कि - यह प्रस्ताव विभागीय मंत्री रंजना बघेल का है। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के पांच मंत्रियों की एक उपसमिति का गठन किया है जो सभी मुद्दों पर विचार करके निर्णय लेगा कि प्रदेश की आंगनवाडियों में अंडे दिए जाएं या नहीं? उपसमिति में शामिल दो मंत्री गोपाल भार्गव एवं अर्चना चिटनिस अंडे देने के सख्त खिलाफ हैं। जबकि उपसमिति के सदस्य विजय शाह व रंजना बघेल ने इसके पक्ष में हैं। बुधवार को इस संबंध में दोपहर में मंत्रालय में इस उपसमिति की बैठक आयोजित की गई है। बैठक के पहले ही गोपाल भार्गव ने राज एक्सप्रेस से कहा कि - मप्र की स्थिति केरल, तमिलनाडू व आंध्राप्रदेश से भिन्न है, जहां के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।

इस संबंध में भोजन का अधिकार नामक एनजीओ से जुड़ी सामाजिक रौली शिवहरे का कहना है कि - मप्र में सबसे ज्यादा कुपोषण आदिवासी क्षेत्रों में जहां पहले से ही मांसाहार किया जाता है। उनके बच्चों को बचाने के लिए अंडा एकमात्र ऐसा तत्व है जिसमें एनर्जी सबसे ज्यादा होता है। रोली का कहना है कि - कुपोषित बच्चों को बचाने के लिए एनीमल प्रोटीन अंडे अथवा दूध से ही संभव है। चूंकि शुद्ध दूध मिलना संभव नहीं है, इसलिए एक ही उपाय है कि बच्चों की जान बचाने के लिए उन्हें अंडे दिए जाएं। गोपाल भार्गव का कहना है कि अंडे देने के बजाय सोयावीन से बने बिस्कुट, केले अथवा ऐसे ही विकल्प पर विचार करना उचित होगा। एक अन्य मंत्री जयंत मलैया का कहना है कि - अंडा शाकाहारी हो ही नहीं सकता और सरकार अपने यहां से मांसाहार वितरण करे, यह उचित नहीं है।

इनका कहना है :

शिवराज सिंह चौहान की सरकार में आंगनवाडियों में अंडों का वितरण संभव ही नहीं है। यदि ऐसा हुआ तो अनर्थ हो जाएगा।

- जैनमुनि तरूणसागर जी महाराज

2 अक्टूबर को गांधी जयंती है जिसे संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी विश्व अहिंसा दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की है, इस दिन से मप्र में हिंसा के प्रतीक अंडे का वितरण करना महात्मा गांधी के सिद्धांतों से मजाक है।

- विश्वेन्द्र मेहता, पूर्व विधानसभा सचिव



फैक्ट फाइल

मार्च 2010 के आंकड़े

- मप्र में कुल स्वीकृत आंगनवाडियां - 77109

- मप्र में कुल संचालित आंगनवाडियां - 74993

- मप्र में 0 से 6 वर्ष तक के कुल बच्चे - 9066553

- मप्र में जिन बच्चों को पोषण आहार दिया जा रहा है

0 से 3 वर्ष तक के - 3223167

3 से 6 वर्ष तक के - 2981504

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