Sunday, September 26, 2010

सीएम हाउस में गंूजते मंत्र और अजान



रवीन्द्र जैन

भोपाल। पिछले एक महिने से मुख्यमंत्री निवास में किसी धरने प्रदर्शन अथवा नारेबाजी के बजाय मंत्र भजन और अजान गंूज रहे हंै। पिछले एक माह की चार घटनाओं पर गौर करें तो पाएंगे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कभी अपने घर में रोजा अफ्तारी में व्यस्त रहे तो कभी तेज बुखार के बाद भी अपने निवास पर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर प्रसिद्ध गायक रवीन्द्र जैन के भजन कराते नजर आए। इसके बाद वे अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ भोपाल ताल में गणेश विसर्जन करते दिखाई दिए। इसके एक दिन बाद वे अपने ही घर में जैन समाज के साथ क्षमावाणी महोत्सव में डूबे दिखाई दिए।

यह सब कुछ अचानक नहीं हुआ है। दरअसल यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री बेहद तरीके से अपनी सरकार को सभी धर्मों से जोडऩे के काम में लग गए हैं। आने वाले समय में ऐसी गतिविधियां और भी बढऩे की संभावना है। जिस प्रकार मुख्यमंत्री चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में अपने निवास पर पंचायतों का आयोजन करके आम आदमी का दिल जीता और मप्र में पुन: सरकार बनाई उसी प्रकार इस बार मुख्यमंत्री ने सभी धर्मों के मानने वालों के दिल जीतने की कोशिश शुरू कर दी है। इस काम के लिए मप्र में तीर्थ एवं मेला प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है। इस प्राधिकारण को भारी भरकम बजट देने की भी तैयारी है, ताकि सभी धर्मों के मानने वालों तक सरकार अपनी पहुंच बना सके।

मुख्यमंत्री ने संस्कृति विभाग के संचालक श्रीराम तिवारी को तीर्थ व मेला प्राधिकारण के गठन का प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस प्राधिकरण के जरिए राज्य सरकार मप्र में भरने वाले लगभग 1400 मेलों व लगभग 150 बड़े तीर्थों पर यात्रियों को सुविधाएं देने का काम करना चाहती है। यानि सरकार ने मेलों के माध्यम से राज्य की संस्कृति और तीर्थों के माध्यम से धर्म से जुडऩे की तैयारी कर ली है। श्रीराम तिवारी इस बात को स्वीकार भी करते हैं कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि उनकी सरकार मेलों व तीर्थ स्थानों को हरसंभव सहयोग करें और इसके लिए सरकार के स्तर पर योजना बनाई जा रही है। तिवारी का कहना कि - राज्य सरकार मेलों के उद्देश्य और उसकी परंपरा के संबंध में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, इसी प्रकार तीर्थों पर होने वाली पूजन पद्धति से भी सरकार को कोई लेना देना नहीं है, लेकिन सरकार मेलों और तीर्थ पर पहुंचने वालों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्राधिकारण का गठन कर रही है।

तैयारी शुरू : वर्ष 1961 की जनगण्ना के साथ भारत में मेलों की जनगण्ना भी हुई थी। उसके हिसाब से मप्र में लगभग 1400 मेले लगते थे। पिछले पचास वर्षों में मेलों के स्वरुप में भारी परिवर्तन आया है। बताते हैं कि इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों से उनके जिलों मतें होने वाले वाले मेलों व तीर्थों की सूची मांगी जा रही है। इसके अलावा लेखक अयोध्याप्रसाद गुप्त की पुस्तक मप्र के मेले और तीज त्यौहार से भी जानकारी जुटाई जा रही है।



इनका कहना है :

मुख्यमंत्री निवास पर धार्मिक कार्यक्रम होने से वहां की पवित्रता बढ़ती है।

शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री

राज्य सरकार ने प्रदेश में लगने वाले लगभग 1400 मेलों व लगभग 150 तीर्थो के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए तीर्थ व मेला प्राधिकरण के गठन का निर्णय लिया है। सरकार केवल सहयोगी की भूमिका में रहेगी। इनमें हस्तक्षेप कतई नहीं करेगी।

श्रीराम तिवारी
संचालक, संस्कृति विभाग मप्र

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