Monday, September 6, 2010
न्यायमूर्ति पीयूष माथुर के त्यागपत्र से उठे सवाल
विधि आयोग की रिपोर्ट पर एक बार फिर तेज हुई बहस-क्या हाईकोर्ट जज को गृहनगर में पदस्थ रहना चाहिए?
कौशल मुदगल
ग्वालियर। क्या हाईकोर्ट जज की पदस्थापना उनके गृहनगर या ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जहां उन्होंने वकालात की प्रैक्टिस की हो? मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच के जज पीयूष माथुर द्वारा सेवाकाल पूर्ण करने से बारह वर्ष पहले ही पद से त्यागपत्र देने के बाद न्यायिक जगत में इस प्रकार के कई सवाल खड़े हो गए हैं। बेशक श्री माथुर ने अपने त्यागपत्र के संबंध में सार्वजनिक रुप से कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उनके शुभचिन्तक व नजदीकी लोगों का कहना है कि पारिवारिक कारणों क चलते श्री माथुर अपने गृह नगर इंदौर में पदस्थापना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने निर्धारित सेटअप को स्थानातंरण आवेदन भी दिया था, लेकिन उन्हें इंदौर में पदस्थ नहीं किया गया तो उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
इस त्यागपत्र से न्यायिक जगत में सवाल उठ गया है कि क्या हाईकोर्ट के जजों को उनके उस गृह नगर पदस्थ किया जाना चाहिए, जहां उन्होंने वर्षों से वकालत की हो और जहां उनके अनेक दोस्त व विरोधी रहते हो? यहां बता दें कि माथुर ने 17 फरवरी 1984 से 14 अक्टूबर 2009 तक इंदौर हाईकोर्ट में पे्रक्टिस की है। संभावत: इसीलिए उनकी पदस्थापना इंदौर नहीं हो पा रही थी। लेकिन मप्र में क्या यह नियम अन्य न्यायाधीशों पर भी लागू हो सकेगा? मप्र में पहले भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ चुकी है। इस बहाने भारत के विधि आयोग की ताजा रिपोर्ट पर भी फिर ये चर्चा तेज हो गई है जिसमें ऐसे जजों को अंकल जज कहा गया है, लेकिन इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया गया। जिसे वरिष्ठ अभिभाषक गलत भी मान रहे हैं।
आयोग के सुझाव : भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एआर लक्ष्मनन ने 5 अगस्त 2009 को देश के कानून मंत्री को सौंपी अपनी 230 वीं रिपोर्ट में स्पष्ट व निष्पक्ष न्याय के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर जो मापदंड अपनाने का सुझाव दिया है उसमें उन्होंने किसी भी जज को ऐसे कोर्ट में पदस्थ न करने की सलाह दी है जहां संबंधित जजों ने स्वयं वर्षों तक प्रेक्टिस की हो अथवा वहां उनके रिश्तेदार प्रेक्टिस करते हों। मप्र में लगभग एक दर्जन न्यायाधीश ऐसे हैं जो उसी कोर्ट में पदस्थ हैं जहां उन्होंने वर्षों तक प्रे्रक्टिस की है और जहां वे पदस्थ हैं, वहीं उनके पुत्र, भाई पिता व मित्र आदि पे्रक्टिस कर रहे हैं।
दो तरह के जज : मप्र में दो तरह के जज हैं। एक वे जो उसी कोर्ट में पदस्थ हैं, जहां उन्होंने वर्षों प्रेक्टिस की है और वर्तमान में उसी कोर्ट में उनके पुत्र व अन्य रिश्तेदार प्रेक्टिस करते हैं। दूसरे वे हैं जिन्हें गृह नगर में पदस्थ करने के आमंत्रण मिले, लेकिन उन्होंने उक्त आमंत्रण को ठुकराकर अन्य नगर में काम करना पसंद करके निष्पक्षता का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इनका कहना है..........
'' प्रदेश की हाईकोर्ट बैंचों में जजों की पदस्थापना मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधिपति द्वारा की जाती है और विधि आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की गई है। उसकी सिफारिशें लागू होने के बाद व्यवस्था बदल सकती है।
-रामेश्वर नीखरा, अध्यक्ष, स्टेट बार कौंसिल
'' न्यायालयों में स्थानीय जजों की पदस्थापना नहीं होना चाहिए। इस संबंध में विधि आयोग की सिफारिश पर गौर कर उन्हें जल्द से जल्द लागू किया जाए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल न उठ सकें।
-प्रेमसिंह भदौरिया, अध्यक्ष, मप्र उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ, ग्वालियर
गृहनगर में पदस्थापना..
न्यायमूर्ति श्री अजित सिंह : 18 अक्टूबर 1979 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 21 मार्च 2003 को स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलुपर में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र मेनन : 21 अगस्त 1981 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 21 मार्च 2003 को स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलुपर में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री आरके गुप्ता : 6 दिसम्बर 1971 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 2 फरवरी 2007 को स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलुपर में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री आरएस झा : 20 सितम्बर 1986 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 2 फरवरी 2007 को स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलुपर में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री संजय यादव : 25 अगस्त 1986 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 2 मार्च 2007 को अतिरिक्त न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलुपर में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री आलोक अराधे : 12 जुलाई 1988 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 29 दिसम्बर 2009 को अतिरिक्त न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलुपर में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री एसएस केमकर : 11 अगस्त 1979 से इंदौर हाईकोर्ट बैंच में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 19 जनवरी 2004 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में इंदौर बैंच में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्रीमती एसआर वाघमरे : 6 अगस्त 1981 से इंदौर हाईकोर्ट बैंच में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 11 अक्टूबर 2004 से स्थाई न्यायाधीश बनी, वर्तमान में इंदौर बैंच में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री एके श्रीवास्तव : 19 जुलाई 1976 से ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 8 सितम्बर 2003 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में ग्वालियर बैंच में ही पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री अभय एम नाइक : 1972 से ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 25 नवम्बर 2005 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में ग्वालियर बैंच में ही पदस्थ।
इन जजों ने गृहनगर ठुकराया :
न्यायमूर्ति श्री केके लाहौटी : 14 अक्टूबर 1974 से गुना जिला न्यायालय में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 1988 में ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में एडीशनल एडवोकेट जनरल के रुप में पदस्थ हुए। 1 अप्रेल 2002 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलपुर में पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री जेके माहेश्वरी : 22 नवम्बर 1985 से ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 25 नवम्बर 2008 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में जबलपुर में पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री एसएल कोचर : 6 दिसम्बर 1973 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 1 अप्रेल 2002 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में इंदौर बैंच में पदस्थ हैं।
न्यायमूर्ति श्री एनके मोदी : 27 नवम्बर 1973 से ग्वालियर हाईकोर्ट बैंच में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 11 अक्टूबर 2004 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में इंदौर बैंच में पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री पीके जायसवाल : 4 अगस्त 1981 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 11 अक्टूबर 2004 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में इंदौर बैंच में पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री सतीशचंद शर्मा : 1 सितम्बर 1984 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 15 जनवरी 2010 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में इंदौर बैंच में पदस्थ हैं।
न्यायमूर्ति श्री प्रकाश श्रीवास्तव : 2 फरवरी 87 से सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 15 जनवरी 2010 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में इंदौर बैंच में पदस्थ।
न्यायमूर्ति श्री एसके गंगेले : 31 अक्टूबर 80 से जबलपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस प्रारंभ की। 11 अक्टूबर 2004 से स्थाई न्यायाधीश बने, वर्तमान में ग्वालियर बैंच में पदस्थ।
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Aapke ke blog se kafi aachi jankariya aur samachar padne ko milta rahe hai... iske liye dhanyawad... aur nikat bhavishya mein bhi aapse aur samacharo aur jankariyo ki umeed hai.
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GEET DHIR
Hindustan Vichar
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