Saturday, September 11, 2010

प्रमुख सचिव पर 420 दर्ज करो

कार्रवाई हुई तो एके पयासी हो सकते हैं गिरफ्तार


रवीन्द्र जैन

भोपाल। मप्र विधानसभा के प्रमुख सचिव आनंदकुमार पयासी के खिलाफ भोपाल के दो थानों में शिकायत दर्ज कर उनके खिलाफ धारा 420 के तहत प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है। भोपाल के दो सामाजिक कार्यकर्ता संजय नायक व धनराज सिंह ने जहांगीरबाद थाने में की गई शिकायत में पयासी पर कूटरचित दस्तावेतों के आधार पर नौकरी करने एवं बाग मुगालिया थाने में शिक्षा की फर्जी डिग्रियां हासिल करने का आरोप लगाया गया है। शिकायत पर कार्रवाई हुई तो एके पयासी कभी भी गिरफ्तार किए जा सकते हैं।

थाना बागमुगालिया में की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि पयासी की पीएचडी की तीनों डिग्रियां फर्जी हैं। जबकि उन्होंने इन फर्जी डिग्रियों के आधार पर स्वयं को डा. एके पयासी लिखना शुरू किया और विधानसभा सचिवालय से दो वेतन वृद्धियां प्राप्त कर ली हैं। शिकायतकर्ताओं ने इसके कई प्रमाण संलग्र करते हुए दावा किया है, इससे संबंधित कुछ नस्तियां विश्वविद्यालय से गायब कर दी गईं हैं। पयासी की हायर सेकेन्ड्री की मार्कशीट को लेकर भी आज तक भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने बार बार मांगने पर भी अभी तक अपनी उक्त मार्कशीट सचिवालय को उपलब्ध नहीं कराई है। स्वयं स्पीकर पयासी को कई बार मार्कशीट उपलब्ध कराने के निर्देश दे चुके हैं, ताकि मार्कशीब्ट के आधर पर उनकी सेवा निवृत्ति की तिथि तय की जा सके, लेकिन पयासी ने उक्त मार्कशीट उपलब्ध नहीं कराई है। पयासी की एलएलबी की डिग्री को लेकर भी भ्रम की स्थिति है, क्योंकि उनकी एलएलनबी की उिग््राी के अनुसार उन्होंने 1971 से 1975 तक सतना के कॉलेज से नियमित छात्र के रुप में एलएलबी की पढ़ाई की, जबकि इसी अवधि में उनके द्वारा सीधी जिले सिंहावल के सरकारी स्कूल में शिक्षक रुप में भी नौकरी की है। सिंहावल व सताना में दो सौ किलोमीटर का अंतर है।

भोपाल के जहांगीराबाद थाने में की गई शिकायत में कहा गया है कि - पयासी का लगभग पूरा सेवाकाल कूटरचित दस्तावजों पर आधारित है। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर विधानसभा में सबसे जिम्मेदार पद पर बैठे पयासी ने अपने पद का दुरूपयोग करके अधिकांश स्थानों से रिकार्ड गायब करा दिया है। फिर भी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किए गई दस्तावजों से जाहिर होता है कि पयासी ने नगर पंचायत के सीएमओ के पद से रीवा नगर निगम में उपायुक्त का पद पाने के लिए कूटरचित दस्तावजों का सहारा लिया है। रीवा नगर निगम के जिस संकल्प के आधार पर उन्होंने अपनी सेवाएं नगर निगम में उपायुक्त के पद संविलियन कराईं वह संकल्प कूटरचित है, यह दस्तावेज लोक सेवा आयोग को दिया गया था। बाद में जब पयासी को पता चला कि संविलियन का अधिकार केवल राज्य सरकार को है तो उन्होंने एक और कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लिया। नगर निगम रीवा ने इस फर्जी कार्रवाई को रद्द करने पीएससी को चार पत्र लिखे हैं, लेकिन शातिर दिगमा पयासी ने यह पत्र रीवा नगर निगम ही नहीं पहुंचने दिए। पयासी रायपुर व भोपाल नगर निगम में उपायुक्त रहे, लेकिन उनकी सांठगांठ की इससे ही अंदाज लगाया जा सकता है कि बिना सेवा पुस्कित प्राप्त किए पयासी इन नगर निगमों से मनचाहा वेतन प्राप्त करते रहे। बाद में उन्होंने अपना संविलियन विधानसभा में उप सचिव के रुप में कराया और अपने शातिर दिमाग से बिना किसी योग्यता के प्रमुख सचिव के पद तक पहुंच गए।

इनका कहना है :

जिले के दो थानों में पयासी के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई है। पुलिस इसकी जांच कर रही है। जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

शैलेन्द्र श्रीवास्तव, आईजी भोपाल

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