Monday, October 4, 2010

मप्र के न्यायिक इतिहास का सबसे शर्मनाक अध्याय
तीन जजों में झगड़ा, अब तक दो निलंबित

एक जज के घर में हो चुकी है फायरिंग

रवीन्द्र जैन

भोपाल। इंदौर में पदस्थ तीन जजों के आपसी झगड़े के चलते अभी तक दो जज निलंबित हो चुके हैं, जबकि एक जज के इंदौर स्थित निवास पर फायरिंग हो चुकी है। यह मप्र के न्यायिक इतिहास की सबसे चौंकाने वाली खबर है, लेकिन तीनों में से कोई भी जज हार मानने को तैयार नहीं है।

सोमवार को मप्र हाईकोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार सतेन्द्र बहादुर सिंह ने स्वयं छतरपुर पहुंचकर वहां के जिला एवं सत्र न्यायाधीश कैलाश चंद गर्ग को निलंबन का आदेश थमा दिया है। इसके पहले इंदौर में पदस्थ अतिरिक्त जिला जज एनके जैन को निलंबित किया जा चुका है। इन दोनों घटनाओं के बीच में एक और घटना हुई जिसमें इंदौर से सीधी स्थानातंरित किए गए अतिरिक्त जिला जज पीसी गुप्ता के इंदौर स्थित निवास पर अज्ञात लोगों ने जमकर फारिंग की थी। उस समय गुप्ता इंदौर में नहीं थे, लेकिन इस फायरिंग में उनके घर के अंदर रखी उनकी कार छलनी हो गई थी।

इन तीनों घटनाओं का संबंध आपस में है। इसी साल 7 जनवरी को इंदौर के एक व्यापारी जीएम भाटिया ने सुबह ग्यारह बजे एक लिखित शिकायत फैक्स के जरिए मप्र के मुख्य न्यायाधीश को भेजकर इंदौर के तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश केसी गर्ग के बारे में लिखा था कि - गर्ग ने अहमदाबाद से गिरफ्तार एक आरोपी को जमानत देने के सेटिंग दस लाख रुपए में नखराणी ढाणी के संजय अग्रवाल, जो कि गर्ग के दलाल हैं, के माध्यम से की है। भाटिया ने शिकायत में दावा किया था कि आरोपी को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा। बाद में शिकायत के अनुसार ही आरोपी की जमानत हो गई।

गर्ग को शक है कि उक्त शिकायत अतिरिक्त जिला जज एनके जैन ने कराई है। गर्ग ने अपने साथी जज पीसी गुप्ता के साथ मिलकर एनके जैन के खिलाफ एक पुराने मामले को आधार बनाकर जमकर शिकायतें कराना शुरू कर दिया। हाईकोर्ट ने इन शिकायतों के बाद एक ओर जहां एनके जैन को निलंबित कर दिया, वहीं केसी गर्ग को इंदौर से छतरपुर एवं पीसी गुप्ता को सीधी जिले के बेढऩ कस्बे में स्थानातंरित कर दिया। इसी बीच एक दिन पीसी गुप्ता के निवास पर अज्ञात लोगों ने जमकर फायरिंग कर दी। यह विवाद अभी चल ही रहा था कि सोमवार को हाईकोर्ट से छतरपुर पहुंचे सतेन्द्र बहादूर सिंह ने गर्ग को निलंबन का आदेश थमा दिया है। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय ग्वालियर रखा गया है। सबसे मजेदार बात यह है कि हाईकोर्ट की विजीलेंस शाखा ने गर्ग के खिलाफ की गई जांच में इंदौर एसपी मकरंद देउस्कर एवं तत्कालीन सीएसपी रायसिंह नरवरिया के भी बयान दर्ज किए थे। बताते हैं कि इन दोनों पुलिस अफसरों के बयानों के बाद ही गर्ग का निलंबन हुआ है।

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