हिन्दु पर जुल्म अब बर्दाश्त नहीं
जेल में भी सुधाकर पर खून सवार है
रवीन्द्र जैन
भोपाल। सुधाकर राव मराठा बेशक जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया है, लेकिन अभी भी उस पर खून सवार है। उसका कहना है कि - हां हमने रमजानी और जाफर जैसे लोगों को मौत के घाट उतारा है और कई अन्य भी हमारे निशाने पर हैं क्योंकि हिन्दुओं पर अत्याचार करने वालों को हम जिन्दा नहीं छोड़ेंगे। सुधाकर ने गुरूवार को भोपाल की जेल में राज एक्सप्रेस के संपादक से लंबी चर्चा में कहा कि मेरे जेल में रहने के दौरान भी उसकी मुहिम बंद नहीं होगी, क्योंकि हमने इस काम के लिए हजारों युवक तैयार कर लिए हैं। स्वयं को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अदना सा कार्यकर्ता बताने वाले सुधाकर राव का कहना है कि - भारतीय मुद्रा पर गांधी का नहीं भगतसिंह का चित्र छपना चाहिए।
मंदसौर के रहने वाले सुधाकर राव मराठा को न तो अपनी गिरफ्तारी की चिन्ता है और न ही जेल का भय है। उसका कहना है कि मैं जेल में रहूं या जेल के बाहर अब उसकी मुहिम बंद नहीं होगी। उसका दावा है कि हमने एक भी निर्दोष व्यक्ति को नहीं मारा। लेकिन हिन्दुओं पर अत्याचार करने वालों और विदेशी गुर्गों के इशारे पर देश में आंतक फैलाने वालों को कब तक बर्दाश्त किया जाएगा। सुधाकर ने स्वीकार किया है कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कई मुसलमानों को मौत के घाट उतारा है। वह और उसके साथी आगे भी ऐसा करेंगे।
इनको मार गिराया : सुधाकर राव का कहना है कि उसने सबसे पहले रतलाम में रमजानी को मारा, क्योंकि रमजानी ने रतलाम के जिला प्रचारक जगदीश पाटीदार की हत्या केवल इसलिए कर दी थी, क्योंकि पाटीदार हिन्दु विचारधारा के लिए काम कर रहे थे। रतलाम कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष आरआर खान अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके रमजानी को बचाने का काम कर रहे थे। हमने रमजानी को मारा, फिर सोचा कि पत्तों को कब तक काटते रहेंगे, जड़ को ही खत्म किया जाए, यही सोच कर आरआर खान पर हमला किया था। लेकिन उस दिन पिस्टल जाम होने के कारण वह बच गया था। वैसे आरआर खान ने गोदरा कांड के प्रमुख आरोपी शाहराबुद्दीन को संरक्षण देने का भी काम किया था। खान का नाम झिरनियां गांव के कुंए में मिले हथियारों के मामले में भी आया था। खान मप्र में आंतकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार था, इसलिए हम उसे सजा देना चाहते थे। मंदसौर में गबरू पहलवान को मारा क्योंकि उसने हिन्दु युवक नीतेश दोषी की हत्या कराई थी। मंदसौर में ही हिन्दु लड़की हेमा भटनागर से शादी करने वाले हनीफ को भी इसलिए मौत की सजा मिली है। चितौडगढ़ में इसी साल 15 अगस्त को उसने अपने साथी अजयशंकर लाल उर्फ अज्जू के साथ मिलकर जाफर खान को गोली मार दी थी, क्योंकि जाफर खान सुधाकर की बहन ज्योति को भगा ले गया था, उससे शादी कर ली थी।
हत्या के बाद नारे भी : सुधाकर ने कहा कि रमजानी की हत्या के बाद हमने जय जय श्रीराम के नारे भी लगाए थे, और हिन्दु भाईओं से कहा भी था कि - यदि आपको कोई भी मुसलमान परेशान करे तो हमसे संपर्क करो, हम उसे सबक सिखा देंगे।
बहन वापस आ गई है : सुधाकर ने बताया कि जाफर की हत्या के बाद उसकी बहन ज्योति मंदसौर में माता पिता के पास वापस लौट आई है। जेल से छुटने के बाद वह सबसे पहले अपनी बहन का विवाह किसी हिन्दु युवक से करेगा।
संघ से मिली प्रेरणा : सुधाकर का कहना है कि शिवाजी व भगत सिंह बनने की प्रेरणा उसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से मिली है। पिछले दस वर्षों से वह मां से इसलिए नहीं मिला क्योंकि उसे डर है कि मां के अंासू उसे लक्ष्य से भटका न दें। सुधाकर अपनी मां का एकलौता पुत्र है। जन्म देने वाले माता पिता की बात क्यों नहीं मानते? इस संबंध में उसका कहना है - देश की आजादी के लिए लडऩे वाले भगतसिंह ने मां बाप की बात कहां मानी थी।
ऐसे हुई गिरफ्तारी : सुधाकर की गिरफ्तारी भी कम रोचक नहीं है। सुधाकर ने बताया कि वह झांसी में संघ के एक प्रमुख व्यक्ति के साथ ठहरा हुआ था। उसी समय मप्र एसटीएफ को हमारे बारे में खबर लग गई और उसने हम पर नजर रखना शुरू कर दिया। झांसी से हम जैसे ही मप्र की सीमा में आए, एसटीएफ ने हमारी जएलो गाड़ी को आगे से आकर रोक लिया और उसमें से उतरे सात आठ लोगों ने एके 47 रायफलें हम पर तान दीं। हम घिर चुके थे, इसलिए हमने सबसे पहले गाड़ी का एक कांच उतारा और अपनी रिवाल्वर बाहर फेंककर आत्म समर्पण के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर दिया। गाड़ी में हमारे साथ जो सज्जन थे उनाक पुलिस के सभी बड़े अधिकारियों से संपर्क था, उन्होंने जैसे ही भोपाल पुलिस मुख्यालय फोन किया पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया और मुझे गिरफतार कर लिया। कई बार पूछने पर भी सुधाकर ने संघ के उस नेता का नाम बताने से इंकार कर दिया।
सविता मेरे गुरू : सुधाकर का कहना है कि मुरैना के संघ प्रचारक राजकिशोर सविता मेरे गुरू हैं और मेरी गिरफ्तारी के बाद वे मेरे काम को आगे बढ़ाएंगे। सुधाकर ने कहा कि सविता पर एक भी आपराधिक प्रकरण नहीं है, लेकिन वे हिन्दुवादी विचारधारा पर ईमानदारी से चलने वाले व्यक्ति हैं।
संघ में कई नपुसंक : यह बात अजीब है कि स्वयं को संघ का अदना सा कार्यकर्ता बताने वाले सुधाकर का कहना है कि संघ में कई में कई नपुसंक लोग आ गए हैं जिनके कारण विचारधारा प्रभावित हो रही है। संघ को तय करना पड़ेगा कि उसे गांधी की राह पर चलना है या शिवाजी व भगतसिंह के रास्ते को अपनाना है। संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिवाजी व भगतसिंह बनने की प्रेरणा देता है और भाषण में गांधी की तारीफ करता है। सुधाकर का कहना है कि संघ के सभी लोग नपुसंक नहीं हैं, क्योंकि अभी तक संघ के ही लोग मेरी मदद करते रहे हैं। सुधाकर ने इस बात को भी गलत बताया कि - हमने कभी संघ के प्रमुख नेताओं को भी अपने निशाने पर लिया था। उसने कहा कि ऐसा संभव नहीं है।
भगतसिंह का चित्र छापें : सुधाकर राव ने कहा कि भारतीय मुद्रा पर गांधी के स्थान पर भगतसिंह का चित्र प्रकाशित करना चाहिए। तभी देश के युवाओं को सही में सम्मान मिल पाएगा।
Wednesday, October 27, 2010
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