Wednesday, October 27, 2010

रतलाम में माफिया सक्रिय, गैंगवार हुई

सुधाकर की गिफ्तारी के बाद भाजपा नेता को गोली मारी


राजनीतिक संवाददाता

भोपाल। रतलाम में हिन्दुवादी नेता सुधाकर राव मराठा की गिरफ्तारी के बाद ड्रग माफिया एक बार फिर से सक्रिय हो गया है। ड्रग माफिया के इशारे पर बुधवार को रतलाम भाजपा के जिला उपाध्यक्ष जितेन्द्र हिंगड़ को गीेली मार दी गई। दो महिने पहले भी ड्रग माफिया जितेन्द्र के भाई सुनील की भी हत्या कर चुका है। बुधवार की घटना के बाद रतलाम जिले के बडावदा गांव में अनेक मुसलमान घर छोड़कर भाग गए हैं।

क्या है घटना : रतलाम और उसके आसपास कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष आरआर खान को ड्रग माफिया का सरगना माना जाता है। कुछ दिनों पहले खान की हत्या के बाद उनका काम रतलाम जिले की जावरा तहसील के बडावदा गांव में रहने वाले युसुफ बडावदा ने संभाल लिया था। इसी क्षेत्र में सक्रिय हुए और माफिया के खिलाफ लडऩे वाले हिन्दु नेता सुधाकर राव मराठा ने युसुफ को मारने का एलान कर दिया था। यहां बता दें कि सुधाकर पर कई ऐसे मुस्लिम नेताओं को मारने का आरोप है, जिनका हिन्दुओं से कथित रुप से विवाद हुआ था।

युसुफ की हत्या : इसी साल 28 अगस्त को युसुफ बडावदा की लाश एक कुंए से बरामद हुई। पुलिस का मानना है कि युसुफ की हत्या करके उसकी लाश फेंकी गई थीं। 29 अगस्त को युसुफ के जनाजे में मप्र व राजस्थान के कई ड्रग सरगना शामिल हुए थे। पुलिस ने जनाजे में शामिल लोगों की वीडियो सूटिंग भी कराई थी। बताते हैं कि इस सरगना के जनाजे में मालवा क्षेत्र के एक कांग्रेस सांसद का पुत्र भी शामिल हुआ था।

हिंगड़ परिवार पर शक : बताते हैं कि बडावदा गांव में संघ व भाजपा से जुड़ा हिंगड़ परिवार रहता है। युसुफ के परिजनों को शक था कि युसुफ की हत्या हिंगड़ परिवार ने कराई है। युसुफ के अंतिम संस्कार के अगले दिन उसके परिवार की कुछ महिलाओं ने सुनील हिंगड़ को पकड़कर उसके साथ मारपीट की। बाद में चार लोगों ने सुनील की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया था।

जितेन्द्र को गोली मारी : 27 अक्टूबर बुधवार को सुनील हिंगड़ के भाई जितेन्द्र हिंगड़ अपने कर्मचारी के साथ मोटर साइकिल जावरा से बडावदा जा रहे थे, तभी महाराष्ट्र के नंबर की एक मारूति कार ने उन्हें टक्कर मारी कर पहले तो गिरा दिया। कार में सवार लोगों ने जितेन्द्र हिंगड़ को पहले तो दूर तक घसीटा और बाद में उनके पेट में गोली मारकर भाग गए। जावरा व रतलाम में प्राथमिक उपचार के बाद जितेन्द्र हिंगड़ को इलाज के लिए इंदौर भेजा गया है। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

बडावदा में तनाव : इस घटना के बाद बडावदा गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन ने गांव में धारा 144 लागू करते हुए भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है। दूसरी ओर गांव के कई मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर भाग गए हैं।

इंडियन मुजाहिद्दीन भी सक्रिय : रतलाम में इसी साल ईद के पहले हुए साम्प्रदायिक दंगे के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन ने बीबीसी को भेजे एक मेल में रतलाम में बम विस्फोट करने की चेतावनी दी है। इस संगठन ने अपने लेटरहेड पर दी चेतावनी में रतलाम के एसपी मयंक जैन को मारने की भी धमकी दी है।

सुधाकर से घबडाए थे : सूत्रों का कहना है कि मंदसौर व रतलाम के ड्रग माफिया को सुधाकर राव माराठा से डर लगता था। सुधाकर राव मराठा ने इन माफिया को हिन्दुओं को परेशान न करने की चेतावनी दी थी। सुधाकर के कारण कई ड्रग माफियाओं ने इलाका छोड़ दिया था। लेकिन पिछले दिनों सुधाकर राव की गिरफ्तारी के बाद माफिया फिर से सक्रिय हो गया है। आने वाले दिनों में हालात बिगडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इन मौतों के मंत्री अर्चना चिटनीस जिम्मेदार है?



मुख्यमंत्री के आदेशों को दिखाया ठेंगा

राजनीतिक संवाददाता

भोपाल। मंगलवार तड़के सीहोर जिले के मेतवाडा के पास हुई भीषण दुर्घटना के लिए एकमात्र शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों को सख्त आदेश दिए थे कि कोई भी मंत्री रात में सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करेगा, लेकिन शिक्षामंत्री अर्चना चिटनीस ने इन आदेशों की अवहेलना की, जिस कारण उनके पीए सहित एक पारिवारिक मित्र को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

मप्र में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि - मंत्री मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन क्या नहीं कर रहे? सोमवार व मंगलवार को भोपाल में रहकर मंत्रालय में बैठने, प्रभार के जिलों में निरंतर यात्रा करने और किसी भी हाल में रात में यात्रा नहीं करने के संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं, लेकिन कई मंत्री इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। मंगलवार को तड़के चार बजे शिक्षामंत्री अर्चना चिटनीस के काफिले में शामिल कार सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गई, इस दुर्घटना में मंत्री के पीए महेश सिन्हा एवं मंत्री के पारिवारिक मित्र बलवीर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। संयोग से मंत्री दूसरी कार में सवार थीं, इसलिए वे बाल बाल बच गईं।

सवाल यह है कि इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है? इसके पहले तत्कालीन शिक्षामंत्री लक्ष्मण गौड का भी इंदौर से भोपाल आते समय एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनकी दर्दनाक मौत हो गई थी। लक्ष्मण गौड़ की मौत के बाद मप्र के उच्चशिक्षा एवं संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा का एक्सीडेंट हो गया जिसमें वे गंभीर रुप से घायल हुए थे। यह दोनों एक्सीडेंट रात में हुए थे, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों को सख्त हिदायत दी थी कि राज्य का कोई भी मंत्री सड़क मार्ग से यात्रा नहीं करेगा। कुछ दिनों तक मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन किया गया, लेकिन अब लगभग सभी मंत्रियों ने इन निर्देशों को हवा में उड़ा दिया है।

कलेक्टर ने रोका था : शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस सोमवार को दोपहर तक होशंगाबाद में थीं, जहां वे भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुई थीं। दोपहर के बाद वे होशंगाबाद से रवाना होकर शाम को बुरहानपुर पहुंचीं थीं। बुरहानपुर से रात लगभग ग्यारह बजे जब वे भोपाल के लिए रवाना हो रहीं थीं, तब बुरहानपुर कलेक्टर ने रेणु पंत ने उन्हें रात में सफर करने से मना भी किया। मजेदार बात यह है कि मंत्री का ट्रेन से भोपाल आने का आरक्षण भी था, लेकिन फिर भी वे सड़क मार्ग से भोपाल आ रहीं थीं।

केबिनेट में शामिल होना था : मंगलवार को केबिनेट की बैठक होना थी, इसलिए अर्चना चिटनीस बुरहानपुर से भोपाल के लिए रवाना हुईं थीं। उनके काफिले में एक किराए की टेक्सी भी शामिल थी। इस टैक्सी में नियम विरुद्ध ढंग से लालबत्ती लगाई गई थीं। टैक्सी में मंत्री के पीए मनोज सिन्हा एवं मंत्री के मित्र बलवीर सिंह सवार थे। इस टैक्सी को ड्रायवर अशीष चला रहा था। बताते हैं कि मंत्री की कार 120 किलोमीटर की स्पीड से भोपाल की ओर दौड़ रहीं थी और उनके पीछे चल रहीं है इस टैक्सी भी स्पीड भी इतनी ही थी। मेतवाडा के पास पेट्रोल पंप पर एक पंचर ट्रक खडा था। टैक्सी ड्रायवर को यह ट्रक दिखाई नहीं दिया और तेज स्पीड टैक्सी ट्रक में घुस गई। महेश व बलवीर ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। ड्रायवर अशीष इन्हें लेकर भोपाल के चिरायु अस्पताल पहुंचा जहां डाक्टर सेठ ने दोनों को मृत घोषित करते हुए घबडाए ड्रायवर को भर्ती कर लिया। बाद में उसे छुट्टी दे गई।

बीमा नहीं था टैक्सी का : जिस जयलो कार से यह एक्सीडेंट हुआ है, वह वाहन शास्त्री नगर निवासी एनसी बघेल के नाम रजिस्टर्ड है। बताते हैं कि यह वाहन राज्य के एक मंत्री के ओएसडी का है जिसे टैक्सी के रुप में लगा रखा है। परिवहन विभाग की वेबसाइड के अनुसार इस वाहन का बीमा 25 सितम्बर 2010 को ही समाप्त हो गया था।

मंत्रियों की मनमानी : मप्र में सत्ता व संगठन का मंत्रियों पर अंकुश नहीं है। पार्टी के प्रभारी महासचिव अनंतकुमार ने तो कई बार सार्वजानिक रुप से मंत्रियों को लताड़ भी लगाई है। दूसरी ओर पार्टी अध्यक्ष प्रभात झा भी लगातार यह बात कह रहे हैं कि मंत्री अपने प्रभार के जिलों में नहीं जा रहे। उन्होंने भी प्रत्येक मंत्री को हर महिने कम से कम तीन दिन प्रभार के जिले में रहने के निर्देश दिए हैं। स्वयं मुख्यमंत्री कई बार मंत्रियों को चेता चुके हैं कि सोमवार व मंगलवार को सभी मंत्री भोपाल मेें मंत्रालय में बैठकर लोगों की समस्याएं सुनें, लेकिन इन बातों का मंत्रियों पर कोई असर नहीं हो रहा।

पिछले दिनों हुए एक्सीडेंट :

1 - 12 फरवरी 2008 : तत्कालीन शिक्षा मंत्री लक्ष्मण गौड की दुर्घटना में मौत

2 - 25 मार्च 2009 : खंडवा में विजय शाह सड़क दुघर्टना में गंभीर रुप से घायल्र हेलीकाप्टर से इंदौर लाया गया।

3 - 12 फरवरी को उच्च शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा देवास के पास सड़क दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल।

4 - स्वास्थ राज्यमंत्री महेन्द्र हार्णिया का एक्सीडेंट विदिशा जिले में हुआ था।

5 - 26 अक्टूबर 2010 को शिक्षामंत्री अर्चना चिटनीस का काफिला ट्रक से टकराया, दो की मौत।
हिन्दु पर जुल्म अब बर्दाश्त नहीं

जेल में भी सुधाकर पर खून सवार है


रवीन्द्र जैन

भोपाल। सुधाकर राव मराठा बेशक जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया है, लेकिन अभी भी उस पर खून सवार है। उसका कहना है कि - हां हमने रमजानी और जाफर जैसे लोगों को मौत के घाट उतारा है और कई अन्य भी हमारे निशाने पर हैं क्योंकि हिन्दुओं पर अत्याचार करने वालों को हम जिन्दा नहीं छोड़ेंगे। सुधाकर ने गुरूवार को भोपाल की जेल में राज एक्सप्रेस के संपादक से लंबी चर्चा में कहा कि मेरे जेल में रहने के दौरान भी उसकी मुहिम बंद नहीं होगी, क्योंकि हमने इस काम के लिए हजारों युवक तैयार कर लिए हैं। स्वयं को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अदना सा कार्यकर्ता बताने वाले सुधाकर राव का कहना है कि - भारतीय मुद्रा पर गांधी का नहीं भगतसिंह का चित्र छपना चाहिए।

मंदसौर के रहने वाले सुधाकर राव मराठा को न तो अपनी गिरफ्तारी की चिन्ता है और न ही जेल का भय है। उसका कहना है कि मैं जेल में रहूं या जेल के बाहर अब उसकी मुहिम बंद नहीं होगी। उसका दावा है कि हमने एक भी निर्दोष व्यक्ति को नहीं मारा। लेकिन हिन्दुओं पर अत्याचार करने वालों और विदेशी गुर्गों के इशारे पर देश में आंतक फैलाने वालों को कब तक बर्दाश्त किया जाएगा। सुधाकर ने स्वीकार किया है कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कई मुसलमानों को मौत के घाट उतारा है। वह और उसके साथी आगे भी ऐसा करेंगे।

इनको मार गिराया : सुधाकर राव का कहना है कि उसने सबसे पहले रतलाम में रमजानी को मारा, क्योंकि रमजानी ने रतलाम के जिला प्रचारक जगदीश पाटीदार की हत्या केवल इसलिए कर दी थी, क्योंकि पाटीदार हिन्दु विचारधारा के लिए काम कर रहे थे। रतलाम कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष आरआर खान अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके रमजानी को बचाने का काम कर रहे थे। हमने रमजानी को मारा, फिर सोचा कि पत्तों को कब तक काटते रहेंगे, जड़ को ही खत्म किया जाए, यही सोच कर आरआर खान पर हमला किया था। लेकिन उस दिन पिस्टल जाम होने के कारण वह बच गया था। वैसे आरआर खान ने गोदरा कांड के प्रमुख आरोपी शाहराबुद्दीन को संरक्षण देने का भी काम किया था। खान का नाम झिरनियां गांव के कुंए में मिले हथियारों के मामले में भी आया था। खान मप्र में आंतकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार था, इसलिए हम उसे सजा देना चाहते थे। मंदसौर में गबरू पहलवान को मारा क्योंकि उसने हिन्दु युवक नीतेश दोषी की हत्या कराई थी। मंदसौर में ही हिन्दु लड़की हेमा भटनागर से शादी करने वाले हनीफ को भी इसलिए मौत की सजा मिली है। चितौडगढ़ में इसी साल 15 अगस्त को उसने अपने साथी अजयशंकर लाल उर्फ अज्जू के साथ मिलकर जाफर खान को गोली मार दी थी, क्योंकि जाफर खान सुधाकर की बहन ज्योति को भगा ले गया था, उससे शादी कर ली थी।

हत्या के बाद नारे भी : सुधाकर ने कहा कि रमजानी की हत्या के बाद हमने जय जय श्रीराम के नारे भी लगाए थे, और हिन्दु भाईओं से कहा भी था कि - यदि आपको कोई भी मुसलमान परेशान करे तो हमसे संपर्क करो, हम उसे सबक सिखा देंगे।

बहन वापस आ गई है : सुधाकर ने बताया कि जाफर की हत्या के बाद उसकी बहन ज्योति मंदसौर में माता पिता के पास वापस लौट आई है। जेल से छुटने के बाद वह सबसे पहले अपनी बहन का विवाह किसी हिन्दु युवक से करेगा।

संघ से मिली प्रेरणा : सुधाकर का कहना है कि शिवाजी व भगत सिंह बनने की प्रेरणा उसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से मिली है। पिछले दस वर्षों से वह मां से इसलिए नहीं मिला क्योंकि उसे डर है कि मां के अंासू उसे लक्ष्य से भटका न दें। सुधाकर अपनी मां का एकलौता पुत्र है। जन्म देने वाले माता पिता की बात क्यों नहीं मानते? इस संबंध में उसका कहना है - देश की आजादी के लिए लडऩे वाले भगतसिंह ने मां बाप की बात कहां मानी थी।

ऐसे हुई गिरफ्तारी : सुधाकर की गिरफ्तारी भी कम रोचक नहीं है। सुधाकर ने बताया कि वह झांसी में संघ के एक प्रमुख व्यक्ति के साथ ठहरा हुआ था। उसी समय मप्र एसटीएफ को हमारे बारे में खबर लग गई और उसने हम पर नजर रखना शुरू कर दिया। झांसी से हम जैसे ही मप्र की सीमा में आए, एसटीएफ ने हमारी जएलो गाड़ी को आगे से आकर रोक लिया और उसमें से उतरे सात आठ लोगों ने एके 47 रायफलें हम पर तान दीं। हम घिर चुके थे, इसलिए हमने सबसे पहले गाड़ी का एक कांच उतारा और अपनी रिवाल्वर बाहर फेंककर आत्म समर्पण के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर दिया। गाड़ी में हमारे साथ जो सज्जन थे उनाक पुलिस के सभी बड़े अधिकारियों से संपर्क था, उन्होंने जैसे ही भोपाल पुलिस मुख्यालय फोन किया पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया और मुझे गिरफतार कर लिया। कई बार पूछने पर भी सुधाकर ने संघ के उस नेता का नाम बताने से इंकार कर दिया।

सविता मेरे गुरू : सुधाकर का कहना है कि मुरैना के संघ प्रचारक राजकिशोर सविता मेरे गुरू हैं और मेरी गिरफ्तारी के बाद वे मेरे काम को आगे बढ़ाएंगे। सुधाकर ने कहा कि सविता पर एक भी आपराधिक प्रकरण नहीं है, लेकिन वे हिन्दुवादी विचारधारा पर ईमानदारी से चलने वाले व्यक्ति हैं।

संघ में कई नपुसंक : यह बात अजीब है कि स्वयं को संघ का अदना सा कार्यकर्ता बताने वाले सुधाकर का कहना है कि संघ में कई में कई नपुसंक लोग आ गए हैं जिनके कारण विचारधारा प्रभावित हो रही है। संघ को तय करना पड़ेगा कि उसे गांधी की राह पर चलना है या शिवाजी व भगतसिंह के रास्ते को अपनाना है। संघ अपने कार्यकर्ताओं को शिवाजी व भगतसिंह बनने की प्रेरणा देता है और भाषण में गांधी की तारीफ करता है। सुधाकर का कहना है कि संघ के सभी लोग नपुसंक नहीं हैं, क्योंकि अभी तक संघ के ही लोग मेरी मदद करते रहे हैं। सुधाकर ने इस बात को भी गलत बताया कि - हमने कभी संघ के प्रमुख नेताओं को भी अपने निशाने पर लिया था। उसने कहा कि ऐसा संभव नहीं है।

भगतसिंह का चित्र छापें : सुधाकर राव ने कहा कि भारतीय मुद्रा पर गांधी के स्थान पर भगतसिंह का चित्र प्रकाशित करना चाहिए। तभी देश के युवाओं को सही में सम्मान मिल पाएगा।

Monday, October 11, 2010

योगीराज शर्मा के पुत्र का सनसनीखेज खुलासा

मेरा बाप भ्रष्ट व चरित्रहीन है




गौरव के पागलपन का इलाज चल रहा है : योगीराज

रवीन्द जैन

भोपाल। मप्र के पूर्व स्वास्थ संचालक योगीराज शर्मा को अपने कर्मों की सजा इसी जन्म में भुगतनी पड़ रही है। उनके इकलौते पुत्र गौरव ने उन पर भ्रष्ट व चरित्रहीन होने के आरोप लगाए हैं। गौरव का कहना है कि - योगीराज को अपना बाप कहने में भी मुझे शर्म आती है। पिता से विवाद के बाद गौरव ने अपनी पत्नि के साथ एक मंदिर में शरण ले रखी है और पिता से खतरा बताते हुए पुलिस से संरक्षण भी मांगा है। योगीराज का कहना है कि गौरव पागल है और उसका डा.साहू से इलाज से चल रहा है।

वैसे इस योगी के कारनामों की चर्चा में देश विदेश में है। मप्र में स्वास्थ संचालक की कुर्सी पर रहकर उन्होंने अपार सम्पत्ति अर्जित की है। अंदाज लगाया जाता है कि योगीराज के पास वैध अवैध से रुप से लगभग पांच सौ करोड़ की सम्पत्ति है। लोकायुक्त से लेकर आयकर विभाग उनकी अवैध कमाई की जांच में लगा हुआ है। गौरव शर्मा इस बात से भी परेशान है कि योगीराज ने अपनी कई अवैध सम्पत्तियां उनके नाम कर दी है, जिस कारण कोर्ट में उन्हें जबाव देने में परेशानी हो रही है। लेकिन गौरव इससे भी ज्यादा परेशान इस बात को लेकर है कि - योगीराज और शशि शर्मा ने उसकी पत्नि को परेशान कर रखा है।

पिता-पुत्र के बीच झगड़े की शुरूआत 2 अक्टूबर की रात में हुई। रात साढ़े बारह बजे पहले गौरव शर्मा गोविन्दपुरा थाने पहुंचे और उन्होंने पिता योगीराज शर्मा, मां शशि शर्मा, पिता के मित्र अशोक नंदा, हरजीत सिंह व प्रदीप पांडेय के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि - यह लोग अपराधिक प्रवृत्ति के हैं और उनसे मुझे जान का खतरा है। गौरव ने लिखित शिकायत में यह भी कहा कि पिता के पास जो सम्पत्ति है, वह पब्लिक की है, इसके अलावा उन्होंने मुझे कोर्ट के मामलों में उलझा दिया है। गौरव ने अपने पिता से जान का खतरा पुलिस से अपनी सुरक्षा की मांग की।

इसके एक घंटे बाद रात डेढ़ बजे योगीराज शर्मा गोविन्दपुरा थाने पहुंचे और उन्होंने अपनी लिखित शिकायत में गौरव को मानसिक रुप से बीमार बताते हुए उसके सास ससुर पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाए कि गौरव के सास ससुर उसे पागलपन की दवा नहीं लेने दे रहे, जिससे वह बीमार पड़ रहा है। यहां बता दें कि - करोड़ पति योगीराज शर्मा के दो बच्चे हैं। पुत्र गौरव को वे स्वयं पागल बता रहे हैं और गौरव की छोटी बहन पहले से ही पागल है।

चल फिरने में असहाय : गौरव शर्मा की शादी 27 मई 2010 को भोपाल में हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही जून माह में उसका गंभीर एक्सीडेंट हुआ, जिसमें उसका एक पैर गंभीर रुप से घायल है। गौरव अभी भी चल फिर नहीं सकता। उसकी पत्नि उसकी सेवा में लगी हुई है।

मंदिर में ली शरण : गौरव वाकई अपने पिता से डरा हुआ है और उसे लगता है कि उसके पिता उसकी हत्या करा सकते हैं। यहीं कारण है कि गौरव विदेश में लंबे समय तक रहे गौरव ने अपनी पत्नि के साथ हबीबगंज क्षेत्र के एक अंजान मंदिर में शरण ले रखी है। मंदिर में महंत के छोटे से कमरे में यह दोनों पति पत्नि रह रहे हैं।

क्या मैं पागल लगता हूं : सोमवार को इस संवाददाता ने गौरव शर्मा से मंदिर के उस छोटे से कमरे में मुलाकात की कि तो गौरव से सबसे पहले प्रश्र किया - क्या मैं आपको पागल लगता हूं। लगभग एक घंटे हुई बातचीत में गौरव ने बार बार योगीराज शर्मा को अपना पिता कहने पर आपत्ति की। उसका कहना है कि - हां मिस्टर योगीराज शर्मा ने जमकर भ्रष्टाचार किया और कूट कर पैसा कमाया। गौरव ने बताया कि योगीराज शर्मा का विदेश यात्रा के दौरान एक महिला के साथ आपत्तिजनक अवस्था में एक ही फोटो अखबार में छपा है, लेकिन मेरे पास ऐसे कई फोटो मौजूद हैं। गौरव ने कहा कि योगीराज शर्मा भ्रष्ट ही नहीं चरित्रहीन भी हैं। गौरव का कहना है कि योगीराज ने मेरे मकान पर कब्जा कर रखा है। यदि मैं अपने घर में होता तो योगीराज के चरित्रहीनता के कई प्रमाण दे सकता था।



इनका कहना है :

योगीराज शर्मा एवं गौरव शर्मा ने अलग अलग शिकायतें थाने में दी हैं। गौरव मंदिर में रह रहा है और उसकी जान को खतरा है, यह बात हमें नही मालूम, लेकिन हमें योगीराज ने बताया कि यह परिवार का मामला है कुछ दिनों बाद सुलझ जाएगा, इसलिए हमने कोई कार्रवाई नहीं की। अब इस मामले की जांच करके उचित कार्रवाई की जाएगी।

- जयसिंह रघुवंशी, थाना प्रभारी गोविन्दपुरा

योगीराज शर्मा को पिता कहने में भी शर्म आती है। उन्होंने भ्रष्टाचार से पैसा कमाया है। वे मुझे मारना चाहते हैं। मुझे पागल करने के लिए दवाएं दी जा रहीं थी। मैं पागल नहीं हूं। मैं लंबे समय से भोपाल में प्रोपट्री की व्यवसास कर रहा हूं।

- गौरव शर्मा योगीराज के पुत्र

गौरव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। डा. साहू उसका उपचार कर रहे हैं, उनसे बताकर सकते हैं। गौरव के सास ससुर उसे दवाएं नहीं दे रहे थे और उन्होंने गौरव पर कब्जा करने का प्रयास किया है। वैसे यह हमारा घरेलू मामला है और हम घर में ही निपटा लेंगे।

- योगीराज शर्मा, निलंबित स्वास्थ संचालक

Monday, October 4, 2010

मप्र के न्यायिक इतिहास का सबसे शर्मनाक अध्याय
तीन जजों में झगड़ा, अब तक दो निलंबित

एक जज के घर में हो चुकी है फायरिंग

रवीन्द्र जैन

भोपाल। इंदौर में पदस्थ तीन जजों के आपसी झगड़े के चलते अभी तक दो जज निलंबित हो चुके हैं, जबकि एक जज के इंदौर स्थित निवास पर फायरिंग हो चुकी है। यह मप्र के न्यायिक इतिहास की सबसे चौंकाने वाली खबर है, लेकिन तीनों में से कोई भी जज हार मानने को तैयार नहीं है।

सोमवार को मप्र हाईकोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार सतेन्द्र बहादुर सिंह ने स्वयं छतरपुर पहुंचकर वहां के जिला एवं सत्र न्यायाधीश कैलाश चंद गर्ग को निलंबन का आदेश थमा दिया है। इसके पहले इंदौर में पदस्थ अतिरिक्त जिला जज एनके जैन को निलंबित किया जा चुका है। इन दोनों घटनाओं के बीच में एक और घटना हुई जिसमें इंदौर से सीधी स्थानातंरित किए गए अतिरिक्त जिला जज पीसी गुप्ता के इंदौर स्थित निवास पर अज्ञात लोगों ने जमकर फारिंग की थी। उस समय गुप्ता इंदौर में नहीं थे, लेकिन इस फायरिंग में उनके घर के अंदर रखी उनकी कार छलनी हो गई थी।

इन तीनों घटनाओं का संबंध आपस में है। इसी साल 7 जनवरी को इंदौर के एक व्यापारी जीएम भाटिया ने सुबह ग्यारह बजे एक लिखित शिकायत फैक्स के जरिए मप्र के मुख्य न्यायाधीश को भेजकर इंदौर के तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश केसी गर्ग के बारे में लिखा था कि - गर्ग ने अहमदाबाद से गिरफ्तार एक आरोपी को जमानत देने के सेटिंग दस लाख रुपए में नखराणी ढाणी के संजय अग्रवाल, जो कि गर्ग के दलाल हैं, के माध्यम से की है। भाटिया ने शिकायत में दावा किया था कि आरोपी को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा। बाद में शिकायत के अनुसार ही आरोपी की जमानत हो गई।

गर्ग को शक है कि उक्त शिकायत अतिरिक्त जिला जज एनके जैन ने कराई है। गर्ग ने अपने साथी जज पीसी गुप्ता के साथ मिलकर एनके जैन के खिलाफ एक पुराने मामले को आधार बनाकर जमकर शिकायतें कराना शुरू कर दिया। हाईकोर्ट ने इन शिकायतों के बाद एक ओर जहां एनके जैन को निलंबित कर दिया, वहीं केसी गर्ग को इंदौर से छतरपुर एवं पीसी गुप्ता को सीधी जिले के बेढऩ कस्बे में स्थानातंरित कर दिया। इसी बीच एक दिन पीसी गुप्ता के निवास पर अज्ञात लोगों ने जमकर फायरिंग कर दी। यह विवाद अभी चल ही रहा था कि सोमवार को हाईकोर्ट से छतरपुर पहुंचे सतेन्द्र बहादूर सिंह ने गर्ग को निलंबन का आदेश थमा दिया है। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय ग्वालियर रखा गया है। सबसे मजेदार बात यह है कि हाईकोर्ट की विजीलेंस शाखा ने गर्ग के खिलाफ की गई जांच में इंदौर एसपी मकरंद देउस्कर एवं तत्कालीन सीएसपी रायसिंह नरवरिया के भी बयान दर्ज किए थे। बताते हैं कि इन दोनों पुलिस अफसरों के बयानों के बाद ही गर्ग का निलंबन हुआ है।

Friday, October 1, 2010

उमा भारती की सेवा में लगे भाजपा नेता


शिवराज, प्रभात, कैलाश पहुंचे हाल जानने

राजनीतिक संवाददाता

भोपाल। कल तक पानी पी-पी कर उमा भारती को कोसने वाले भाजपा के कई नेता शुक्रवार को उनकी सेवा में नजर आए। गुरूवार की देर रात उमा भारती के सिर में मामूली दर्द क्या हुआ भाजपा उनकी सेवा में दिखाई दे रही थी। भाजपा नेताओं में उनका हाल जानने के लिए होड़ मची हुई है। चिरायु अस्पताल के डॉक्टरों ने उमा जी को आराम करने की सलाह दी है। संभावत: शनिवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी।

उमा भारती गुरूवार को भोपाल में थीं। अयोध्या के फैसले पर प्रतिक्रिया देने के लिए उमा भारती ने लंबे समय बाद मीडिया के लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए थे। शाम लगभग चार से सात बजे तक वे पत्रकारों से बतियाती रहीं। बेहद थकने के बाद जब वे सोने गईं तो रात बारह बजे उनके सिर में तेज दर्द उठा। दर्द सहन न कर पाने पर प्रोफेसर कॉलोनी में ही रहने वाले डा.अजय गोयनका को फोन करके बुलाया गया। बाद में डॉक्टरों के एक दल ने उनका मेडीकल परीक्षण किया और रात लगभग दो बजे उन्हें भैंसाखेड़ी स्थित चिरायु अस्पताल में भर्ती किया गया। रात में ही उनके सिर की एमआरआई कराई गई, जिसमें यह पता चला कि वर्ष 2008 में सतना में एक दरवाजे से टकराने से उनके सिर में जो चोट आई थी। उसी चोट के कारण अब यह दर्द उठा है।

उमा भारती की तबियत खराब होने की जानकारी मिलने पर सबसे पहले दिल्ली से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी का फोन आया और उन्होंने उमा भारती का हाल जाना। डॉक्टरों ने बताया कि उमा जी खतरे से बाहर हैं। लेकिन उन्हें आराम की जरूरत है, इसलिए दो दिन अस्पताल में रखना होगा। आडवानी के फोन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का काफिला चिरायु अस्पताल की ओर रवाना हुआ। मुख्यमंत्री ने उमा भारती से उनका हाल पूछा और डॉक्टर अजय गोयनका से उनके इलाज के बारे में जानकारी ली। जिस समय मुख्यमंत्री ने उमा भारती से मुलाकात की, वहां डा. गोयनका के अलावा किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। मुख्यमंत्री चौहान के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा भी उमा जी का हाल जानने अस्पताल की ओर दौड़े, पीछे पीछे राज्य के उद्योगमंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी वहां पहुंच गए। मप्र नागरिक आर्पूित निगम के अध्यक्ष रमेश शर्मा गुट्टू भैया अपने कुछ साथियों के साथ उमा भारती की तबियत देखने पहुंचे। इसकी खबर लगते ही बैरागढ़ के कई भाजपा ने नेताओं ने चिरायु अस्पताल का रुख किया, इनमें आवास संघ के अध्यक्ष सुशील वासवानी भी शामिल थे।

पांच साल हुई मुलाकात : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उमा भारती से पूरे पांच साल अस्पताल में मुलाकात हुई। इसके पहले 28 नवम्बर 2005 को प्रदेश भाजपा कार्यालय में जब भाजपा हाईकमान के निदे्रष पर भाजपा विधायक दल शिवराज सिंह चौहान को नेता चुन रहा था, तब उमा भारती उनके चयन का विरोध करते हुए बैठक का बहिष्कार करते हुए पार्टी कार्यालय से ही निकल पड़ी थीं और आपने साथ हुए कथ्सित अन्याय के विरोध में उन्होंने अयोध्या तक की पैदल यात्रा की थी।

वापसी के संकेत : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रभात झा की उमा भारती से इस मुलाकात को राजनीतिक हल्कों में गंभीरता से लिया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि उमा भारती की जल्द ही भाजपा में वापसी तय है। उनकी वापसी की अब केवल घोषणा ही बाकी है।