Friday, June 18, 2010

सदन से गायब होते विधायक



नवोदित सामाजिक कार्यकर्ता कर रहीं हैं शोध




कुलदीप सारस्वत
भोपाल। मप्र विधानसभा में प्रश्र पूछकर गायब होना विधायकों ने अपना अधिकार मान लिया है। विधायकों की ऐसी हरकतों के बारे में कुछ भी लिखने वालों को संरक्षण देने के बजाय विशेषाधिकार डंडा दिखाकर डराने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन नवोदित सामाजिक कार्यकर्ता रोली शिवहरे ने इस मुद्दे पर शोध करने की ठान ली है और वे लगातार ऐसे विघायकों की हरकतों को नोट कर रहीं हैं,जो प्रश्र पूछकर सदन से गायब रहने के आदी हो गए हैं। रोली ने सूचना के अधिकार के तहतपिछले छह साल के जो आंकड़े तैयार किए हैं उसमें कई चौंकाने वाली जानकारियां हैं।

मप्र विधानसभा में विधायक तारांकित व अतारांकित प्रश्र पूछ सकते हैं। तारांकित प्रश्नों में से प्रतिदिन 25 प्रश्रों पर सदन में चर्चा कराई जाती है जबकि अतारांकित प्रश्रों के जबाव लिखित में दिए जाते हैं। जिन तारांकित प्रश्रों को चर्चा में शामिल नहीं कर पाते उन्हें अतारांकित प्रश्र में परिवर्तित कर दिया जाता है। जिन प्रश्रों पर सदन में चर्चा होती है उन्हें महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इन प्रश्रों के बारे में कई बार जांच आदि की घोषणाएं होती हैं और इन प्रश्रों को मीडिया में भी अच्छा स्थान मिलता है। उम्मीद की जाती है कि विधायकों ने जिन प्रश्रों को तारांकित के रुप में पूछा है, वे उन पर चर्चा के लिए जरूर उपस्थित रहेंगे, क्योंकि इन प्रश्रों के जवाब के लिए मंत्री तैयारी करके सदन में आते हैं।

रोली शिवहरे ने सूचना के अधिकार के तहत विधानसभा सचिवालय से पिछले छह साल में विधायकों द्वारा पूछे गए प्रश्रों एवं उन प्रश्नों पर चर्चा के समय उनके गायब होने के बारे में जानकारी निकाली और फिर इस जानकारी के आधार विश£ेषण किया कि प्रश्र पूछकर गायब होने वाले विधायक कौन कौन से थे और उन्होंने किस विभाग संबंधित प्रश्र किए थे।

आंकड़ों के आयने में : रोली के अनुसार वर्ष 2004 से 2009 तक में हुए 16 विधानसभा सत्रों में विधायकों द्वारा करीब 4090 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से करीब 171 विधायकों ने 784 तारांकित प्रश्र पूछे, इनमें 409 तारांकित प्रश्र पर चर्चा के समय सौ से अधिक विधायक गायब हो रहे। यहां बता दें कि इन प्रश्रों के जवाब तैयार कराने में राज्य सरकार लाखों रुपए व्यय किए हैं।

ये विधायक रहे सबसे ज्यादा गायब

- रसाल सिंह द्वारा 25 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से वे करीब 18 प्रश्रों पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे
- सोबरन सिंह द्वारा 21 प्रश्र पूछे गए , जिनमें से वे करीब 8 प्रश्रों पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे।
- रवीन्द्र महाजन द्वारा 19 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से वे करीब 13 प्रश्रों पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे
- अंचल सोनकर द्वारा 16 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से वे करीब 9 प्रश्रों पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे
- महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा 13 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से वे करीब 8 पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे
- अखण्ड प्रताप सिंह द्वारा 13 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से वे करीब 7 प्रश्रों पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे
- लक्ष्मण सिंह गौड़ द्वारा 10 प्रश्र पूछे गए, जिनमें से करीब 8 प्रश्रों पर चर्चा के दौरान अनुपस्थित रहे

संदेह के दायरे में : मप्र विधानसभा में प्रश्रों को लेकर कई आरोप लगते रहे हैं। आरोप है कि जिस प्रकार लोकसभा में सांसद रिश्वत लेकर प्रश्र पूछते हैं, उसी प्रकार मप्र के विधायक भी किसी ने किसी उपकृत होकर प्रश्र के समय सदन से गायब हो जाते हैं।

भ्रष्टाचार से जुड़े हैं प्रश : विधानसभा सत्रों के दौरान जिन 409 प्रश्रों पर चर्चा नहीं की गई है, उनमें से अधिकांश प्रश्र अधिकारियों द्वारा विभागीय कार्यों में बरती गई भ्रष्टाचार से संबंधित है। जिनमें अधिकांश प्रश्र कृषि, राजस्व, पंचायत, लोक निर्माण एवं स्वास्थ्य विभाग से संबंधित हैं।

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