पीठासीन अधिकारियों के सैरसपाटे
पर व्यय होंगे दो करोड़ रूपए
रवीन्द्र जैन
भोपाल। देश भर के पीठासीन अधिकारियों के सम्मलेन के लिए विधानसभा सचिवालय ने राज्य सरकार से दो करोड़ रूपए की मांग की है। यह राशि देश भर से आने वाले पीठासीन अधिकारियों, विधानसभा के सचिवों एवं उनके परिजनों को ठहराने, घूमाने-फिराने पर व्यय की जाएगी। पीठासीन अधिकारियों का सम्मलेन 2 से 6 फरवरी 2010 तक भोपाल में आयोजित किया गया है। सम्मलेन का अङ्क्षतम दिन सैरसपाटे के लिए रखा गया है।
पीठासीन अधिकारियों के सम्मलेन के लिए मप्र विधानसभा भवन को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। भवन की रंगाई पुताई का काम तेजी पर है। मप्र में पीठासीन अधिकारियों का सम्मलेन बीस वर्ष बाद होने जा रहा है। इसके पहले सम्मलेन 1989 को पुराने विधानसभा भवन में यह सम्मलेन आयोजित किया गया था। सम्मलेन के पहले दिन लोकसभा एवं सभी विधानसभा के सचिवों का सम्मलेन होगा, जिसमें पीठासीन अधिकारियों के सम्मलेन का एजेन्डा तय किया जाएगा। 3 व 4 फरवरी को लोकसभा व सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों का सम्मलेन होगा। 5 फरवरी को संसदीय मामलों पर महत्वपूर्ण संगोष्ठी होगी जिसमें मप्र के सभी विधायकों को आंमत्रित किया गया है। 6 फरवरी का दिन सैरसपाटे के लिए रखा गया है। बैठक के नहीं बना फंड : पीठासीन अधिकारियों की बैठक के लिए सभी राज्यों को अपना अंश देने की बात पिछले 55 वर्षों से चल रही है, लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। 1954 के सम्मलेन में यह विचार किया गया था कि छोटे जिनका बजट कम है वे धन की कमी के कारण अपने यहां सम्मलेन नहीं करा पाते। इसल सम्मलेन के लिए अंशदायी निधि का प्रबंध करना चाहिए। 1992 में गुजरात में हुए सम्मलेन में इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी गई, लेकिन इस पर अमल अभी तक नहीं हुआ है।
सांची,खजुराहो,पचमढ़ी जाएंगे : बताया जाता है कि सम्मलेन में आने वाले अतिथियों को भोपाल के अलावा सांची पर्यटन स्थल घूमाने एवं वहां पर ठहराने की व्यवस्था की जा रही है। सांची में अतिथियों को विशेष भोज दिया जाएगा। पूरी सरकार एवं विधानसभा सचिवालय के अधिकारी कर्मचारियों को इनके आतिथ्य में लगाने की योजना है।
मीराकुमार आएंगीं : सम्मलेन में शामिल होने लोकसभा की स्पीकर श्रीमती मीराकुमार अलावा सभी राज्य के विधानसभा अध्यक्षों व उपाध्यक्षों एवं सचिवों के आने के कार्यकमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
Saturday, January 30, 2010
meera kaumar speaker loksabha
दलित की बेटी को चाहिए फाइव स्टार
मीरा कुमार ने सरकारी गेस्ट हाउस में रूकने से किया इंकार भोपाल में घूमने फिरने के लिए मांगी होंडा सिटी कार
रवीन्द्र जैन
भोपाल। दलित की बेटी एवं देश की लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने भोपाल प्रवास के दौरान सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने से साफ इंकार कर दिया है। उनकी छह दिन की भोपाल यात्रा के लिए होटल नूर उस सबा में 12 सूट आठ दिन के लिए बुक किए गए हैं। उन्होंने सरकारी कार में घूमने के बजाय पर्यटन निगम से टेक्सी के रूप होंडा सिटी कार उपलब्ध कराने को कहा है। उनका स्टाफ भी भोपाल के एयरकंडीशन होटलों में ठहरेगा।
लोकसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर सहित अगले माह भोपाल आने वाले लगभग ढाई सौ अतिथियों के लिए भोपाल का एक भी सरकारी गेस्ट हाउस ठहराने लायक नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष को छोडिए लोकसभा के कर्मचारियों के लिए भी भोपाल के शानदार होटल बुक किए गए हैं। इन अतिथियों के लिए एक भी सरकारी वाहन लगाने के बजाय 195 लक्जरी कारें किराए पर ली जा रही हैं। यह सभी अतिथि भोपाल में बीस साल बाद आयोजित होने वाले पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में शामिल होने आ रहे हैं। लोकसभा सचिवालय के निर्देशानुसार ही राज्य सरकार सम्मेलन की व्यवस्था करने में जुटी है।
देश में विधायी संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों का यह सम्मलेन मप्र में बीस साल बाद आयोजित किया जा रहा है। 2 से 6 फरवरी तक आयोजित सम्मेलन में देश भर से 250 अतिथियों सहित कुल पांच सौ लोगों के आने की संभावना है। इनमें लोकसभा एवं राज्यसभा का स्टाफ भी शामिल है। सम्मेलन की तैयारी के लिए 31 जनवरी से भोपाल में लोकसभा का केम्प कार्यालय प्रारंभ हो जाएगा। लोकसभा के अतिरिक्त सचिव यूएस सक्सेना ने सम्मेलन की तैयारी के संबंध में मप्र विधानसभा सचिवालय को तमाम व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं। पूरा सम्मेलन लोकसभा सचिवालय की देखरेख में होगा।
यह होंगे अतिथि :
सम्मेलन में लोकसभा के स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर, सभी विधानसभाओं एवं विधान परिषदों के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों को आंमत्रित किया गया है। इनके अलावा सभी विधायी संस्थाओं के प्रमुख सचिवों व सचिवों को भी आंमत्रित किया गया है।
पर्यटन निगम को जिम्मेदारी :
इस सम्मेलन में होने वाले खर्चों में विवाद से बचने के लिए हर तरह की जिम्मेदार मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम को सौंपी गई है। निगम से कहा गया है कि भोपाल के एयरकंडीशन होटलों में 250 कमरे बुक किए जाएं। इसके अलावा अतिथियों के घूमने फिरने के लिए 196 एसी टैक्सियां बुक की जाएं। पर्यटन निगम को अतिथियों के नाश्ते भोज व डिनर के अलावा उन्हें राज्य विधानसभा की ओर से दी जाने वाले गिफ्ट खरीदने का भी जिम्मा भी सौंपा गया है। निगम से कहा गया है कि - अतिथियों के लिए दो सौ लेदर के बैग व दो सौ एचएमटी घडियां भी वह खरीद कर दे। इनमें 175 घडियां जेन्टस व 25 लेडिज होना चाहिए। अतिथियों के साथ आने वाली उनकी धर्मपत्नियों के लिए सौ चंदेरी की कोसा साडियां भी पर्यटन निगम खरीदकर देगा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम :
सम्मेलन को देखते हुए भोपाल में 2 से 6 फरवरी तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। बिरला मंदिर से वल्लभभवन पहुंचने वाले मार्ग को आम लोगों के लिए बंद कर दिया जाएगा। जिन होटलों में अतिथि ठहरेंगे वहां भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भोपाल के आईजी शैलेन्द्र श्रीवास्तव एसएसपी आदर्श कटियार, संभागायुक्त पुखराज मारू, कलेक्टर एस एस शुक्ला ने विधानसभा के प्रमुख सचिव एके प्यासी के साथ बैठक कर ली है।
यहां रूकेंगे अतिथि :
सम्मेलन में आने वाले अतिथियों को ठहराने के लिए पर्यटन विकास निगम ने भोपाल के कुल नौ होटलों में 250 एयरकंडीशन कमरें बुक कर दिए हैं।
लोकसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर सहित अगले माह भोपाल आने वाले लगभग ढाई सौ अतिथियों के लिए भोपाल का एक भी सरकारी गेस्ट हाउस ठहराने लायक नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष को छोडिए लोकसभा के कर्मचारियों के लिए भी भोपाल के शानदार होटल बुक किए गए हैं। इन अतिथियों के लिए एक भी सरकारी वाहन लगाने के बजाय 195 लक्जरी कारें किराए पर ली जा रही हैं। यह सभी अतिथि भोपाल में बीस साल बाद आयोजित होने वाले पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में शामिल होने आ रहे हैं। लोकसभा सचिवालय के निर्देशानुसार ही राज्य सरकार सम्मेलन की व्यवस्था करने में जुटी है।
देश में विधायी संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों का यह सम्मलेन मप्र में बीस साल बाद आयोजित किया जा रहा है। 2 से 6 फरवरी तक आयोजित सम्मेलन में देश भर से 250 अतिथियों सहित कुल पांच सौ लोगों के आने की संभावना है। इनमें लोकसभा एवं राज्यसभा का स्टाफ भी शामिल है। सम्मेलन की तैयारी के लिए 31 जनवरी से भोपाल में लोकसभा का केम्प कार्यालय प्रारंभ हो जाएगा। लोकसभा के अतिरिक्त सचिव यूएस सक्सेना ने सम्मेलन की तैयारी के संबंध में मप्र विधानसभा सचिवालय को तमाम व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं। पूरा सम्मेलन लोकसभा सचिवालय की देखरेख में होगा।
यह होंगे अतिथि :
सम्मेलन में लोकसभा के स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर, सभी विधानसभाओं एवं विधान परिषदों के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों को आंमत्रित किया गया है। इनके अलावा सभी विधायी संस्थाओं के प्रमुख सचिवों व सचिवों को भी आंमत्रित किया गया है।
पर्यटन निगम को जिम्मेदारी :
इस सम्मेलन में होने वाले खर्चों में विवाद से बचने के लिए हर तरह की जिम्मेदार मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम को सौंपी गई है। निगम से कहा गया है कि भोपाल के एयरकंडीशन होटलों में 250 कमरे बुक किए जाएं। इसके अलावा अतिथियों के घूमने फिरने के लिए 196 एसी टैक्सियां बुक की जाएं। पर्यटन निगम को अतिथियों के नाश्ते भोज व डिनर के अलावा उन्हें राज्य विधानसभा की ओर से दी जाने वाले गिफ्ट खरीदने का भी जिम्मा भी सौंपा गया है। निगम से कहा गया है कि - अतिथियों के लिए दो सौ लेदर के बैग व दो सौ एचएमटी घडियां भी वह खरीद कर दे। इनमें 175 घडियां जेन्टस व 25 लेडिज होना चाहिए। अतिथियों के साथ आने वाली उनकी धर्मपत्नियों के लिए सौ चंदेरी की कोसा साडियां भी पर्यटन निगम खरीदकर देगा।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम :
सम्मेलन को देखते हुए भोपाल में 2 से 6 फरवरी तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। बिरला मंदिर से वल्लभभवन पहुंचने वाले मार्ग को आम लोगों के लिए बंद कर दिया जाएगा। जिन होटलों में अतिथि ठहरेंगे वहां भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भोपाल के आईजी शैलेन्द्र श्रीवास्तव एसएसपी आदर्श कटियार, संभागायुक्त पुखराज मारू, कलेक्टर एस एस शुक्ला ने विधानसभा के प्रमुख सचिव एके प्यासी के साथ बैठक कर ली है।
यहां रूकेंगे अतिथि :
सम्मेलन में आने वाले अतिथियों को ठहराने के लिए पर्यटन विकास निगम ने भोपाल के कुल नौ होटलों में 250 एयरकंडीशन कमरें बुक कर दिए हैं।
अतिथि | होटल | कुल कक्ष |
1-लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा उपाध्यक्ष राज्यसभा सभापति महासचिव लोकसभा महासचिव राज्यसभा | होटल | 12 |
2- राज्य विधान मंडलों के अध्यक्ष | होटल अशोक लेक ब्यू | 38 |
3- राज्य विधान मंडलों के उपाध्यक्ष | होटल जहनुमा पैलेस | 27 |
4- विधान मंडलों के सचिव | होटल पलाश | 32 |
5- लोकसभा का स्टाफ | होटल रेंसीडेंसी | 35 |
6- राज्य विस का स्टाफ | होटल आमेर पैलेस | 25 |
7- अन्य राज्यों का स्टाफ | हेाटल निसर्ग | 25 |
8- अन्य राज्यों का स्टाफ | हेाटल आर्क मॅनोर्क | 30 |
9- अन्य राज्यों का स्टाफ | होटल सुरेन्द्र विलास | 26 |
इन वाहनों में करेंगे सवारी :
सम्मेलन में आने वाले अतिथियों के लिए पर्यटन विकास निगम को निम्र श्रेणी की कारों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।
होंडा सिटी | - 5 |
इनोवा | - 68 |
इंडिगो | - 40 |
टवेरा | - 55 |
क्वालिस | - 2 |
इंडिका | - 10 |
अन्य | - 16 |
तीन दौर में होगा सम्मलेन :
यह सम्मेलन तीन दौर में होगा। पहले दिन 2 फरवरी को सचिवों का सम्मेलन होगा जिसमें पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का विषय निर्धारित होगा। दूसरे दौर में 3 व 4 फरवरी को पीठासीन अधिकारियों को सम्मेलन होगा। 5 फरवरी को विधायी विषय पर एक गोष्ठी होगी। इस गोष्ठी में मप्र के सभी सांसदों व विधायकों को भी आमंत्रित किया गया है। गोष्ठी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी संबोधित करेंगे।
अंतिम दिन सैर सपाटा :
सम्मेलन के अंतिम दिन 6 फरवरी को सभी अतिथियों को घूमाने के लिए सांची ले जाने की योजना है। सांची में इनके दोपहर भोज की व्यवस्था भी की जा रही है।
खबर का असर
दलित की बेटी ने ठुकराई
फाइव स्टार की सुविधाएं
मीरा कुमार अब राजभवन में ठहरेंगीं
अपने स्टाफ को लगाई कडी फटकार
रवीन्द्र जैन
भोपाल। लोकसभा स्पीकर सुश्री मीराकुमार ने अगले माह भोपाल की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान न केवल फाइव स्टार होटल में ठहरने से इंकार कर दिया है बल्कि उन्होंने स्वयं के फाइव स्टार होटल में ठहरने के निर्देश देने वाले लोकसभा स्टाफ को भी कडी फटकार भी लगाई है। राज एक्सप्रेस में खबर छपने के बाद भारतीय दलित वर्ग संघ ने मीराकुमार को फाइव स्टार होटल में ठहरने के बजाय सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने की सलाह दी थी। अब वे राजभवन के गेस्टहाउस में ठहरेंगीं।
इसके पहले लोकसभा सचिवालय के निर्देश पर मप्र सरकार ने उनके ठहरने के लिए फाइव स्टार होटल नूर उस सबा में में तीन सूट बुक किए थे। तीन दिन के भोपाल आ रहीं मीरकुमार के लिए इस होटल में तीन सूट आठ दिन के लिए बुक किए गए थे। इन सूट का प्रतिदिन का किराया लगभग 19 हजार रूपए प्रतिदिन है। लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि मीराकुमार के लिए फाइव स्टार होटल में व्यवस्थाएं करें। इसके अलावा पीठासीन अधिकारियों के स�मेलन में आने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिवों को ठहराने के लिए राज्य सरकार ने सरकारी गेस्ट हाउसों के बजाय भोपाल के अलग अलग होटलों में 250 एयरकंडीशन कमरें 8 दिन के बुक किए थे। मजेदार बात यह है कि स�मेलन में कई अतिथि केवल दो तीन दिन के लिए ही आ रहे हैं, लेकिन उनके लिए भी होटलों के कमरे 1 से 8 फरवरी तक के लिए बुक कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने अतिथियों को सरकारी वाहन देने के बजाय 191 एयरकंडीशन लक्जरी कारें भी बुक की हैं। जबकि बीस साल पहले हुए स�मेलन में अधिकांश अतिथि सरकारी गेस्ट हाउसों में ठहरे थे तथा उनके लिए सरकार के विभिन्न विभागों से वाहने लेकर लगाए गए थे।
राज एक्सप्रेस ने दलित की बेटी को चाहिए फाइव स्टार शीर्षक से इस खबर को सबसे पहले छापा था। भारतीय दलित वर्ग संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बारेलाल मंडेलिया जो कि पिछले तीन दशक से मीराकुमार के पारिवारिक सदस्य हैं तथा उनके निजी कार्य संभालते हैं की नजर ग्वालियर में जैसे ही इस खबर पर पड़ी उन्होंने तत्काल मीराकुमार को फैक्स से खबर भेजी और फाइव स्टार होटल में न ठहरने का सुझाव भी उन्हें दिया। मंडेलिया ने राज एक्सप्रेस को बताया कि - बहन जी बेहद साधा जीवन शैली वाली महिला हैं, लेकिन यह गलती उनके स्टाफ से हुई है। उन्होंने कहा कि जैसे ही बहन जी ने राज एक्सप्रेस की खबर पड़ी, उन्होंने तत्काल अपने स्टाफ को इसके लिए फटकार लगाई एवं अपने ठहरने के लिए सरकारी गेस्ट हाउस में व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इस फटकार के बाद लोकसभा सचिवालय हरकत में आया और मप्र विधानसभा सचिवालय को निर्देश दिए गए हैं कि - मीराकुमार को ठहराने के लिए राजभवन के गेस्ट हाउस में व्यवस्था की जाए। बताया जाता है कि स�मेलन में आने अतिथियों को ठहराने के लिए अब नए सिरे से व्यवस्थाएं की जा रहीं हैं। कई अतिथि होटलों में ठहरने के बजाय गेस्ट हाउसों में ठहरने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
दलित की बेटी ने ठुकराई
फाइव स्टार की सुविधाएं
मीरा कुमार अब राजभवन में ठहरेंगीं
अपने स्टाफ को लगाई कडी फटकार
रवीन्द्र जैन
भोपाल। लोकसभा स्पीकर सुश्री मीराकुमार ने अगले माह भोपाल की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान न केवल फाइव स्टार होटल में ठहरने से इंकार कर दिया है बल्कि उन्होंने स्वयं के फाइव स्टार होटल में ठहरने के निर्देश देने वाले लोकसभा स्टाफ को भी कडी फटकार भी लगाई है। राज एक्सप्रेस में खबर छपने के बाद भारतीय दलित वर्ग संघ ने मीराकुमार को फाइव स्टार होटल में ठहरने के बजाय सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने की सलाह दी थी। अब वे राजभवन के गेस्टहाउस में ठहरेंगीं।
इसके पहले लोकसभा सचिवालय के निर्देश पर मप्र सरकार ने उनके ठहरने के लिए फाइव स्टार होटल नूर उस सबा में में तीन सूट बुक किए थे। तीन दिन के भोपाल आ रहीं मीरकुमार के लिए इस होटल में तीन सूट आठ दिन के लिए बुक किए गए थे। इन सूट का प्रतिदिन का किराया लगभग 19 हजार रूपए प्रतिदिन है। लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि मीराकुमार के लिए फाइव स्टार होटल में व्यवस्थाएं करें। इसके अलावा पीठासीन अधिकारियों के स�मेलन में आने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिवों को ठहराने के लिए राज्य सरकार ने सरकारी गेस्ट हाउसों के बजाय भोपाल के अलग अलग होटलों में 250 एयरकंडीशन कमरें 8 दिन के बुक किए थे। मजेदार बात यह है कि स�मेलन में कई अतिथि केवल दो तीन दिन के लिए ही आ रहे हैं, लेकिन उनके लिए भी होटलों के कमरे 1 से 8 फरवरी तक के लिए बुक कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने अतिथियों को सरकारी वाहन देने के बजाय 191 एयरकंडीशन लक्जरी कारें भी बुक की हैं। जबकि बीस साल पहले हुए स�मेलन में अधिकांश अतिथि सरकारी गेस्ट हाउसों में ठहरे थे तथा उनके लिए सरकार के विभिन्न विभागों से वाहने लेकर लगाए गए थे।
राज एक्सप्रेस ने दलित की बेटी को चाहिए फाइव स्टार शीर्षक से इस खबर को सबसे पहले छापा था। भारतीय दलित वर्ग संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बारेलाल मंडेलिया जो कि पिछले तीन दशक से मीराकुमार के पारिवारिक सदस्य हैं तथा उनके निजी कार्य संभालते हैं की नजर ग्वालियर में जैसे ही इस खबर पर पड़ी उन्होंने तत्काल मीराकुमार को फैक्स से खबर भेजी और फाइव स्टार होटल में न ठहरने का सुझाव भी उन्हें दिया। मंडेलिया ने राज एक्सप्रेस को बताया कि - बहन जी बेहद साधा जीवन शैली वाली महिला हैं, लेकिन यह गलती उनके स्टाफ से हुई है। उन्होंने कहा कि जैसे ही बहन जी ने राज एक्सप्रेस की खबर पड़ी, उन्होंने तत्काल अपने स्टाफ को इसके लिए फटकार लगाई एवं अपने ठहरने के लिए सरकारी गेस्ट हाउस में व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इस फटकार के बाद लोकसभा सचिवालय हरकत में आया और मप्र विधानसभा सचिवालय को निर्देश दिए गए हैं कि - मीराकुमार को ठहराने के लिए राजभवन के गेस्ट हाउस में व्यवस्था की जाए। बताया जाता है कि स�मेलन में आने अतिथियों को ठहराने के लिए अब नए सिरे से व्यवस्थाएं की जा रहीं हैं। कई अतिथि होटलों में ठहरने के बजाय गेस्ट हाउसों में ठहरने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
katani mayor
नजीर :
महापौर नहीं लेंगी वेतन भत्ते व वाहन
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश में एक ऐसी महापौर भी चुनकर आईं हैं जिन्होंने शपथ ग्रहण करने के बाद ही घोषणा कर दी है कि वे अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में नगर निगम से न तो एक पैसा वेतन भत्ते के रूप में लेंगी और न ही निगम के वाहन का उपयोग करेंगी। इसके अलावा अपने व अपने परिवार की सेवा के लिए अपने निवास पर नगर निगम का कोई अर्दली भीनहीं रखेंगीं। वे अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा काम करना चाहतीं हैं, जो अन्य महापौरों के लिए नजीर बन सके।
कटनी नगर निगम में महापौर चुनीं गईं श्रीमती निर्मला पाठक ने राज एक्सप्रेस से चर्चा में कहा कि - उन्हें एवं उनके परिवार को कटनी शहर ने सब कुछ दिया है। उनके पति सतेन्द्र पाठक मध्यप्रदेश में खाद्यमंत्री रहे हैं, उनके पुत्र संजय पाठक वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं। जब कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कटनी से महापौर का टिकट दिया तब भी मेरे मन में केवल सेवा का भाव था, और मैंने तय कर लिया था कि - यदि मुझे महापौर के रूप में कटनी की सेवा का अवसर मिला तो मैं कम से कम स्वयं को नगर निगम पर बोझ नहीं बनने दूंगीं। महापौर बनने के बाद मैंने सबसे पहला निर्णय यह ही लिया है कि - पूरे पांच साल के कार्यकाल में नगर निगम की ओर से किसी प्रकार का वेतन व भत्ते नहीं लेंगे। नगर निगम से वाहन लेने के बजाय मैंने अपने लिए नया निजी वाहन खरीदा है, इस वाहन का पेट्रोल व डीजल भी वे स्वयं वाहन करेंगीं।
शहर को तोहफा देने की तैयारी : श्रीमती पाठक के पति एवं पूर्व मेंं सतेन्द्र पाठक ने बताया कि - कटनी में ऐसा कोई पर्यटन स्थल नहीं है जहां मेहमानों को घूमाने ले जाया जा सके। यही सोचकर हमने कटनी नगर निगम सीमा में एक शानदार पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया है। कटनी शहर से लगभग दो किलोमीटर दूर पहाड़ के किनारे बनने वाले इस पर्यटन स्थल को वे बिना लाभ हानि के स्वयं संचालित करेंगे। श्री पाठक ने बताया कि उन्हें पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली लगभग नौ हजार रूपए की पेंशन एवं उनके पुत्र संजय पाठक को मिलने वाली लगभग पैतीस हजार रूपए वेतन को भी वे गरीबों के इलाज में व्यय करते हैं। हम यह भी सोच रहे हैं कि हम तीनों को जो भी राशि मिले है उसे एक संस्था में जमाकर उसका उपयोग क्षेत्र के गरीबों के इलाज एवं गरीब बच्चियों की शादी कराने में करें।
महापौर नहीं लेंगी वेतन भत्ते व वाहन
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश में एक ऐसी महापौर भी चुनकर आईं हैं जिन्होंने शपथ ग्रहण करने के बाद ही घोषणा कर दी है कि वे अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में नगर निगम से न तो एक पैसा वेतन भत्ते के रूप में लेंगी और न ही निगम के वाहन का उपयोग करेंगी। इसके अलावा अपने व अपने परिवार की सेवा के लिए अपने निवास पर नगर निगम का कोई अर्दली भीनहीं रखेंगीं। वे अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा काम करना चाहतीं हैं, जो अन्य महापौरों के लिए नजीर बन सके।
कटनी नगर निगम में महापौर चुनीं गईं श्रीमती निर्मला पाठक ने राज एक्सप्रेस से चर्चा में कहा कि - उन्हें एवं उनके परिवार को कटनी शहर ने सब कुछ दिया है। उनके पति सतेन्द्र पाठक मध्यप्रदेश में खाद्यमंत्री रहे हैं, उनके पुत्र संजय पाठक वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हैं। जब कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कटनी से महापौर का टिकट दिया तब भी मेरे मन में केवल सेवा का भाव था, और मैंने तय कर लिया था कि - यदि मुझे महापौर के रूप में कटनी की सेवा का अवसर मिला तो मैं कम से कम स्वयं को नगर निगम पर बोझ नहीं बनने दूंगीं। महापौर बनने के बाद मैंने सबसे पहला निर्णय यह ही लिया है कि - पूरे पांच साल के कार्यकाल में नगर निगम की ओर से किसी प्रकार का वेतन व भत्ते नहीं लेंगे। नगर निगम से वाहन लेने के बजाय मैंने अपने लिए नया निजी वाहन खरीदा है, इस वाहन का पेट्रोल व डीजल भी वे स्वयं वाहन करेंगीं।
शहर को तोहफा देने की तैयारी : श्रीमती पाठक के पति एवं पूर्व मेंं सतेन्द्र पाठक ने बताया कि - कटनी में ऐसा कोई पर्यटन स्थल नहीं है जहां मेहमानों को घूमाने ले जाया जा सके। यही सोचकर हमने कटनी नगर निगम सीमा में एक शानदार पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया है। कटनी शहर से लगभग दो किलोमीटर दूर पहाड़ के किनारे बनने वाले इस पर्यटन स्थल को वे बिना लाभ हानि के स्वयं संचालित करेंगे। श्री पाठक ने बताया कि उन्हें पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली लगभग नौ हजार रूपए की पेंशन एवं उनके पुत्र संजय पाठक को मिलने वाली लगभग पैतीस हजार रूपए वेतन को भी वे गरीबों के इलाज में व्यय करते हैं। हम यह भी सोच रहे हैं कि हम तीनों को जो भी राशि मिले है उसे एक संस्था में जमाकर उसका उपयोग क्षेत्र के गरीबों के इलाज एवं गरीब बच्चियों की शादी कराने में करें।
M.P. Vidhansabha corruption
अवैध कमाई का अड्डा बनी विधानसभा
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के दो कर्मचारियों में करोड़ों रुपए की अवैध कमाई को लेकर मारकाट मची हुई है। यह कर्मचारी न तो नियमित कार्यालय आ रहे हैं और न ही इन्होंने अवैध कमाई के बारे में अभी तक विधानसभा सचिवालय से विधिवत अनुमतियां ली हैं। दोनों कर्मचारी अपनी कमर में पिस्टल लगाकर एक दूसरे का कच्चा चिठ्ठा लिए घूम रहे हैं।
विधानसभा में कभी खास रहे और मिलजुल कर करोड़ों रूपए कमाने वाले अवर सचिव कमलाकांत शर्मा एवं निज सहायक केपी द्विवेदी एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए हैं। दोनों ने अपनी अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टलें खरीद ली हैं, और उन्हें साथ लेकर घूम रहे हैं। दोनों एक दूसरे पर करोड़ों रूपए के घपले एवं धो�ााधड़ी के आरोप लगा रहे हैं। दोनों कर्मचारी विधानसभा में केवल रजिस्टर में हाजरी लगाने आते हैं। दिन भर एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों के बंडल बांटने में लगे इन कर्मचारियों पर विधानसभा सचिवालय का कोई अंकुश नहीं है। जुलाई में इन दोनों कर्मचारियों के यहां इंकम टेक्स के छापे पड़ चुके हैं। इन छापों के बाद इनके बीच विवाद और बढ़ गया है।
दोनों कर्मचारियों ने एक दूसरे का काला चिठ़ठा इस संवाददाता को सौंपा है इनका दावा है कि वे यह चिठ़ठा जिला प्रशासन एवं विधानसभा के प्रमु�य सचिव को भी सौंप चुके हैं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही। खास बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने स्वयं को इस विवाद से दूर रखा है। उनके निर्देश पर विधानसभा सचिव भगवानदेव ईसरानी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। विधानसभा के प्रमुख सचिव एके प्यासी भी इस संबंध में मौन हैं।
पोल-खोल अभियान
कमलाकांत पर केपी के आरोप :
यहां बता दें कि कमलाकांत शर्मा विधानसभा में अवर सचिव के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने पिछले सात आठ वर्षों में करोड़ों रूपए का लेनदेन अपने व अपनी दूसरी पत्नि, सास ससुर के नाम से किया है। उनके पास करोड़ों रूपए की अकूत स�पत्ति कहां से आई?
- विधानसभा के अवर सचिव कमलाकांत शर्मा ने सरकारी नौकरी में रहते भ्रष्टाचार की कमाई से लगभग दस करोड़ रूपए कमाए हैं।
- कमलाकांत ने भोपाल के स्वामी विवेकानंद कॉलेज में अवैध कमाई से तीन करोड़ रूपए निवेश किए हैं। कॉलेज के दस्तावेजों से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
- कमलाकांत के पास भोपाल के ग्राम बरखेडी कलां में नब्बे लाख रुपए कीमत के खेत हैं।
- कमलाकांत ने अपनी दूसरी पत्नि के वंदना शर्मा के नाम से नेहरूनगर भोपाल में सी 110 नंबर का मकान खरीदा कीमत 40 लाख रुपए।
- कोटरा सुल्तानाबाद भोपाल की चित्रगुप्त कॉलोनी में वंदना शर्मा के नाम से ही प्लाट नंबर 20, कीमत 30 लाख रुपए।
- अपनी अवैध कमाई को एक नंबर की कीरने के लिए रीवा में वंदना शर्मा के नाम से डेयरी संचालन केवल कागज पर दि�ााते रहे हैं।
- ढेकहा मोहल्ला रीवा में अपने ससुर महिमा शंकर पांडेय एवं सास विद्यावती पांडेय के नाम से पचास लाख रूपए का कमान बनवाया।
- कमलाकांत ने अवैध कमाई से ही रीवा के अरूणनगर में मकान बनवाया जिसे अभी 16 लाख रूपए में बेचा है।
- रीवा शहर के बाहर बनकुईयां राजस्व मंडल में स्वयं, पन्ति, बच्चों एवं सास ससुर के नाम से 35 एकड़ भूमि क्रय की है जिसकी कीमत 80 लाख रूपए है।
- विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज से साठ लाख रूपए अवैध तरीके से निकाले गए।
- कॉलेज की एक कार फर्जी हस्ताक्षर करके अपने रिश्तेदार के नाम कर ली है।
- कमाकांत ने तनिष्क मैनेजमेन्ट कंपनी बनाकर उसमें विभिन्न नामों से चालीस रूपए का निवेश किया।
- कमलाकांत, उनकी पन्ति वंदना शर्मा एवं उनके रिश्तेदारों ने विवेकानंद कॉलेज में वेतन के नाम से 2.80 करोड़ रुपए निकाले, इसमें से 1.80 करोड़ रूपए का गबन किया गया।
- अपनी एक महिला मित्र, जो कि महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी है, के नाम से कॉलेज में बीस लाख रूपए का निवेश किया गया है।
- कमलाकांत ने महिला बाल विकास विभाग में प्रतिनियुक्ति पर रहने के दौरान भारी भ्रष्टाचार किया है इसकी भी जांच होना चाहिए।
केपी पर कमलांकात के आरोप :
यहां बता दें कि केपी द्विवेदी विधानसभा में निज सहायक के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने पिछले सात आठ वर्षों में करोड़ों रूपए का लेनदेन अपने व अपनी पत्नि के नाम से किया है। उनके पास करोड़ों रूपए की अकूत स�पत्ति कहां से आई?
- तत्कालीन विधानसभा स्पीकर श्री निवास तिवारी के निज सहायक रहे केपी द्विवेदी पर कमला कांत शर्मा ने आरोप लगाया है कि उन्होंने विधानसभा से अनुमति लिए बिना करोड़ों रूपए विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज में निवेश किए हैं।
- केपी द्विवेदी ने भोपाल के बरखेडी कलां में विभाग को बिना बताए 32 लाख रूपए की एक एकड़ भमि खरीदी।
- के पी ने भोपाल के नयापुरा में पच्चीस हजार वर्गफीट का फार्म भी बिना विभाग को बताए खरीदा है।
- केपी ने भोपाल की आधुनिक गृह निर्माण समिति में दो प्लाटों के लिए राशि पांच लाख रूपए जमा की है।
- केपी की काली कमाई की जानकारी विधानसभा स्थित बैंक के खाता क्रमांक 01190041333 की डिटेल निकलवाने से मिल जाएगी।
- केपी ने 10 अप्रेल 09 को अपने उपरोक्त बैंक खाते से पच्चीस पच्चीस लाख के दस चेक जारी किए हैं। यह ढाई करोड़ रूपए की राशि उनके पास कहां से आई?
- केपी ने विधानसभा कर्मचारी सहकारी खास समिति के अध्यक्ष रहते अपने कॉलेज के लिए फर्जी तरीके से 1.21 करोड़ रूपए की एफडीआर बना ली, ताकि इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालन की अनुमति मिल सके।
- विवेकानंद कॉलेज संचालित करने वाली संस्था अक्षय शक्ति शिक्षा समिति में केपी द्विवेदी स्वयं अध्यक्ष रहे एवं पत्नि चंद्रकांती द्विवेदी को कोषाध्यक्ष एवं रिश्तेदार विवेकानंद द्विवदी को सचिव बनाकर करोड़ों रूपए का गबन किया है।
- केपी ने सत्य सांई सहकारी बैंक में जमा 35 लाख व 17 लाख रूपए की एफडीआर कॉलेज प्रबंधन की बिलना अनुमति के तुडवा लीं।
- केपी ने अपनी पत्नि के चद्रकांती द्विवेदी के नाम से साढ़े दस लाख रूपए की कीमत से 52 सीटर बस क्रमांक एमपी 04 एचबी 9189 खरीदी। यह पैसा उनके पास कहां से आया?
- केपी द्विवेदी ने अपनील पत्नि के नाम से भोपाल के पारस सिटी में एक �लेट खरदा एवं उसे बेचका साढ़े नो लाख रूपए कॉलेज में श्यामकली के नाम से निवेश कर दिया। चंद्रकांती एवं श्यामकली एक ही महिला है।
- केपी ने कॉलेज में फार्मेसी के भवन को दिखाकर बीएड की अनुमति प्राप्त की है।
केपी का कथन :
इस संबंध में केपी द्विवेदी का कहना है कि - मैंने विधानसभा कर्मचारी गृह निर्माण समिति से जो एफडीआर बनाई है उसमें कार्यालयीन प्रक्रिया पूरी किए बिना बनाई है, इसकी कोई बड़ी सजा नहीं होगी। सच्चाई यह है कि हमने अपनी जीवन की पूरी कमाई कॉलेज में लगा दी और अब कमलाकांत उस पर कब्जा करना चाहते हैं। हम मर जाएंगे, लेकिन कॉलेज पर कब्जा नहीं होने देंगे। कमलाकांत से मुझे जान का खतरा है। हां .... मैंने अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टल खरीदी है, और उसे कभी कभी साथ भी रखता हूं।
कमलाकांत का कथन :
जहां तक मेरी अवैध कमाई का सवाल है उसकी जांच इंकम टेक्स विभाग कर रहा है। यदि मैं दोषी हूं तो मुझे वहां से सजा मिलेगी। विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज में मैंने अपने दो सौ से अधिक परिचितों को पैसा लगवाया है। केपी द्विवेदी की नीयत खराब हो गई और वह कॉलेज पर कब्जा करना चाहता है। केपी कॉलेज को धोखे से किसी को बेचने का षडयंत्र कर रहा है। मैं ऐसा हरर्गिज नहीं होने दूंगा। मैं किसी भी कीमत पर कॉलेज में अपना हिस्सा लेकर रहूंगा। हां .... मैंने अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टल खरीदी है और उसे अपने साथ ही रखता हूं।
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के दो कर्मचारियों में करोड़ों रुपए की अवैध कमाई को लेकर मारकाट मची हुई है। यह कर्मचारी न तो नियमित कार्यालय आ रहे हैं और न ही इन्होंने अवैध कमाई के बारे में अभी तक विधानसभा सचिवालय से विधिवत अनुमतियां ली हैं। दोनों कर्मचारी अपनी कमर में पिस्टल लगाकर एक दूसरे का कच्चा चिठ्ठा लिए घूम रहे हैं।
विधानसभा में कभी खास रहे और मिलजुल कर करोड़ों रूपए कमाने वाले अवर सचिव कमलाकांत शर्मा एवं निज सहायक केपी द्विवेदी एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए हैं। दोनों ने अपनी अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टलें खरीद ली हैं, और उन्हें साथ लेकर घूम रहे हैं। दोनों एक दूसरे पर करोड़ों रूपए के घपले एवं धो�ााधड़ी के आरोप लगा रहे हैं। दोनों कर्मचारी विधानसभा में केवल रजिस्टर में हाजरी लगाने आते हैं। दिन भर एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों के बंडल बांटने में लगे इन कर्मचारियों पर विधानसभा सचिवालय का कोई अंकुश नहीं है। जुलाई में इन दोनों कर्मचारियों के यहां इंकम टेक्स के छापे पड़ चुके हैं। इन छापों के बाद इनके बीच विवाद और बढ़ गया है।
दोनों कर्मचारियों ने एक दूसरे का काला चिठ़ठा इस संवाददाता को सौंपा है इनका दावा है कि वे यह चिठ़ठा जिला प्रशासन एवं विधानसभा के प्रमु�य सचिव को भी सौंप चुके हैं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही। खास बात यह है कि विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने स्वयं को इस विवाद से दूर रखा है। उनके निर्देश पर विधानसभा सचिव भगवानदेव ईसरानी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। विधानसभा के प्रमुख सचिव एके प्यासी भी इस संबंध में मौन हैं।
पोल-खोल अभियान
कमलाकांत पर केपी के आरोप :
यहां बता दें कि कमलाकांत शर्मा विधानसभा में अवर सचिव के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने पिछले सात आठ वर्षों में करोड़ों रूपए का लेनदेन अपने व अपनी दूसरी पत्नि, सास ससुर के नाम से किया है। उनके पास करोड़ों रूपए की अकूत स�पत्ति कहां से आई?
- विधानसभा के अवर सचिव कमलाकांत शर्मा ने सरकारी नौकरी में रहते भ्रष्टाचार की कमाई से लगभग दस करोड़ रूपए कमाए हैं।
- कमलाकांत ने भोपाल के स्वामी विवेकानंद कॉलेज में अवैध कमाई से तीन करोड़ रूपए निवेश किए हैं। कॉलेज के दस्तावेजों से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
- कमलाकांत के पास भोपाल के ग्राम बरखेडी कलां में नब्बे लाख रुपए कीमत के खेत हैं।
- कमलाकांत ने अपनी दूसरी पत्नि के वंदना शर्मा के नाम से नेहरूनगर भोपाल में सी 110 नंबर का मकान खरीदा कीमत 40 लाख रुपए।
- कोटरा सुल्तानाबाद भोपाल की चित्रगुप्त कॉलोनी में वंदना शर्मा के नाम से ही प्लाट नंबर 20, कीमत 30 लाख रुपए।
- अपनी अवैध कमाई को एक नंबर की कीरने के लिए रीवा में वंदना शर्मा के नाम से डेयरी संचालन केवल कागज पर दि�ााते रहे हैं।
- ढेकहा मोहल्ला रीवा में अपने ससुर महिमा शंकर पांडेय एवं सास विद्यावती पांडेय के नाम से पचास लाख रूपए का कमान बनवाया।
- कमलाकांत ने अवैध कमाई से ही रीवा के अरूणनगर में मकान बनवाया जिसे अभी 16 लाख रूपए में बेचा है।
- रीवा शहर के बाहर बनकुईयां राजस्व मंडल में स्वयं, पन्ति, बच्चों एवं सास ससुर के नाम से 35 एकड़ भूमि क्रय की है जिसकी कीमत 80 लाख रूपए है।
- विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज से साठ लाख रूपए अवैध तरीके से निकाले गए।
- कॉलेज की एक कार फर्जी हस्ताक्षर करके अपने रिश्तेदार के नाम कर ली है।
- कमाकांत ने तनिष्क मैनेजमेन्ट कंपनी बनाकर उसमें विभिन्न नामों से चालीस रूपए का निवेश किया।
- कमलाकांत, उनकी पन्ति वंदना शर्मा एवं उनके रिश्तेदारों ने विवेकानंद कॉलेज में वेतन के नाम से 2.80 करोड़ रुपए निकाले, इसमें से 1.80 करोड़ रूपए का गबन किया गया।
- अपनी एक महिला मित्र, जो कि महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी है, के नाम से कॉलेज में बीस लाख रूपए का निवेश किया गया है।
- कमलाकांत ने महिला बाल विकास विभाग में प्रतिनियुक्ति पर रहने के दौरान भारी भ्रष्टाचार किया है इसकी भी जांच होना चाहिए।
केपी पर कमलांकात के आरोप :
यहां बता दें कि केपी द्विवेदी विधानसभा में निज सहायक के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने पिछले सात आठ वर्षों में करोड़ों रूपए का लेनदेन अपने व अपनी पत्नि के नाम से किया है। उनके पास करोड़ों रूपए की अकूत स�पत्ति कहां से आई?
- तत्कालीन विधानसभा स्पीकर श्री निवास तिवारी के निज सहायक रहे केपी द्विवेदी पर कमला कांत शर्मा ने आरोप लगाया है कि उन्होंने विधानसभा से अनुमति लिए बिना करोड़ों रूपए विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज में निवेश किए हैं।
- केपी द्विवेदी ने भोपाल के बरखेडी कलां में विभाग को बिना बताए 32 लाख रूपए की एक एकड़ भमि खरीदी।
- के पी ने भोपाल के नयापुरा में पच्चीस हजार वर्गफीट का फार्म भी बिना विभाग को बताए खरीदा है।
- केपी ने भोपाल की आधुनिक गृह निर्माण समिति में दो प्लाटों के लिए राशि पांच लाख रूपए जमा की है।
- केपी की काली कमाई की जानकारी विधानसभा स्थित बैंक के खाता क्रमांक 01190041333 की डिटेल निकलवाने से मिल जाएगी।
- केपी ने 10 अप्रेल 09 को अपने उपरोक्त बैंक खाते से पच्चीस पच्चीस लाख के दस चेक जारी किए हैं। यह ढाई करोड़ रूपए की राशि उनके पास कहां से आई?
- केपी ने विधानसभा कर्मचारी सहकारी खास समिति के अध्यक्ष रहते अपने कॉलेज के लिए फर्जी तरीके से 1.21 करोड़ रूपए की एफडीआर बना ली, ताकि इंजीनियरिंग कॉलेज के संचालन की अनुमति मिल सके।
- विवेकानंद कॉलेज संचालित करने वाली संस्था अक्षय शक्ति शिक्षा समिति में केपी द्विवेदी स्वयं अध्यक्ष रहे एवं पत्नि चंद्रकांती द्विवेदी को कोषाध्यक्ष एवं रिश्तेदार विवेकानंद द्विवदी को सचिव बनाकर करोड़ों रूपए का गबन किया है।
- केपी ने सत्य सांई सहकारी बैंक में जमा 35 लाख व 17 लाख रूपए की एफडीआर कॉलेज प्रबंधन की बिलना अनुमति के तुडवा लीं।
- केपी ने अपनी पत्नि के चद्रकांती द्विवेदी के नाम से साढ़े दस लाख रूपए की कीमत से 52 सीटर बस क्रमांक एमपी 04 एचबी 9189 खरीदी। यह पैसा उनके पास कहां से आया?
- केपी द्विवेदी ने अपनील पत्नि के नाम से भोपाल के पारस सिटी में एक �लेट खरदा एवं उसे बेचका साढ़े नो लाख रूपए कॉलेज में श्यामकली के नाम से निवेश कर दिया। चंद्रकांती एवं श्यामकली एक ही महिला है।
- केपी ने कॉलेज में फार्मेसी के भवन को दिखाकर बीएड की अनुमति प्राप्त की है।
केपी का कथन :
इस संबंध में केपी द्विवेदी का कहना है कि - मैंने विधानसभा कर्मचारी गृह निर्माण समिति से जो एफडीआर बनाई है उसमें कार्यालयीन प्रक्रिया पूरी किए बिना बनाई है, इसकी कोई बड़ी सजा नहीं होगी। सच्चाई यह है कि हमने अपनी जीवन की पूरी कमाई कॉलेज में लगा दी और अब कमलाकांत उस पर कब्जा करना चाहते हैं। हम मर जाएंगे, लेकिन कॉलेज पर कब्जा नहीं होने देंगे। कमलाकांत से मुझे जान का खतरा है। हां .... मैंने अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टल खरीदी है, और उसे कभी कभी साथ भी रखता हूं।
कमलाकांत का कथन :
जहां तक मेरी अवैध कमाई का सवाल है उसकी जांच इंकम टेक्स विभाग कर रहा है। यदि मैं दोषी हूं तो मुझे वहां से सजा मिलेगी। विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज में मैंने अपने दो सौ से अधिक परिचितों को पैसा लगवाया है। केपी द्विवेदी की नीयत खराब हो गई और वह कॉलेज पर कब्जा करना चाहता है। केपी कॉलेज को धोखे से किसी को बेचने का षडयंत्र कर रहा है। मैं ऐसा हरर्गिज नहीं होने दूंगा। मैं किसी भी कीमत पर कॉलेज में अपना हिस्सा लेकर रहूंगा। हां .... मैंने अपनी सुरक्षा के लिए पिस्टल खरीदी है और उसे अपने साथ ही रखता हूं।
Madhya Pradesh MLA
मप्र के विधायक होंगे मालामाल
वेतन 35 से बढ़ाकर 55 करने का प्रस्ताव
प्रदेश गरीब है, लेकिन विधायकों के लिए नहीं
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश के विधायक गरीबों के टैक्स से मालामाल होने की तैयारी में है। प्रदेश में बढ़ती मंहगाई से बेशक गरीबों की तनखा नहीं बढ़ रही है, लेकिन राज्य के विधायकों का वेतन पैेतीस हजार से बढ़ाकर पचपन हजार करने एवं पूर्व विधायकों की पेंशन नौ हजार से बढ़ाकर पन्द्रह हजार करने का प्रस्ताव है। 22 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में इस संबंध में निर्णय हो सकता है। छब्बीस माह पहले 3 अक्टूबर 2007 को विधायकों एवं पूर्व विधायकों के मानदेय में बढोतरी की गई थी।
राज्य विधानसभा ने प्रदेश के 231 विधायकों एवं राज्य के भूतपूर्व विधायकों के वेतन भत्तों पर विचार करने विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी ने लोकसभा, राज्यसभा के सांसदों एवं देश के लगभग सभी विधानसभा के विधायकों को मिलने वाले वेतन भत्तों की जानकारी बुलाकर उसका अध्ययन किया एवं राज्य विधानसभा में हुई बैठक में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने के बाद मप्र के विधायकों को वर्तमान में वेतन भत्तों के रूप में मिल रहे 35 हजार के स्थान पर पचपन हजार करने एवं पूर्व विधायकों की पेंशन 9 हजार से बढ़ाकर पन्द्रह हजार करने का अनुशंसा की है। बताया जाता है कि यह प्रस्ताव मप्र विधानसभा सचिवालय से राज्य सरकार के वित्त विभाग को भेजा जा रहा है। वित्त विभाग की अनुमति मिलने के बाद इसे विधानसभा के बजट सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
अभी विधायकों को मिलते हैं :
वेतन : 9000
निर्वाचन क्षेत्र भता : 12000
टेलीफोन भत्ता : 7000
लेखन एवं डाक व्यय : 2000
अर्दली भता : 2000
चिकित्सा भत्ता : 3000
कुल वेतन भत्ते : 35000
सासंदों के वेतन भत्ते :
लोकसभा में कूल : 56,000
राज्य सभा में कुल : 57,000
अन्य राज्यों में विधायक सांसदों को वेतन भत्ते :
- छत्तीसगढ़ - 28500
- हिमाचल प्रदेश - 55000
- गुजरात - 31000
- राजस्थान - 29000
- दिल्ली - 16000
- तामिलनाडू - 20000
- केरल - 15300
- उत्तरप्रदेश - 30000
- बिहार - 22000
- हरियाणा - 55500
- कर्नाटक - 44000
- पंजाब - 25000
- आंध्रप्रदेश - 43000
- झारखंड़ - 26800
- पश्चिम बंगाल - 8000
- मिजोरम - 21000
- त्रिपुरा - 17300
- आसाम - 32300
- उडीसा - 21950
वेतन 35 से बढ़ाकर 55 करने का प्रस्ताव
प्रदेश गरीब है, लेकिन विधायकों के लिए नहीं
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश के विधायक गरीबों के टैक्स से मालामाल होने की तैयारी में है। प्रदेश में बढ़ती मंहगाई से बेशक गरीबों की तनखा नहीं बढ़ रही है, लेकिन राज्य के विधायकों का वेतन पैेतीस हजार से बढ़ाकर पचपन हजार करने एवं पूर्व विधायकों की पेंशन नौ हजार से बढ़ाकर पन्द्रह हजार करने का प्रस्ताव है। 22 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में इस संबंध में निर्णय हो सकता है। छब्बीस माह पहले 3 अक्टूबर 2007 को विधायकों एवं पूर्व विधायकों के मानदेय में बढोतरी की गई थी।
राज्य विधानसभा ने प्रदेश के 231 विधायकों एवं राज्य के भूतपूर्व विधायकों के वेतन भत्तों पर विचार करने विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी ने लोकसभा, राज्यसभा के सांसदों एवं देश के लगभग सभी विधानसभा के विधायकों को मिलने वाले वेतन भत्तों की जानकारी बुलाकर उसका अध्ययन किया एवं राज्य विधानसभा में हुई बैठक में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने के बाद मप्र के विधायकों को वर्तमान में वेतन भत्तों के रूप में मिल रहे 35 हजार के स्थान पर पचपन हजार करने एवं पूर्व विधायकों की पेंशन 9 हजार से बढ़ाकर पन्द्रह हजार करने का अनुशंसा की है। बताया जाता है कि यह प्रस्ताव मप्र विधानसभा सचिवालय से राज्य सरकार के वित्त विभाग को भेजा जा रहा है। वित्त विभाग की अनुमति मिलने के बाद इसे विधानसभा के बजट सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
अभी विधायकों को मिलते हैं :
वेतन : 9000
निर्वाचन क्षेत्र भता : 12000
टेलीफोन भत्ता : 7000
लेखन एवं डाक व्यय : 2000
अर्दली भता : 2000
चिकित्सा भत्ता : 3000
कुल वेतन भत्ते : 35000
सासंदों के वेतन भत्ते :
लोकसभा में कूल : 56,000
राज्य सभा में कुल : 57,000
अन्य राज्यों में विधायक सांसदों को वेतन भत्ते :
- छत्तीसगढ़ - 28500
- हिमाचल प्रदेश - 55000
- गुजरात - 31000
- राजस्थान - 29000
- दिल्ली - 16000
- तामिलनाडू - 20000
- केरल - 15300
- उत्तरप्रदेश - 30000
- बिहार - 22000
- हरियाणा - 55500
- कर्नाटक - 44000
- पंजाब - 25000
- आंध्रप्रदेश - 43000
- झारखंड़ - 26800
- पश्चिम बंगाल - 8000
- मिजोरम - 21000
- त्रिपुरा - 17300
- आसाम - 32300
- उडीसा - 21950
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विधानसभा में खूनी संघर्ष की संभावना
मामला सात करोड़ की अवैध कमाई का
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मप्र विधानसभा सचिवालय में सात करोड़ रूपए की कथित अवैध कमाई को लेकर तीन अधिकारी-कर्मचारियों में खूनी संघर्ष की स्थिति बन गई है। एक कर्मचारी का आरोप है कि सचिवालय में एक अपर सचिव के कक्ष में बुलाकर पिस्टल अड़ाकर उससे साढ़े छह करोड़ रूपए मांगे गए, न देने पर गोली मारने की धमकी दी गई है। दूसरे पक्ष का कहना है कि इस कर्मचारी ने सात करोड़ रूपए का गबन किया है, हम उसे आसानी नहीं छोडेेंग़े।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मप्र विधानसभा जैसे अति सुरक्षित भवन में आजकल अधिकारी कर्मचारी पिस्टल व रिवाल्वर लेकर द�तर आते हैं। विधानसभा के निजी सचिव केपी द्विवेदी का आरोप है कि - उपसचिव कमलाकांत शर्मा ने उन्हें अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा के कक्ष में बुलाया एवं पिस्टल लगाकर साढ़े छह करोड रूपए देने की मांग की। इसकी शिकायत उन्होंने विधानसभा के प्रमुख सचिव एके प्यासी के अलावा भोपाल पुलिस अधीक्षक से कर दी है। विधानसभा के इन तीनों अधिकारियों के यहां पिछले दिनों इंकम टेक्स के छापे पड़ चुके हैं। छापे के बाद इनमें कथित अवैध कमाई के बंटवारे को लेकर झगड़ा तेज हो गया है।
यह तीनों अधिकारी, अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा, उप सचिव कमलाकांत शर्मा एवं सत्यनारायण शर्मा के निजी सचिव केपी द्विवेदी पूर्व स्पीकर श्रीनिवास तिवारी के नजदीकी माने जाते हैं। वर्ष 2005 में इन तीनों ने मिलकर भोपाल के रातीबढ़ क्षेत्र में विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किया था। इस वर्ष फरवरी में इंजीनियरिंग कॉलेज पर कब्जे को लेकर तीनों में विवाद हो गया। कमलाकांत शर्मा का आरोप है कि केपी द्विवेदी ने धोखे से कांॅलेज की स�पत्ति पर कब्जा कर लिया है। अक्षय शक्ति शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति, जो इस कॉलेज का संचालान करती है, के सदस्यों ने केपी द्विवेदी से हिसाब मांगा तो उन्होंने आनाकानी करना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि द्विवेदी लगभग सात करोड़ रूपए का हिसाब नहीं दे रहे हैं। दूसरी ओर केपी द्विवेदी का कहना है कि कमलाकांत शर्मा ने कॉलेज से लगभग साठ लाख रूपए निकाल लिए हैं। इसके अलावा आरटीओ में फर्जी हस्ताक्षर करके कॉलेज की एक कार अपने रिश्ेतदार के नाम कर दी है।
खूनी संघर्ष की संभावना : इधर विधानसभा में आम चर्चा है कि इन तीनों के झगड़े के कारण विधानसभा भवन में कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है। बताया जाता है कि एक अधिकारी पिस्टल लेकर कार्यालय पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर केपी द्विवेदी ने स्वीकार किया कि - कॉलेज संचालन के लिए उन्होंने अपनी सुरक्षा को ध्यान में अपने कुछ साथियों को साथ रखना शुरू कर दिया है। कॉलेज में भी उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए ही कुछ लोगों को बिठाना शुरू कर दिया है। केपी द्विवेदी ने इस संवाददाता को एक टेप भी उपलब्ध कराया जिसमें उनका आरोप है कि - कमलाकांत शर्मा यह धमकी दे रहे हैं कि - यदि वे कोर्ट से भी हार गए तो भी केपी द्विवेदी को गोली मार देंगे।
मामला हाईकोर्ट पहुंचा : कॉलेज पर कब्जे को लेकर तीन लोगों के झगड़े के बीच शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष रीवा निवासी अनुराग शर्मा ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का दरवाजा �ाटखटा दिया है। अनुराग शर्मा का कहना है कि संस्था के अध्यक्ष केपी द्विवेदी एवं कोषाध्यक्ष उनकी पत्नि हिसाब नहीं दे रहे हैं। शर्मा का आरोप है कि शिकायत के बाद भी पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। शर्मा की याचिका पर मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस श्री राजेन्द्र मेनन ने भोपाल पुलिस को आदेश दिया है कि यदि शर्मा शिकायत करते हैं तो उसकी जांच की जाए। शर्मा ने राज एक्सप्रेस से कहा कि - इस संस्था में उनके पैंसठ लाख रूपए लगे हैं। उन्होंने कहा कि केपी द्विवेदी ने इंजीनियरिंग कॉलेज संचालन के लिए ढाई करोड़ रूपए की जो एफडी बनवाई थी, उसकी राशि निकालकर बड़ा गबन किया है। उनका कहना है कि द्विवेदी ने सात करोड़ रूपए का गबन किया है।
कमलाकांत का पक्ष : इस संबंध में विधानसभा के उप सचिव कमलाकांत शर्मा का कहना है कि द्विवेदी के खिलाफ थाना रातीबढ़ में चार सौ बीसी का मुकद्दमा दर्ज हो गया है। इस मामले में द्विवेदी जमानत पर रिहा हैं। उनका कहना है कि पुलिस किसी दबाव के कारण द्विवेदी के खिलाफ न तो जांच कर रही है और न ही कोर्ट में चालान पेश नहीं कर रही है। कॉलेज में आपका कितना पैसा लगा है? इस संबंध में कमलाकांत का कहना है कि मैंने अपने कई मिलने वालों का पैसा लगवाया है।
द्विवेदी का पक्ष : इस संबंध में द्विवेदी ने एक लिखित शिकायत विधानसभा के प्रमुख सचिव एवं भोपाल पुलिस अधीक्षक को सौंपकर आरोप लगाया है कि - कमलाकांत शर्मा से दोस्ती के कारण उन्होंने, उन्हें शिक्षा समिति में रख लिया था, लेकिन शर्मा ने धोखे से साठ लाख रूपए निकाल लिए। अब वे समिति से हटने के एवज में साढ़े छह करोड़ रूपए मांग रहे हैं। उनका आरोप है कि मैं शर्मा से भयभीत हूं तथा पुलिस को बता चुका हूं कि - मेरे साथ यदि कोई भी अप्रिय घटना होती है तो उसके जि�मेदार शर्मा ही होंगे। द्विवेदी ने कहा कि 28 जुलाई को शर्मा के लोगों ने रातीबढ़ रोड़ स्थित शरदा विद्या मंदिर स्कूल के पास से उनके बच्चे का अपहरण करने का प्रयास था जिसकी रिपोर्ट उन्होंने रातीबढ़ थाने में कर दी थी।
नोट :- रवीन्द्र जैन राज एक्सप्रेस के स्थानीय संपाकद हैं। उनकी यह खबर राज एक्सप्रेस के 1 जनवरी 2010 के अंक में प्रकाशित हुई है।
मामला सात करोड़ की अवैध कमाई का
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मप्र विधानसभा सचिवालय में सात करोड़ रूपए की कथित अवैध कमाई को लेकर तीन अधिकारी-कर्मचारियों में खूनी संघर्ष की स्थिति बन गई है। एक कर्मचारी का आरोप है कि सचिवालय में एक अपर सचिव के कक्ष में बुलाकर पिस्टल अड़ाकर उससे साढ़े छह करोड़ रूपए मांगे गए, न देने पर गोली मारने की धमकी दी गई है। दूसरे पक्ष का कहना है कि इस कर्मचारी ने सात करोड़ रूपए का गबन किया है, हम उसे आसानी नहीं छोडेेंग़े।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मप्र विधानसभा जैसे अति सुरक्षित भवन में आजकल अधिकारी कर्मचारी पिस्टल व रिवाल्वर लेकर द�तर आते हैं। विधानसभा के निजी सचिव केपी द्विवेदी का आरोप है कि - उपसचिव कमलाकांत शर्मा ने उन्हें अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा के कक्ष में बुलाया एवं पिस्टल लगाकर साढ़े छह करोड रूपए देने की मांग की। इसकी शिकायत उन्होंने विधानसभा के प्रमुख सचिव एके प्यासी के अलावा भोपाल पुलिस अधीक्षक से कर दी है। विधानसभा के इन तीनों अधिकारियों के यहां पिछले दिनों इंकम टेक्स के छापे पड़ चुके हैं। छापे के बाद इनमें कथित अवैध कमाई के बंटवारे को लेकर झगड़ा तेज हो गया है।
यह तीनों अधिकारी, अपर सचिव सत्यनारायण शर्मा, उप सचिव कमलाकांत शर्मा एवं सत्यनारायण शर्मा के निजी सचिव केपी द्विवेदी पूर्व स्पीकर श्रीनिवास तिवारी के नजदीकी माने जाते हैं। वर्ष 2005 में इन तीनों ने मिलकर भोपाल के रातीबढ़ क्षेत्र में विवेकानंद इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किया था। इस वर्ष फरवरी में इंजीनियरिंग कॉलेज पर कब्जे को लेकर तीनों में विवाद हो गया। कमलाकांत शर्मा का आरोप है कि केपी द्विवेदी ने धोखे से कांॅलेज की स�पत्ति पर कब्जा कर लिया है। अक्षय शक्ति शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति, जो इस कॉलेज का संचालान करती है, के सदस्यों ने केपी द्विवेदी से हिसाब मांगा तो उन्होंने आनाकानी करना शुरू कर दिया। उनका कहना है कि द्विवेदी लगभग सात करोड़ रूपए का हिसाब नहीं दे रहे हैं। दूसरी ओर केपी द्विवेदी का कहना है कि कमलाकांत शर्मा ने कॉलेज से लगभग साठ लाख रूपए निकाल लिए हैं। इसके अलावा आरटीओ में फर्जी हस्ताक्षर करके कॉलेज की एक कार अपने रिश्ेतदार के नाम कर दी है।
खूनी संघर्ष की संभावना : इधर विधानसभा में आम चर्चा है कि इन तीनों के झगड़े के कारण विधानसभा भवन में कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है। बताया जाता है कि एक अधिकारी पिस्टल लेकर कार्यालय पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर केपी द्विवेदी ने स्वीकार किया कि - कॉलेज संचालन के लिए उन्होंने अपनी सुरक्षा को ध्यान में अपने कुछ साथियों को साथ रखना शुरू कर दिया है। कॉलेज में भी उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए ही कुछ लोगों को बिठाना शुरू कर दिया है। केपी द्विवेदी ने इस संवाददाता को एक टेप भी उपलब्ध कराया जिसमें उनका आरोप है कि - कमलाकांत शर्मा यह धमकी दे रहे हैं कि - यदि वे कोर्ट से भी हार गए तो भी केपी द्विवेदी को गोली मार देंगे।
मामला हाईकोर्ट पहुंचा : कॉलेज पर कब्जे को लेकर तीन लोगों के झगड़े के बीच शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष रीवा निवासी अनुराग शर्मा ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का दरवाजा �ाटखटा दिया है। अनुराग शर्मा का कहना है कि संस्था के अध्यक्ष केपी द्विवेदी एवं कोषाध्यक्ष उनकी पत्नि हिसाब नहीं दे रहे हैं। शर्मा का आरोप है कि शिकायत के बाद भी पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। शर्मा की याचिका पर मंगलवार को जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस श्री राजेन्द्र मेनन ने भोपाल पुलिस को आदेश दिया है कि यदि शर्मा शिकायत करते हैं तो उसकी जांच की जाए। शर्मा ने राज एक्सप्रेस से कहा कि - इस संस्था में उनके पैंसठ लाख रूपए लगे हैं। उन्होंने कहा कि केपी द्विवेदी ने इंजीनियरिंग कॉलेज संचालन के लिए ढाई करोड़ रूपए की जो एफडी बनवाई थी, उसकी राशि निकालकर बड़ा गबन किया है। उनका कहना है कि द्विवेदी ने सात करोड़ रूपए का गबन किया है।
कमलाकांत का पक्ष : इस संबंध में विधानसभा के उप सचिव कमलाकांत शर्मा का कहना है कि द्विवेदी के खिलाफ थाना रातीबढ़ में चार सौ बीसी का मुकद्दमा दर्ज हो गया है। इस मामले में द्विवेदी जमानत पर रिहा हैं। उनका कहना है कि पुलिस किसी दबाव के कारण द्विवेदी के खिलाफ न तो जांच कर रही है और न ही कोर्ट में चालान पेश नहीं कर रही है। कॉलेज में आपका कितना पैसा लगा है? इस संबंध में कमलाकांत का कहना है कि मैंने अपने कई मिलने वालों का पैसा लगवाया है।
द्विवेदी का पक्ष : इस संबंध में द्विवेदी ने एक लिखित शिकायत विधानसभा के प्रमुख सचिव एवं भोपाल पुलिस अधीक्षक को सौंपकर आरोप लगाया है कि - कमलाकांत शर्मा से दोस्ती के कारण उन्होंने, उन्हें शिक्षा समिति में रख लिया था, लेकिन शर्मा ने धोखे से साठ लाख रूपए निकाल लिए। अब वे समिति से हटने के एवज में साढ़े छह करोड़ रूपए मांग रहे हैं। उनका आरोप है कि मैं शर्मा से भयभीत हूं तथा पुलिस को बता चुका हूं कि - मेरे साथ यदि कोई भी अप्रिय घटना होती है तो उसके जि�मेदार शर्मा ही होंगे। द्विवेदी ने कहा कि 28 जुलाई को शर्मा के लोगों ने रातीबढ़ रोड़ स्थित शरदा विद्या मंदिर स्कूल के पास से उनके बच्चे का अपहरण करने का प्रयास था जिसकी रिपोर्ट उन्होंने रातीबढ़ थाने में कर दी थी।
नोट :- रवीन्द्र जैन राज एक्सप्रेस के स्थानीय संपाकद हैं। उनकी यह खबर राज एक्सप्रेस के 1 जनवरी 2010 के अंक में प्रकाशित हुई है।
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