Wednesday, March 9, 2011

अवैध उडऩदस्ता, लाखों की कमाई


प्रशासनिक संवाददाता

भोपाल। मध्यप्रदेश परिवहन विभाग कई साल पहले नीतिगत निर्णय ले चुका है कि सड़क पर खड़े होकर वसूली करने वाले सभी उडऩदस्ते बंद कर दिए जाएं, लेकिन विभाग के अफसरों ने अवैध कमाई के लिए इंदौर में उडऩदस्ता न केवल चालू रखा है बल्कि इसमें इंस्पेक्टर की पोस्टिंग भी कर दी है। इस उडऩदस्ते से विभाग को आय की बजाय भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि डेढ़ सौ से ज्यादा वीडियो कोच बसें रैग्युलर परमिट की बजाय स्पेयर परमिट पर चल रही हैं।

मप्र में वीडियो कोच बसों का सबसे ज्यादा संचालक इंदौर से होता है। प्रत्येक वीडियो कोच को प्रति माह टैक्स के रूप में 800 रुपए प्रति सीट का भुगतान करना होता है। जबकि यदि वीडियो कोच न चले तो उसे स्पेयर परमिट के रूप में सिर्फ ढाई सौ रुपए प्रति सीट भुगतान करना होता है, लेकिन इंदौर में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और अवैध रूप से चलाए जा रहे उडऩदस्ते के निरीक्षक राजेंद्र पाटीदार के संरक्षण में लगभग डेढ़ सौ वीडियो कोच ऐसी चल रही हैं जो रैग्युलर परमिट की बजाय सिर्फ स्पेयर परमिट लिए हैं।

सबसे मजेदार बात यह है कि परिवहन विभाग के इंदौर उडऩदस्ते में जितने अधिकारी, कर्मचारी पदस्थ हैं उससे दस गुना प्राइवेट लोग काम कर रहे हैं जो इंदौर के बाहरी मार्र्गों पर वाहनों से अवैध वसूली में लगे हैं। विभाग ने इस उडऩदस्ते को सिर्फ एक वाहन दिया है लेकिन एक ही समय में इस उडऩदस्ते के पांच पांच वाहन एक साथ चेकिंग में लगे हैं। परिवहन विभाग का अधिकारी बताकर जो लोग वाहनों को चेक कर रहे हैं वह शासकीय कर्मचारी ही नहीं हैं।

हो चुका है विवाद

पिछले दिनों इंदौर में दो ट्रकों से अवैध वसूली को लेकर इस उडऩदस्ते के कर्मचारियों का भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जीतू जिराती से जबरदस्त विवाद हो गया था। जीतू जिराती जैसे ही विजय नगर स्थित परिवहन कार्यालय पहुंचे, कई अधिकारी सीट छोड़कर भाग गए।

ठेके पर है उडऩदस्ता

मजेदार बात यह है कि इंदौर में एक अस्पताल चलाने वाले परिवहन विभाग के एक निरीक्षक ने उडऩदस्ते को अफसरों से ठेके पर ले रखा है। इस उडऩदस्ते की प्रतिमाह अवैध कमाई करीब 20 लाख रुपए बताई जाती है। पहले यह इंस्पेक्टर इस उडऩदस्ते पर तैनात था लेकिन छह माह के नियम के चलते उसका तबादला हुआ तो इस इंस्पेक्टर के कहने पर ही राजेंद्र पाटीदार को उडऩदस्ते की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Thursday, January 20, 2011

Tuesday, January 18, 2011

यह मंत्री कमीशनखोर है



-केन्द्र की राज्य सरकार को गोपनीय सूचना
-अजय विश्नोई पर गिर सकती है गाज




मनोज सिंह राजपूत

भोपाल। भाजपा के सात साल के शासनकाल में यह पहला मामला है जब केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को गोपनीय पत्र लिखकर प्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की पूरी कुंडली भेज दी है। पत्र में साफ लिखा है कि स्वयं मंत्री और उनका खानदान जमकर कमीशनखोरी में शामिल था। केन्द्र सरकार ने अपने पत्र की प्रति केन्द्रीय आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई को भी भेजी है।

मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की छवि कभी साफ नहीं रही। लेकिन भारत सरकार के एक पत्र ने उनके चेहरे से पूरी तरह नकाब हटा दिया है। भारत सरकार के वित्त (राजस्व) विभाग के अधीन कार्यरत आयकर विभाग के अतिरिक्त संचालक अनूप दुबे के पत्र में इस बात का उल्लेख है। दुबे ने तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डा. अशोक शर्मा के घर पड़े छापे में बरामद दस्तावेजों के आधार पर 16 पेज की रिपोर्ट में स्पष्टï लिखा है कि मप्र के स्वास्थ्य विभाग में घटिया दवाओं और उपकरणों की सप्लाई में हुई कमीशनबाजी में डा. योगीराज शर्मा एवं अन्य, डा. राजेश राजौरा एवं अन्य, डा. अशोक शर्मा एवं अन्य तथा विश्नोई ग्रुप की भूमिका साफ दिखाई दे रही है। आयकर अधिकारी अनूप दुबे की यह रिपोर्ट राज्य मंत्रालय की सामान्य प्रशासन शाखा में धूल खा रही है। इस रिपोर्ट में स्पष्टï लिखा है कि सप्लायरों से कमीशन इक_ा करने में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई भी शामिल थे।

रिपोर्ट में लिखा है कि इन लोगों ने कई मौकों पर सप्लायरों को भुगतान पूरा किया और दवाओं व उपकरणों की सप्लाई या तो हुई ही नहीं अथवा कम की गई। इन जल्लादों ने भ्रष्टïाचार की रकम हड़पने के लिए घटिया दवाएं और उपकरण तक सप्लाई कर डाले। प्रदेश में लाखों करोड़ों लोग उपचार के लिए तरसते रहे और इन अफसरों, मंत्रियों और उनके परिजनों की संपति में बेतहाशा वृद्धि होती रही। श्री दुबे की रिपोर्ट के अनुसार इन लोगों ने इस अवैध कमाई को राष्टï्रीय बचत पत्र, पीपीएफ, फिक्स डिपाजिट, पोस्ट आफिस के अलावा कृषि भूमि व अन्य अचल संपति में काली कमाई को निवेश किया। साथ ही काली कमाई से नए व्यवसायिक धंधों में भी पैसा लगाया।

उपाध्याय के नाम पर
अजय विश्नोई ने दो नंबर की कमाई करने के लिए भाजपा के आदर्श पुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय को भी नहीं छोड़ा। उनके कार्यकाल में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना शुरू की गई। 2.82 करोड़ की लागत की इस योजना में 14 मोबाइल वैन का काम एक एनजीओ जागरण साल्यूशन प्रा. लि. को दिया गया। आयकर विभाग को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इस एनजीओ से प्रति वैन दो लाख के हिसाब से कमीशन लिया गया।

कागजों पर प्रचार
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी स्मृति टेलीविजन मीडिया एंड फिल्म प्रा. लि. को ठेके पर दी गई। इस कंपनी ने ज्यादातर प्रचार कागजों पर करके करोड़ों रुपए बनाए और भोपाल और दिल्ली में अपनी संपतियां खड़ी कीं। कागजों में प्रचार कर कमीशन के रुपए मंत्री और अफसरों के पास भी पहुंचाए गए।

कैसे हटे, फिर बने
अजय विश्नोई के भाई अभय विश्नोई के घर पड़े आयकर छापे के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चौतरफा दबाव पड़ा तो उन्हें तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई को केबिनेट से हटाना पड़ा। शिवराज सिंह चौहान ने दोबारा शपथ ली तो भी विश्नोई को केबिनेट से दूर रखा, लेकिन कुछ दिनों बाद विश्नोई ने अपनी ताकत का अहसास कराया और शिवराज केबिनेट में फिर से पशुपालन मंत्री के रूप में वापसी की।

विश्नोई और रामकथा
इस रिपोर्ट के बारे में जब अजय विश्नोई से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं रामकथा में हूं एक घंटे बाद बात कर पाउंगा। इसके बाद दिन भर में कई बार उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं रिसीव किया।



आयकर विभाग की रिपोर्ट में यदि मंत्री की कमीशनखोरी का जिक्र है तो मुझे आश्चर्य है कि इमानदारी का पहाड़ा पढऩे वाले शिवराज सिंह की केबिनेट में अजय विश्नोई जैसे लोग कैसे मौजूद हैं।
-सुरेश पचौरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष


मैंने उक्त रिपोर्ट नहीं देखी है, रिपोर्ट पढऩे के बाद ही इस संबंध में कुछ कह सकता हूं।
-प्रभात झा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

Monday, December 13, 2010

शराब की गिरफ्त में मासूम

'' रायरू (ग्वालियर) डिस्टलरीज में बच्चे कर रहे शराब व शराब बनाने वाली स्प्रिट व एनई तैयार, साथ ही कर रहे है शराब की बॉटलिंग।











कौशल मुदगल/विकास पांडे

ग्वालियर । बेशक नाबालिग बच्चों से काम कराना और उन्हें शराब कारोबार में उपयोग करना गैरकानूनी हो, लेकिन ग्वालियर स्थित रायरू (ग्वालियर) डिस्टलरीज में यह सारे गैरकानूनी काम बेधड़क होते हैं। नामचीन शराब कंपनियों के लिए शराब और शराब तैयार करने वाली स्प्रिट व एनई इस फैक्ट्री में इन बच्चों से बनवाई जाती है।

शहर से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित इस फैक्ट्री में कभी श्रम विभाग की टीम ने भी झांकने की कोशिश नहीं की है, क्योंकि विभागीय अधिकारियों को मंथली सेवा शुल्क मिलता है। इतना ही नहीं जब ग्वालियर में पदस्थ सहायक श्रम आयुक्त आरएस यादव से इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि विभाग ने अभी तक रायरू डिस्टलरीज का कोई निरीक्षण नहीं किया है, लेकिन यदि वहां बालश्रम के सबूत उपलब्ध हो तो कार्रवाई अवश्य की जाएगी। आधा दर्जन गांवों से अधिक घिरी इस फैक्ट्री में ग्रामीणों को रोजगार देने के नाम पर फैक्ट्री प्रबंधन नाबालिग बच्चों से काम करा रहा है। बच्चे स्प्रिट, एनई व शराब के कैमिकलों के दुष्प्रभावों से गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं साथ ही शराब के नशे के आदी भी हो रहे हैं। क्योंकि उन्हें अभी मुफ्त की शराब पीने को मिल रही है और ये बच्चे शराब की बोतलें साथ ले जाते हैं जो गांव में बिकती भी हैं।

दस घंटे काम, ढाई हजार वेतन...

रायरू डिस्टलरीज में बच्चों को लेबर के रूप में इसलिए भी उपयोग किया जा रहा है क्योंकि बच्चें कम पैसे में काम करते हैं और मैनेजमेंट बच्चों को डरा- धमकाकर अधिक काम करा लेता है। बताया गया है कि इस फैक्ट्री में बच्चों को आठ से दस घंटे की नौकरी के बदले महज ढाई हजार रुपए दिए जाते हैं। शराब फैक्ट्री में बच्चों द्वारा काम किए जाने की शिकायत कई बार श्रम कार्यालय में की गई, लेकिन मंथली सेवा शुल्क मिलने के कारण अधिकारियों ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की।

कागजों में मॉनिटरिंग.....

जिन स्थानों पर शराब तैयार होती है या शराब की बॉटलिंग की जाती है वहां नाबालिग बच्चे काम नहीं करें। इसके लिए श्रम विभाग के अधिकारियों की एक टीम को लगातार मॉनिटरिंग करनी चाहिए, लेकिन ग्वालियर डिस्टलरीज में ऐसा नहीं है। यहां मॉनिटरिंग कागजों में होती है और श्रम विभाग के अधिकारी अपनी जेब भरने में मशगूल रहते हैं।

सजा का प्रावधान.....

0 फैक्ट्र्री एक्ट अधिनियम 1948 के अन्तर्गत 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराए जाने पर धारा 67 के अन्तर्गत 50 हजार का जुर्माना तथा 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।

0 प्लानटेशन लीगल एक्ट 1951 के अन्तर्गत नाबालिग बच्चों से काम कराए जाने पर धारा 24 के तहत जुर्माने के साथ 2 वर्ष का कारावास हो सकता है।

इनका कहना है.....

संयुक्त कार्रवाई करेंगे.....

'' बाल श्रमिकों के मामले में कार्रवाई का अधिकार श्रम विभाग के पास है इसके बाद भी यदि शराब फैक्ट्री में बच्चे काम कर रहे हैं तो आबकारी विभाग द्वारा बाल न्यायालय एवं श्रम विभाग के सहयोग से कार्रवाई की जाएगी।

- शैलेष सिंह, सहायक आबकारी आयुक्त

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साक्ष्य उपलब्ध करा दें.....

'' श्रम विभाग ने रायरू डिस्टलरीज में फिलहाल ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन यदि साक्ष्य उपलब्ध कराए जातें हैं तो हम कार्रवाई करेंगे।

- आरएस यादव, सहायक श्रम आयुक्त

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हमने शिकायत की.....

'' रायरू डिस्टलरीज में बच्चों से काम कराए जाने को लेकर हमने अधिकारियों से शिकायतें की हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। अब इस मुद्दे को लेकर आंदोलन किया जाएगा।

- दीपक सिंह धाकड़, जिला पंचायत सदस्य

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होती हैं बीमारियां.....

'' लगातार स्प्रिट के संपर्क में रहने से बच्चों को उल्टी, पेट दर्द, आंखों की रोशनी कम होना, बदहजमी, फैंफडों की शिकायत एवं निमोनिया की गंभीर बीमारियां होती हैं।

- डा. अजय पाल सिंह, एसोसिएट् प्रोफेसर मेडिसीन जीआरएमसी

Saturday, November 27, 2010

खाओ पीओ, गौरव बढ़ाओ

रवीन्द्र जैन

भोपाल। पांव पांव वाले भैया के मुख्यमंत्री बने पांच साल पूरे हो गए हैं। एक छोटे से गांव से उठकर मप्र की राजनीति के शीर्ष तक पंहुचने और राज्य में गैर कांग्रेस मुख्यमंत्री के रुप में पांच साल पूरे करने पर शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में गौरव दिवस मनाने के बहाने बहाने अपने कार्यकर्ताओं के खाने पीने के बेहतर इंतजाम किए हैं। भोपाल के जम्बूरी मैदान में कई क्विंटल बालूशाही और नुकती तैयार है। अब इंतजार 29 नवम्बर को कार्यकर्ताओं के भोपाल आने का है।
 
 
                        बालूशाही : आ गया न मुंह में पानी




नुकती : यह पीला पहाड़ बेसन की नुकती का है, जिसके लड्डू बनने हैं।


झंड़ा उंचा रहे हमारा : जम्बूरी मैदान पर झंड़ा वंदन करते पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी

Thursday, November 25, 2010

सीबीआई के शिकंजे में प्रदीप बैजल


रवीन्द्र जैन

भोपाल। सीबीआई पिछले दो तीन दिन से देश के सबसे बड़े घोटाले 2जी स्पेक्ट्रम के सिलसिले में मप्र केडर के सेवानिवृत आईएएस अधिकारी प्रदीप बैजल से पूछताछ कर रही है। बैजल 1966 बैच के आईएएस अधिकारी थे और वे प्रतिनियुक्ति पर देरसंचार विभाग के सचिव के अलावा ट्राई के सचिव रह चुके हैं। लेकिन वे वर्तमान में इस घोटाले से जुडी देश की स बसे बड़ी दलाल नीरा राडिया की कंपनी नोएसिस के निदेशक हैं। यह कंपनी दूरसंचार कंपनियों को सलाह देने का काम करती है।

दिल्ली से आ रहीं खबरों के अनुसार सीबीआई ने नीरा राडिया पर सीधे शिकंजा कंसने के पहले उनकी कंपनी के निदेशक एवं मप्र केडर के आईएएस अधिकारी प्रदीप बैजल पर शिंकजा कंस दिया है। बताते हैं कि प्रदीप बैजल ने 2जी स्पेक्ट्रम का लायसंस पाने वाली कंपनी को सलाह दी थी। सीबीआई 2जी स्पेक्ट्रम के नाम पर हुए लगभग पौने दो लाख करोड़ के घोटाले की जांच कर रही है। वह यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इस घोटो में नीरा राडिया व प्रदीप बैजल की कितनी भूमिका रही है? सीबीआई द्वारा प्रदीप बैजल से की जा रही पूछताछ मप्र के प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि बैजल ने मप्र में लंबा समय व्यतीत किया है। मंत्रालय में यह भी चर्चा है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी नौकरी का लालच बैजल को भारी पड़ सकता है।
मुनिश्री पुलकसागर जी महाराज पुष्पगिरी तीर्थ पहुंचे






जैनमुनि श्री पुलक सागर जी महाराज इंदौक्र से पद विहार करके 25 नवम्बर को देवास जिले के जैन तीर्थग् पुष्पगिरी पहुंचे जहां उनके गुरू आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी महाराज ने उन्हें गले लगाकर उनकी अगवानी की। पुष्पगिरी तीर्थ पर जनवरी 2011 में पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया है। मुनिश्री इस दौरान वहीं रहेंगे।