यह मंत्री कमीशनखोर है
-केन्द्र की राज्य सरकार को गोपनीय सूचना
-अजय विश्नोई पर गिर सकती है गाज
मनोज सिंह राजपूत
भोपाल। भाजपा के सात साल के शासनकाल में यह पहला मामला है जब केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को गोपनीय पत्र लिखकर प्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की पूरी कुंडली भेज दी है। पत्र में साफ लिखा है कि स्वयं मंत्री और उनका खानदान जमकर कमीशनखोरी में शामिल था। केन्द्र सरकार ने अपने पत्र की प्रति केन्द्रीय आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई को भी भेजी है।
मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की छवि कभी साफ नहीं रही। लेकिन भारत सरकार के एक पत्र ने उनके चेहरे से पूरी तरह नकाब हटा दिया है। भारत सरकार के वित्त (राजस्व) विभाग के अधीन कार्यरत आयकर विभाग के अतिरिक्त संचालक अनूप दुबे के पत्र में इस बात का उल्लेख है। दुबे ने तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डा. अशोक शर्मा के घर पड़े छापे में बरामद दस्तावेजों के आधार पर 16 पेज की रिपोर्ट में स्पष्टï लिखा है कि मप्र के स्वास्थ्य विभाग में घटिया दवाओं और उपकरणों की सप्लाई में हुई कमीशनबाजी में डा. योगीराज शर्मा एवं अन्य, डा. राजेश राजौरा एवं अन्य, डा. अशोक शर्मा एवं अन्य तथा विश्नोई ग्रुप की भूमिका साफ दिखाई दे रही है। आयकर अधिकारी अनूप दुबे की यह रिपोर्ट राज्य मंत्रालय की सामान्य प्रशासन शाखा में धूल खा रही है। इस रिपोर्ट में स्पष्टï लिखा है कि सप्लायरों से कमीशन इक_ा करने में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई भी शामिल थे।
रिपोर्ट में लिखा है कि इन लोगों ने कई मौकों पर सप्लायरों को भुगतान पूरा किया और दवाओं व उपकरणों की सप्लाई या तो हुई ही नहीं अथवा कम की गई। इन जल्लादों ने भ्रष्टïाचार की रकम हड़पने के लिए घटिया दवाएं और उपकरण तक सप्लाई कर डाले। प्रदेश में लाखों करोड़ों लोग उपचार के लिए तरसते रहे और इन अफसरों, मंत्रियों और उनके परिजनों की संपति में बेतहाशा वृद्धि होती रही। श्री दुबे की रिपोर्ट के अनुसार इन लोगों ने इस अवैध कमाई को राष्टï्रीय बचत पत्र, पीपीएफ, फिक्स डिपाजिट, पोस्ट आफिस के अलावा कृषि भूमि व अन्य अचल संपति में काली कमाई को निवेश किया। साथ ही काली कमाई से नए व्यवसायिक धंधों में भी पैसा लगाया।
उपाध्याय के नाम पर
अजय विश्नोई ने दो नंबर की कमाई करने के लिए भाजपा के आदर्श पुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय को भी नहीं छोड़ा। उनके कार्यकाल में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना शुरू की गई। 2.82 करोड़ की लागत की इस योजना में 14 मोबाइल वैन का काम एक एनजीओ जागरण साल्यूशन प्रा. लि. को दिया गया। आयकर विभाग को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इस एनजीओ से प्रति वैन दो लाख के हिसाब से कमीशन लिया गया।
कागजों पर प्रचार
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी स्मृति टेलीविजन मीडिया एंड फिल्म प्रा. लि. को ठेके पर दी गई। इस कंपनी ने ज्यादातर प्रचार कागजों पर करके करोड़ों रुपए बनाए और भोपाल और दिल्ली में अपनी संपतियां खड़ी कीं। कागजों में प्रचार कर कमीशन के रुपए मंत्री और अफसरों के पास भी पहुंचाए गए।
कैसे हटे, फिर बने
अजय विश्नोई के भाई अभय विश्नोई के घर पड़े आयकर छापे के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चौतरफा दबाव पड़ा तो उन्हें तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई को केबिनेट से हटाना पड़ा। शिवराज सिंह चौहान ने दोबारा शपथ ली तो भी विश्नोई को केबिनेट से दूर रखा, लेकिन कुछ दिनों बाद विश्नोई ने अपनी ताकत का अहसास कराया और शिवराज केबिनेट में फिर से पशुपालन मंत्री के रूप में वापसी की।
विश्नोई और रामकथा
इस रिपोर्ट के बारे में जब अजय विश्नोई से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं रामकथा में हूं एक घंटे बाद बात कर पाउंगा। इसके बाद दिन भर में कई बार उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं रिसीव किया।
आयकर विभाग की रिपोर्ट में यदि मंत्री की कमीशनखोरी का जिक्र है तो मुझे आश्चर्य है कि इमानदारी का पहाड़ा पढऩे वाले शिवराज सिंह की केबिनेट में अजय विश्नोई जैसे लोग कैसे मौजूद हैं।
-सुरेश पचौरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
मैंने उक्त रिपोर्ट नहीं देखी है, रिपोर्ट पढऩे के बाद ही इस संबंध में कुछ कह सकता हूं।
-प्रभात झा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
-केन्द्र की राज्य सरकार को गोपनीय सूचना
-अजय विश्नोई पर गिर सकती है गाज
मनोज सिंह राजपूत
भोपाल। भाजपा के सात साल के शासनकाल में यह पहला मामला है जब केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को गोपनीय पत्र लिखकर प्रदेश के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की पूरी कुंडली भेज दी है। पत्र में साफ लिखा है कि स्वयं मंत्री और उनका खानदान जमकर कमीशनखोरी में शामिल था। केन्द्र सरकार ने अपने पत्र की प्रति केन्द्रीय आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो और सीबीआई को भी भेजी है।
मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई की छवि कभी साफ नहीं रही। लेकिन भारत सरकार के एक पत्र ने उनके चेहरे से पूरी तरह नकाब हटा दिया है। भारत सरकार के वित्त (राजस्व) विभाग के अधीन कार्यरत आयकर विभाग के अतिरिक्त संचालक अनूप दुबे के पत्र में इस बात का उल्लेख है। दुबे ने तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक डा. अशोक शर्मा के घर पड़े छापे में बरामद दस्तावेजों के आधार पर 16 पेज की रिपोर्ट में स्पष्टï लिखा है कि मप्र के स्वास्थ्य विभाग में घटिया दवाओं और उपकरणों की सप्लाई में हुई कमीशनबाजी में डा. योगीराज शर्मा एवं अन्य, डा. राजेश राजौरा एवं अन्य, डा. अशोक शर्मा एवं अन्य तथा विश्नोई ग्रुप की भूमिका साफ दिखाई दे रही है। आयकर अधिकारी अनूप दुबे की यह रिपोर्ट राज्य मंत्रालय की सामान्य प्रशासन शाखा में धूल खा रही है। इस रिपोर्ट में स्पष्टï लिखा है कि सप्लायरों से कमीशन इक_ा करने में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई भी शामिल थे।
रिपोर्ट में लिखा है कि इन लोगों ने कई मौकों पर सप्लायरों को भुगतान पूरा किया और दवाओं व उपकरणों की सप्लाई या तो हुई ही नहीं अथवा कम की गई। इन जल्लादों ने भ्रष्टïाचार की रकम हड़पने के लिए घटिया दवाएं और उपकरण तक सप्लाई कर डाले। प्रदेश में लाखों करोड़ों लोग उपचार के लिए तरसते रहे और इन अफसरों, मंत्रियों और उनके परिजनों की संपति में बेतहाशा वृद्धि होती रही। श्री दुबे की रिपोर्ट के अनुसार इन लोगों ने इस अवैध कमाई को राष्टï्रीय बचत पत्र, पीपीएफ, फिक्स डिपाजिट, पोस्ट आफिस के अलावा कृषि भूमि व अन्य अचल संपति में काली कमाई को निवेश किया। साथ ही काली कमाई से नए व्यवसायिक धंधों में भी पैसा लगाया।
उपाध्याय के नाम पर
अजय विश्नोई ने दो नंबर की कमाई करने के लिए भाजपा के आदर्श पुरुष पं. दीनदयाल उपाध्याय को भी नहीं छोड़ा। उनके कार्यकाल में दीनदयाल चलित अस्पताल योजना शुरू की गई। 2.82 करोड़ की लागत की इस योजना में 14 मोबाइल वैन का काम एक एनजीओ जागरण साल्यूशन प्रा. लि. को दिया गया। आयकर विभाग को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि इस एनजीओ से प्रति वैन दो लाख के हिसाब से कमीशन लिया गया।
कागजों पर प्रचार
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी स्मृति टेलीविजन मीडिया एंड फिल्म प्रा. लि. को ठेके पर दी गई। इस कंपनी ने ज्यादातर प्रचार कागजों पर करके करोड़ों रुपए बनाए और भोपाल और दिल्ली में अपनी संपतियां खड़ी कीं। कागजों में प्रचार कर कमीशन के रुपए मंत्री और अफसरों के पास भी पहुंचाए गए।
कैसे हटे, फिर बने
अजय विश्नोई के भाई अभय विश्नोई के घर पड़े आयकर छापे के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चौतरफा दबाव पड़ा तो उन्हें तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई को केबिनेट से हटाना पड़ा। शिवराज सिंह चौहान ने दोबारा शपथ ली तो भी विश्नोई को केबिनेट से दूर रखा, लेकिन कुछ दिनों बाद विश्नोई ने अपनी ताकत का अहसास कराया और शिवराज केबिनेट में फिर से पशुपालन मंत्री के रूप में वापसी की।
विश्नोई और रामकथा
इस रिपोर्ट के बारे में जब अजय विश्नोई से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं रामकथा में हूं एक घंटे बाद बात कर पाउंगा। इसके बाद दिन भर में कई बार उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं रिसीव किया।
आयकर विभाग की रिपोर्ट में यदि मंत्री की कमीशनखोरी का जिक्र है तो मुझे आश्चर्य है कि इमानदारी का पहाड़ा पढऩे वाले शिवराज सिंह की केबिनेट में अजय विश्नोई जैसे लोग कैसे मौजूद हैं।
-सुरेश पचौरी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
मैंने उक्त रिपोर्ट नहीं देखी है, रिपोर्ट पढऩे के बाद ही इस संबंध में कुछ कह सकता हूं।
-प्रभात झा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
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