अवैध उडऩदस्ता, लाखों की कमाई
प्रशासनिक संवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश परिवहन विभाग कई साल पहले नीतिगत निर्णय ले चुका है कि सड़क पर खड़े होकर वसूली करने वाले सभी उडऩदस्ते बंद कर दिए जाएं, लेकिन विभाग के अफसरों ने अवैध कमाई के लिए इंदौर में उडऩदस्ता न केवल चालू रखा है बल्कि इसमें इंस्पेक्टर की पोस्टिंग भी कर दी है। इस उडऩदस्ते से विभाग को आय की बजाय भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि डेढ़ सौ से ज्यादा वीडियो कोच बसें रैग्युलर परमिट की बजाय स्पेयर परमिट पर चल रही हैं।
मप्र में वीडियो कोच बसों का सबसे ज्यादा संचालक इंदौर से होता है। प्रत्येक वीडियो कोच को प्रति माह टैक्स के रूप में 800 रुपए प्रति सीट का भुगतान करना होता है। जबकि यदि वीडियो कोच न चले तो उसे स्पेयर परमिट के रूप में सिर्फ ढाई सौ रुपए प्रति सीट भुगतान करना होता है, लेकिन इंदौर में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और अवैध रूप से चलाए जा रहे उडऩदस्ते के निरीक्षक राजेंद्र पाटीदार के संरक्षण में लगभग डेढ़ सौ वीडियो कोच ऐसी चल रही हैं जो रैग्युलर परमिट की बजाय सिर्फ स्पेयर परमिट लिए हैं।
सबसे मजेदार बात यह है कि परिवहन विभाग के इंदौर उडऩदस्ते में जितने अधिकारी, कर्मचारी पदस्थ हैं उससे दस गुना प्राइवेट लोग काम कर रहे हैं जो इंदौर के बाहरी मार्र्गों पर वाहनों से अवैध वसूली में लगे हैं। विभाग ने इस उडऩदस्ते को सिर्फ एक वाहन दिया है लेकिन एक ही समय में इस उडऩदस्ते के पांच पांच वाहन एक साथ चेकिंग में लगे हैं। परिवहन विभाग का अधिकारी बताकर जो लोग वाहनों को चेक कर रहे हैं वह शासकीय कर्मचारी ही नहीं हैं।
हो चुका है विवाद
पिछले दिनों इंदौर में दो ट्रकों से अवैध वसूली को लेकर इस उडऩदस्ते के कर्मचारियों का भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जीतू जिराती से जबरदस्त विवाद हो गया था। जीतू जिराती जैसे ही विजय नगर स्थित परिवहन कार्यालय पहुंचे, कई अधिकारी सीट छोड़कर भाग गए।
ठेके पर है उडऩदस्ता
मजेदार बात यह है कि इंदौर में एक अस्पताल चलाने वाले परिवहन विभाग के एक निरीक्षक ने उडऩदस्ते को अफसरों से ठेके पर ले रखा है। इस उडऩदस्ते की प्रतिमाह अवैध कमाई करीब 20 लाख रुपए बताई जाती है। पहले यह इंस्पेक्टर इस उडऩदस्ते पर तैनात था लेकिन छह माह के नियम के चलते उसका तबादला हुआ तो इस इंस्पेक्टर के कहने पर ही राजेंद्र पाटीदार को उडऩदस्ते की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
प्रशासनिक संवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश परिवहन विभाग कई साल पहले नीतिगत निर्णय ले चुका है कि सड़क पर खड़े होकर वसूली करने वाले सभी उडऩदस्ते बंद कर दिए जाएं, लेकिन विभाग के अफसरों ने अवैध कमाई के लिए इंदौर में उडऩदस्ता न केवल चालू रखा है बल्कि इसमें इंस्पेक्टर की पोस्टिंग भी कर दी है। इस उडऩदस्ते से विभाग को आय की बजाय भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि डेढ़ सौ से ज्यादा वीडियो कोच बसें रैग्युलर परमिट की बजाय स्पेयर परमिट पर चल रही हैं।
मप्र में वीडियो कोच बसों का सबसे ज्यादा संचालक इंदौर से होता है। प्रत्येक वीडियो कोच को प्रति माह टैक्स के रूप में 800 रुपए प्रति सीट का भुगतान करना होता है। जबकि यदि वीडियो कोच न चले तो उसे स्पेयर परमिट के रूप में सिर्फ ढाई सौ रुपए प्रति सीट भुगतान करना होता है, लेकिन इंदौर में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और अवैध रूप से चलाए जा रहे उडऩदस्ते के निरीक्षक राजेंद्र पाटीदार के संरक्षण में लगभग डेढ़ सौ वीडियो कोच ऐसी चल रही हैं जो रैग्युलर परमिट की बजाय सिर्फ स्पेयर परमिट लिए हैं।
सबसे मजेदार बात यह है कि परिवहन विभाग के इंदौर उडऩदस्ते में जितने अधिकारी, कर्मचारी पदस्थ हैं उससे दस गुना प्राइवेट लोग काम कर रहे हैं जो इंदौर के बाहरी मार्र्गों पर वाहनों से अवैध वसूली में लगे हैं। विभाग ने इस उडऩदस्ते को सिर्फ एक वाहन दिया है लेकिन एक ही समय में इस उडऩदस्ते के पांच पांच वाहन एक साथ चेकिंग में लगे हैं। परिवहन विभाग का अधिकारी बताकर जो लोग वाहनों को चेक कर रहे हैं वह शासकीय कर्मचारी ही नहीं हैं।
हो चुका है विवाद
पिछले दिनों इंदौर में दो ट्रकों से अवैध वसूली को लेकर इस उडऩदस्ते के कर्मचारियों का भारतीय जनता युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जीतू जिराती से जबरदस्त विवाद हो गया था। जीतू जिराती जैसे ही विजय नगर स्थित परिवहन कार्यालय पहुंचे, कई अधिकारी सीट छोड़कर भाग गए।
ठेके पर है उडऩदस्ता
मजेदार बात यह है कि इंदौर में एक अस्पताल चलाने वाले परिवहन विभाग के एक निरीक्षक ने उडऩदस्ते को अफसरों से ठेके पर ले रखा है। इस उडऩदस्ते की प्रतिमाह अवैध कमाई करीब 20 लाख रुपए बताई जाती है। पहले यह इंस्पेक्टर इस उडऩदस्ते पर तैनात था लेकिन छह माह के नियम के चलते उसका तबादला हुआ तो इस इंस्पेक्टर के कहने पर ही राजेंद्र पाटीदार को उडऩदस्ते की जिम्मेदारी सौंपी गई है।